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फ्लैग : स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में रैंकिंग लाने के लिए नगर निगम कर रहा फर्जीवाड़ा

- नगर निगम कर्मचारियों ने पब्लिक फीडबैक के लिए लोगों से जबरन उनके मोबाइल नंबर लिए और खुद भरे पॉजिटिव फीडबैक

- सर्वेक्षण के अंतिम दिन गांधी उद्यान के बाहर दिखा फर्जीवाड़ा, 20 हजार था टारगेट, हुए सिर्फ 8100

बरेली। नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए साम दाम दंड भेद की नीति अपना ली है। सर्वेक्षण के अंतिम दिन 31 जनवरी 2019 को नगर निगम के कर्मचारियों ने जनता को धोखा देकर सर्वे का पॉजिटिव रेस्पांस खुद ही फीड कर दिया। थर्सडे को गांधी उद्यान में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। जबरन लोगों से उनका मोबाइल नंबर लिया गया। उस पर आए ओटीपी को लोगों से लेकर कर्मचारियों ने अपने मोबाइल फोन पर डाला। इसके बाद फॉर्म ओपन होने पर सारे सवालों के पॉजिटिव जवाब भी खुद ही भर दिए। पता चलने पर पब्लिक ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें धमका भी दिया।

ऐसे कर रहे हैं धोखा

फीडबैक का आंकड़ा बढ़ाने के लिए नगर निगम ने पूरे शहर में कई टीमों को लगाकर उनसे पब्लिक का पॉजिटिव फीडबैक लाने को कहा था। इनमें से एक टीम सुबह से ही गांधी उद्यान के गेट पर मौजूद थी। यहां दिनभर लोगों का आना जाना होता है। नगर निगम की टीम ने जब लोगों से रेस्पांस लेना शुरू किया तो कई ने बात करने से ही मना कर दिया। इस पर टीम ने लोगों को यह कहते हुए उद्यान में एंट्री देने से इनकार कर दिया कि यह नगर निगम का पार्क है और जब तक नाम, उम्र और मोबाइल नंबर नहीं बताओगे तब तक पार्क में घुसने नहीं दिया जाएगा। मजबूरी में कई लोगों ने ये जानकारी दे दी। इसके बाद इन कर्मचारियों ने अपने मोबाइल पर स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 की वेबसाइट खोलकर लोगों से जुड़ी उनकी जानकारी और सातों सवालों के पॉजिटिव जवाब फीड कर दिए। सवालों के जवाब फीड होते ही लोगों के मोबाइल पर ओटीपी नंबर आने लगे। इन ओटीपी को इन लोगों ने अपने मोबाइल में डालकर फॉर्म सबमिट कर दिया। पूछने पर बहुत कम लोगों को ही बताया गया कि सर्वे किया जा रहा है और जिन्होंने इसके बाद भी विरोध किया तो उन्हें धमकाया भी।

31 जनवरी को थी फीडबैक की लास्ट डेट

नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान ने बताया कि देश के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर परिषदों के आए हुए फीडबैक को जांचा जाएगा। इसमें जिसका पॉजिटिव फीडबैक सबसे ज्यादा होगा। उसी को सबसे ज्यादा रैंकिंग मिलेगी। इस धोखाधड़ी के बावजूद नगर निगम केवल 8100 ही फीडबैक ले पाया। इसमें कितने पॉजिटिव हैं यह अभी साफ नहीं है।

क्या करना था।

शासन की गाइड लाइन के अनुसार नगर निगम को बरेलियंस को स्वच्छता के प्रति अवेयर करना था और बताना था कि जनता किस तरह से अपना फीडबैक ऑनलाइन दे सकती है। नगर निगम की तमाम कोशिशों के बाद भी जनता ने रेस्पांस नहीं किया।

प्रचार के लिए यह किया नगर निगम ने

- अखबारों में विज्ञापन दिए, शहर में होर्डिग्स लगावाए और दीवारों पर जगह-जगह स्वच्छ सर्वेक्षण का मैसेज देने वाली पेंटिंग भी करवाई। इन सब पर करीब 13 लाख रुपए खर्च हुए।

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वर्जन

हमारी मर्जी जानी ही नहीं

नगर निगम के कर्मचारियों ने गांधी उद्यान के गेट पर रोककर मुझसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा। पूछने पर वे बोले कि सर्वेक्षण कर रहे हैं। जब मोबाइल नंबर बता दिया तो ओटीपी पूछा। फिर खुद ही सभी क्वेश्चन पर टिक कर दिया। मुझे बताया तक नहीं।

रिषभ शर्मा

मेरी कोचिंग में कुछ लोग आए थे बोले कि सभी लोगों को स्वच्छता महुआ एप्लीकेशन डाउनलोड करनी है, जिसके बाद उसमें आए हुए क्वेश्चन पर सभी में हां पर टिक करना है।

अखिलेश

नगर निगम के कुछ लोगों ने मुझे रोका और कहा कि अपना मोबाइल नंबर बताओ। बोले कि यह स्वच्छ सर्वेक्षण है। इसमें कुछ क्वेश्चन के आंसर देने होंगे। जब मोबाइल नंबर और ओटीपी बता दिया तो खुद ही सभी पर हां टिक कर लिया।

कृष्णा

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पॉजिटिव जवाब ही लेंगे

जब जनता ने कोई जवाब नहीं दिया। तो हम लोगों ने खुद ही जाकर जनता से जवाब मांगना शुरू कर दिया। अब जब हम खुद ही जवाब लेंगे तो निगेटिव थोड़े ही न लेंगे। पॉजिटिव ही लेंगे।

संजीव प्रधान, पर्यावरण अभियंता

Posted By: Inextlive