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- नदियों में उपखनिज उठाने की अनुमति देने का कर रहे विरोध

- फ्राइडे से जल त्याग कर किया खुद को कमरे में बंद

HARIDWAR (JNN) : बाढ़ सुरक्षा के नाम पर गंगा व सहायक नदियों में उपखनिज उठाने की मंजूरी देने के विरोध में स्वामी शिवानंद का अनशन (तप) दूसरे दिन भी जारी रहा। फ्राइडे से उन्होंने जल त्याग दिया और स्वयं को कमरे में बंद कर दिया। सदन का कहना है कि कठोर तप के लिए वे कमरे में बंद हैं।

खुद को कमरे में बंद किया

उन्नीस अप्रैल को प्रशासन ने नदी तालों में उपखनिज जमा होने व इससे मानसून अवधि में बाढ़ के खतरे की आशंका जताते हुए उपखनिज उठाने की अनुमति दी थी। भारी मशीनों के जरिए यह काम भी शुरू हो गया। मातृ सदन ने इसे अवैध खनन बताते हुए विरोध किया है। थर्सडे को सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने इसके विरोध में अनशन शुरू कर दिया। राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी। शुक्रवार से उन्होंने जल का त्याग भी कर दिया। सदन के संत अनशन की अवधि में नींबू-पानी लेते हैं, लेकिन स्वामी शिवानंद ने पूरी तरह से जल छोड़ दिया। इसके बाद वे कठोर तपस्या के लिए कमरे में चले गए और कमरा अंदर से बंद कर दिया। सदन के ब्रह्मचारी दयानंद ने बताया कि कठोर तपस्या के लिए वे कमरे में गए हैं। यह भी माना जा रहा है कि जल त्याग के बाद प्रशासन की ओर से जबरन अनशन से उठाए जाने की आशंका को देखते हुए भी उन्होंने स्वयं को कमरे में बंद कर दिया।

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कर रहे निलंबन की मांग

मातृ सदन के ही ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का अनशन (तप) फ्राइडे को सातवें दिन में पहुंच गया। वे खनन निदेशक व जिलाधिकारी के निलंबन की मांग कर रहे हैं। अब तक उनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ है। प्रशासन की ओर से खनन पट्टे बंद करने की उनकी एक मांग मानी जा चुकी है, लेकिन दूसरी मांग पर वे अडिग हैं।

Posted By: Inextlive