भगवा आतंकवाद पर शिंदे का Sorry
सड़क से संसद तक बने भाजपा के दबाव के बाद होम मिनिस्टर सुशील शिंदे को हिंदू आतंकवाद पर अपने शब्द वापस लेने पड़े. जंतर-मंतर से लेकर संसद में लोकसभा अध्यक्ष की सर्वदलीय बैठक में जिस तरह से भाजपा ने तेवर दिखाए, उसके बाद यूपीए गवर्नमेंट सरकार के आखिरी समझे जा रहे बजट सेशन में कोई कामकाज होने पर ही गंभीर सवाल खड़े हो गए थे. शिंदे ने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी के बाद जयपुर के अपने बयान को आधारहीन बताते हुए माफी मांगी. मीडिया को माफीनामा जारी कर बीजेपी को भी भेजा गया. बीजेपी ने भी शिंदे के बयान का स्वागत कर गतिरोध खत्म होने की बात कही है. कशमकश के बाद तैयार हुआ माफीनामा
सूत्रों के मुताबिक, शिंदे के बयान की भाषा और शब्दों पर खासी कशमकश हुई और बीजेपी की मंजूरी के बाद ही इसे जारी किया गया. इस पर प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, फाइनेंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम, सोनिया के पॉलिटिकल एडवाइजर अहमद पटेल की बैठक हुई और कई चरणों में बयान तैयार हुआ. कांग्रेस के चिंतन शिविर में भगवा आतंकवाद, आरएसएस और बीजेपी के शिविरों में आतंकी प्रशिक्षण के बयान पर पूरी भगवा ब्रिगेड ने यूपीए पर हल्ला बोल दिया. दबाव में झुके शिंदे
चौतरफा दबाव के चलते शिंदे को सफाई देनी पड़ी कि उनकी मंशा किसी धर्म या संस्था पर आरोप लगाने की नहीं थी. उन्हें गलत समझा गया, लिहाजा वह खेद जताते हैं. इसके बाद बीजेपी महासचिव रविशंकर प्रसाद ने एलान किया कि पार्टी इसका स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जयपुर चिंतन शिविर में आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ शिंदे का बयान आधारहीन और अनावश्यक था. शिंदे को यह कदम पहले ही उठाना चाहिए था. शिंदे के माफी मांगने में देरी के कारण आतंकियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को खुश होने का मौका मिल गया. एनडीए सहयोगी शिवसेना के महासचिव संजय राउत ने कहा कि शिंदे के माफी मांगने के साथ ही हमारे लिए यह मुद्दा खत्म हो गया. बीजेपी के तेवर देख डरी यूपीए
बुधवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने गवर्नमेंट को आगाह किया कि भगवा आतंकवाद का बयान वापस ले, वरना सहयोग की आशा छोड़ दे. वहीं, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने भी स्पष्ट कर दिया कि संसद चलाना चाहते हैं, तो शिंदे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, नहीं तो आतंकवादी संगठन की होने के नाते उन्हें लोकसभा में विपक्ष की नेता बने रहने का अधिकार नहीं है.