देश भर में गोरक्षा के नाम पर होने वाली मॉब लिन्चिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा की निंदा की है। इस दौरान उसने संसद से कानून लागू करने की सिफारिश की है।

कोई भी कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता
नई दिल्ली (आईएएनएस )। सुप्रीम कोर्ट में आज मॉब लिन्चिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) के मामले  चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ की बेंच ने फैसला पढ़ा। फैसले की घोषणा करते हुए चीफ जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है और न अपने आप कोई कानून बना सकता है। भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा सामान्य नहीं हैै।  
नया व सख्त कानून बनाने की सिफारिश की
ऐसे अपराधों से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय उपायों को निर्धारित किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त लहजे में कहा कि वो संविधान के मुताबिक काम करें। इन बढ़ती घटनाओं पर शिकंजा कसना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संसद से नया और सख्त कानून बनाने की सिफारिश की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से नया कानून बनाने के संबंध में भी जानकारी देने को कहा है।
इस पर रोक लगाना हर राज्य की जिम्मेदारी
इसके साथ कोर्ट ने इस मामले को 20 अगस्त तक स्थगित कर दिया है। बता दें कि यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग के लिए दायर की गई याचिका पर आया। इससे पहले बीती 3 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई हुई थी। इस दौरान  चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि इस पर रोक लगाना हर राज्य की जिम्मेदारी है।

CJI दीपक मिश्रा बोले, राज्य रहेेें अलर्ट गोरक्षा के नाम पर न होने पाएं हिंसक घटनाएं
CJI पर महाभियोग नोटिस रद मामला : सुप्रीम कोर्ट में 45 मिनट बहस के बाद कांग्रेस ने वापस ली याचिका

 

Posted By: Shweta Mishra