भारत के एक महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस के आज न होने पर भी भला कौन उन्‍हें नहीं जानता होगा। स्वामी विवेकानन्द के इन महान गुरू ने 18 फ़रवरी 1836 को जन्‍म लेकर दुनिया को ईश्‍वर के बारे में बताया। हालांकि उन्‍होंने 15 अगस्त 1886 को दुनिया को 50 साल की उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा भी कह दिया। ऐसे में आइए आज स्‍वामी विवेकानंद के गुरू के विचारों से समझें ईश्‍वर कौन है...


खराब मन में ईश्वर नही: रामकृष्ण जी ने ईश्वर के बारे में कहा है कि जैसे खराब आईने में सूर्य की छिव नहीं दिखाई पड़ती है। वैसे ही कभी खराब मन में भगवान की मूर्ति नहीं बन सकती है। सभी धर्म एक समान: रामकृष्ण परमहंस जी सभी धर्मों को एक समान मानते थे। उनके कहना था कि सभी धर्म समान हैं, वे सभी ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता दिखाते हैं। विषयक ज्ञान खतरनाक: विषय के ज्ञान को लेकर उनका कहना था कि विषयक ज्ञान मनुष्य की बुद्धि को सीमा में बांध देता है। इतना ही नहीं उन्हें अभिमानी भी बना देता है।

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Posted By: Shweta Mishra