- कहा बिना स्थापना सहमति के कैसे हुआ निर्माण कार्य

RAMNAGAR: पीरूमदारा से सटे सक्खनपुर में निर्माणाधीन मनराल स्टोन क्रशर पर किसी भी प्रकार के निर्माण और गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने के साथ यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएम नैनीताल को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है कि बिना स्थापना सहमति के क्रशर का निर्माण कार्य कैसे हुआ।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

पूर्व में एनजीटी के आदेश के बाद मनराल स्टोन क्रशर की संचालन की सहमति निरस्त की गई थी, लेकिन ग्रामीणों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि मनराल स्टोन क्रशर द्वारा बिना स्थापना सहमति के अनवरत निर्माण कार्य किया जा रहा है और डंपरों से मौके पर खनन सामग्री का भंडारण किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इससे पूर्व भी सक्खनपुर के ग्रामीणों की याचिका पर ही 15 मई को एनजीटी द्वारा आदेश पारित कर कोसी व दाबका क्षेत्र के तहसील रामनगर, बाजपुर, काशीपुर के सभी क्रशरों की एनओसी/सहमति निलंबित करने के आदेश दिए थे। जिसके अनुपालन में दो दिन पूर्व कोसी व दाबका क्षेत्र के 49 क्रशर बंद करने का आदेश भी दो दिन पूर्व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी कर दिया है। बीती 23 मई को ग्रामीणों ने एसडीएम को शिकायत भेजी थी कि मनराल स्टोन क्रशर पर भंडारण अब भी किया जा रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर ग्रामीणों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर दो जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य व किसी भी गतिविधि पर रोक लगाने के साथ ही यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। ग्रामीणों के अधिवक्ता दुयंत मैनाली ने बताया कि फलपट्टी के गांव में कॉर्बेट टाइगर रिर्जव से मात्र छह किमी पर हो रहे क्रशर के अवैध निर्माण के तथ्यों को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश दिया है।

Posted By: Inextlive