- पद्मभूषण महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद को वेडनसडे शाम उनके निवास राघव कुटीर परिसर में ध्यान अवस्था में दी गई भूसमाधि

- श्रद्धांजलि देने के लिए लगा तांता, दस जुलाई को भारत माता मंदिर ट्रस्ट के यज्ञस्थल पर होगा षोडशी भंडारा और श्रद्धांजलि सभा

HARIDWAR: पद्मभूषण महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद को वेडनसडे शाम पूरे राजकीय सम्मान और सनातन हिंदू धर्म कर्मकांड, वेद मंत्रों के उच्चारण के बीच उनके निवास राघव कुटीर परिसर में ध्यान अवस्था में भूसमाधि दी गई। ट्यूजडे सुबह स्वामी सत्यमित्रानंद (87) ब्रह्मलीन हो गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशासन के जरिये श्रद्धासुमन भेजकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि और भारत माता मंदिर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी आईडी शर्मा ने उनकी तरफ से श्रद्धांजलि दी। स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बताया कि स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का षोडशी भंडारा और श्रद्धांजलि सभा दस जुलाई को भारत माता मंदिर ट्रस्ट के यज्ञस्थल पर होगी।

स्वामी सत्यमित्रानंद को दी श्रद्धांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी के ब्रह्मलीन होने पर दुख जताया और इसे राष्ट्र, धर्म व समाज के लिए क्षति बताया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी हरिद्वार पहुंचकर स्वामी सत्यमित्रानंद को श्रद्धांजलि दी। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी राघव कुटीर पहुंचकर स्वामी सत्यमित्रानंद को श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व राघव कुटीर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा के बाद शाम पांच बजे वेद मंत्रों और राम नाम की धुन के साथ उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। राघव कुटीर परिसर में ही उनकी समाधि के लिए बने स्थान पर उन्हें ले जाया गया और ध्यान की अवस्था में उनका तिलक कर उन्हें कंठ-कंमडल, आभूषण और माला धारण कराए गए। उन्हें चांदी का छत्र, बर्तन देते हुए गंगाजल और गुलाब जल से स्नान कराया गया। उनके शीश पर सालिगराम की स्थापना की गई। इसके बाद शहद-चंदन से उनका श्रृंगार करते हुए हल्दी का लेप लगाया गया। इसके बाद उनके दैनिक उपयोग की सभी वस्तुएं उन्हें अर्पण की गई। सनातन हिंदू संन्यास परंपरा के अनुसार संन्यासी अपनी भौतिक देह त्याग कर परमपिता परमात्मा से साक्षात्कार को दीर्घ ध्यान में ब्रह्मलीन हो जाते हैं। इसलिए उसे ध्यान अवस्था में भू-समाधि दी जाती है और इसे उत्तम माना जाता है। इसके बाद उन्हें राज्य सरकार की ओर से 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया। अंत में सभी संत-महात्माओं ने उन्हें मातृरज प्रदान करते हुए अंतिम विदाई दी। बाद में सभी संत-महात्माओं के गंगा स्नान के साथ भू-समाधि प्रक्रिया का समापन हो गया। इस दौरान सभी तेरह अखाड़ों के संत महामंडलेश्वर व राजनीति से जुड़े दिग्गज मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive