सिटी की रोड्स को चमकाने के लिए नगर निगम ने एक करोड़ रुपए खर्च कर दो रोड स्वीपर्स खरीदे थे जोकि शोपीस बने हुए हैं. अगर ऐसा न होता तो सिटी की रोड्स पर मोटी-मोटी धूल-गर्द की पर्ते न चढ़ी होती. इनके रोड्स पर दौडक़र धूल-गर्द न खाने की वजह से ही कानपुराइट्स को धूल फांकनी पड़ रही है. जिसकी वजह से कानपुराइट्स न केवल बीमार हो रहे है बल्कि रोड एक्सीडेंट्स का भी शिकार हो रहे है.


नगर निगम के दावे हुए फेलपिछले वर्ष दिसंबर में नगर निगम ने करीब 45-45 लाख कीमत के दो रोड ऑटोमैटिक स्वीपर मशीन खरीदी थीं। इनको खरीदने के समय नगर निगम ऑफिसर्स ने रोड्स से धूल-गर्द खत्म हो जाने और सडक़ चमक जाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए। लेकिन इन दावों की पोल टाटमिल-किदवई नगर, जीटी रोड जरीबचौकी से रामादेवी साइड, एक्सप्रेस रोड, जूही हमीरपुर रोड, जाजाजमऊ-रामादेवी हाइवे, फोरलेन हाइवे, फजलगंज रोड, बड़ा चौराहा-लालइमली रोड, फजलगंज, साकेत नगर, कैनाल रोड, मार्बल मार्केट-मिक्की हाउस रोड, घंटाघर-परेड, श्याम नगर ब्रिज रोड आदि रोड्स पर चढ़ी धूल-गर्द की मोटी-मोटी पर्तें और बजरी खोल रहीं हैं। मोहल्लों की रोड्स का तो भगवान ही मालिक है।खूनी रोड कहलाने लगी ये


टाटमिल से किदवई नगर चौराहा होते हुए बाईपास तक जाने वाली खूनी रोड्स कहलाने लगीं। इस रोड पर वर्ष 2001 से मिड मार्च तक 335 रोड एक्सीडेंट्स हुए और 171 लोगों की को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसकी एक बड़ी वजह रोड पर फैली धूल-गर्द भी है। धूल के गुबार के कारण आगे चल रही गाडिय़ां तक नजर नहीं आती हैं। कई धूल-गर्द से बचने के लिए बाइक, स्कूटी सवार कार, ट्रक को ओवरटेक करने की कोशिश करते हैैं। जिसकी वजह से भी रोड एक्सीडेंट्स होते हैैं। केवल कागजों पर दौड़ रहे

आई नेक्स्ट की टीम थर्सडे को दोपहर एक बजे फजलगंज स्थित नगर निगम वर्कशॉप पहुंची तो दोनों रोड स्वीपर वहां खड़े मिले। असिस्टेंट डायरेक्टर सिटी क्लींनजिंग अम्बरीश यादव ने कहा कि रोड्स की सफाई के लिए दोनों रोड स्वीपर सुबह 6 बजे निकलते है। रूट चार्ट के मुताबिक चलते है। ट्रैफिक अधिक होने के कारण वो 10 बजे तक ही चलाए जाते हंै। लेकिन न तो वह रूट चार्ट दिखा पाए और न ही ये बता सके कि थर्सडे को रोड स्वीपर्स किन रोड्स की सफाई के लिए गए हुए थे। कानपुराइट्स को भी ये रोड स्वीपर्स सडक़ पर चलते नहीं नजर आते हैं। शायद कागजों पर ही दौड़ते रहते हैैं। तो फिर इनको खरीदा क्यों?असिस्टेंट डायरेक्टर अम्बरीष यादव ने कहा कि खराब रोड्स पर रोड स्वीपर नहीं चल पाते हैैं। इन्हें फजलगंज-जेके मंदिर, वीआईपी रोड, हैलट रोड, जीटी रोड, गोविन्द नगर रोड पर ही चलाया जाता है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब सिटी की ज्यादातर रोड्स खराब हैं तो इनको खरीदा क्यों?रोड स्वीपर्स की खूबियां-सडक़ साफ करने के लिए रोड स्वीपर में एक सेन्ट्रल ब्रश लगा है

-डिवाइडर व फुटपाथ के किनारे को साफ करने के लिए दो साइड ब्रश लगे हुए हैं
-वैक्यूम पाइप के जरिए इन ब्रशेज द्वारा इकट्ठा की गई धूल-गर्द को घसीट(सक) करके रोड स्वीपर के टैैंक में ले जाया जाता है-ऐसी जगह जहां सेंट्रल व साइड ब्रशेज काम न करे, उसके बैक साइड में भी हैंड हेल्ड वैक्यूम पाइप लगा होता, इसमें इतना प्रेशर होता है कि धूल-गर्द के साथ ईंट भी घसीट लेता है।-सफाई के दौरान धूल-गर्द उडऩे से रोकने के लिए पानी छिडक़ाव की भी व्यवस्था रोड स्वीपर में है।

Posted By: Inextlive