विदेश में जमा कालेधन को स्वदेश लाने की भारत की मुहिम की गति को और तेजी मिल सकती है. क्योंाकि कर मामलों में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए स्विटजरलैंड प्रशासनिक मदद मुहैया कराने को तैयार है.


छुपाया हुआ काला धन रखने के लिए लंबे समय से सुरक्षित पनाहगाह बने स्विटजरलैंड को गुप्त बैंकिंग सेवाएं देने के कारण वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है. इनमें भारत भी शामिल है. इसके चलते द ग्लोबल फोरम ऑन ट्रांस्पैरेंसी और एक्सचेंज ऑफ इंफारमेशन फॉर टैक्स परपजेज ने कहा है कि स्विटजरलैंड सहित कुछ देश ‘मांगने पर सूचना के आदान-प्रदान’ के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं. स्विटजरलैंड में दूसरे चरण की समकक्ष समीक्षा में फोरम ने स्वीकार किया है कि एल्पाइन राष्ट्र (आस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, मोनाको, स्लोवानिया, स्विटजरलैंड और लेचेस्टाइन) कर मामलों को और अधिक पारदर्शी बनाने में जुटे हैं.
पेरिस स्थित थिंक टैंक ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के एक बयान में कहा गया है, ‘स्विटजरलैंड अब ‘मांग पर सूचना के आदान-प्रदान’ के अपने प्रभावी क्रियान्वयन का निर्धारण कर रहा है. साल 2016 की दूसरी छमाही में इसकी रिपोर्ट आएगी.’ भारत सहित 120 से अधिक देश फोरम के सदस्य हैं. फोरम ने प्रथम चरण की समकक्ष समीक्षा में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सूचना के आदान-प्रदान के लिए कानूनी ढांचे की जरूरत का अवलोकन किया था, जबकि दूसरे चरण में प्रभावी आदान-प्रदान को लेकर परीक्षण हुआ.

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Posted By: Molly Seth