पाकिस्तान में लाहौर की जेल से भारतीय नागरिक सुरजीत सिंह को रिहा कर दिया गया है.

69 वर्षीय सुरजीत सिंह के वकील अवैस शेख ने बीबीसी को बताया कि सुबह साढ़े सात बजे रिहा किया गया। उन्होंने बताया कि सुरजीत सिंह का स्वास्थ्य ठीक है और उनको भारत जाने की बहुत ख़ुशी है और जब वे जेल से बाहर निलके तो उनकी आंखों में आँसू थे।

जेल प्रशासन के मुताबिक़ उन्हें गत रात केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुरजीत सिंह की रिहाई के निर्देश मिले थे और ज़रुरी कार्रवाई पूरी कर उन्हें रिहा किया गया है। इसके बाद वे वाघा बॉर्डर के जरिए भारत पहुंच गए हैं। यहाँ पहुँचने के बाद उन्होंने कहा कि तीस वर्ष बाद अपने बच्चों से मिलने का अवसर मिलने वाला है, इसलिए वो बहुत ख़ुश हैं।

उन्होने पत्रकारों की ओर से एक सवाल के जवाब में कहा कि वे जासूसी करने पाकिस्तान गए थे, हालांकि इस सवाल का जवाब देने से पहले ही पुलिस अधिकारी उन्हें हटा लिया कि वे किस एजेंसी के लिए जासूसी कर रहे थे।

'सरबजीत को रिहा करवाउँगा'

69 वर्षीय सुरजीत सिंह पिछले 30 वर्षों से पाकिस्तान की जेलों में क़ैद थे। रिहाई के बाद वाघा बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जेलों में भारतीयों को किसी तरह की तकलीफ़ नहीं है। उन्होंने बताया कि एक अन्य बहुचर्चित भारतीय सरबजीत से उनकी नियमित मुलाक़ात होती थी और वे हर तरह की बात करते थे।

उनका कहना था, "सरबजीत को भी रिहा करवाना है, और ये काम अब मैं करुँगा। मै सरबजीत को रिहा करवाउँगा." हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वे किस तरह सरबजीत को रिहा करवाएँगे और कहा, "ये मुझ पर छोड़ दो." उन पर आरोप था कि उन्होंने भारत के लिए जासूसी की। पहले उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई थी लेकिन बाद में राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने उनकी सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

इससे पहले ये ख़बरें आईं थीं कि पाकिस्तान जेल से सरबजीत को रिहा कर रहा है। इसके बाद मीडिया और सरबजीत सिंह के परिवार में हलचल शुरु हो गई थी लेकिन बाद में पता चला कि पाकिस्तान सरबजीत को नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा कर रहा है।

वकील अवैस शेख के अनुसार सुरजीत सिंह को सैन्य शासक जिया उल हक के शासन के दौरान जासूसी के आरोपों में पाकिस्तानी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वर्ष 1985 में सुरजीत सिंह को मृत्युदंड दिया गया था लेकिन वर्ष 1989 में तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

गलतफहमीपाकिस्तान से मंगलवार शाम को भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की रिहाई की खबर रात होते होते गलत साबित हो गई। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने स्पष्ट किया कि सरबजीत सिंह की फाँसी की सज़ा को उम्र कैद में तबदील करने की ख़बर सही नहीं है।

बाबर ने बताया कि पाकिस्तान के कानून मंत्री फारुख नाईक ने मंगलवार को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय को सुरजीत सिंह को छोड़ने के लिए कहा था क्योंकि उसकी सज़ा पूरी हो गई थी। बाबर के अनुसार इस पूरे मामले से कहीं भी राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी का कुछ भी लेना देना नहीं है।

तब तक सरबजीत सिंह का परिवार खुशी मनाने लगा था। सरबजीत सिंह भी जासूसी के आरोप में जेल में क़ैद हैं और उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है। वे सज़ा माफ़ी और रिहाई की अपील कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले उनकी ओर से राष्ट्रपति जरदारी को एक दया याचिका दी गई है, जिसमें एक लाख भारतीयों के भी हस्ताक्षर हैं। फिलहाल उनका मामला विचाराधीन है।

Posted By: Inextlive