क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: स्टेट के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज व हास्पिटल रिम्स का सालाना बजट 374 करोड़ रुपए है. जाहिर है इस रकम से मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं. लेकिन, यहां स्थिति बिल्कुल उलट है. एक ओर जहां मरीज का ऑक्सीजन मास्क डॉक्टर द्वारा हटाने के बाद मौत का मामला सोमवार को सामने आया है. वहीं, दर्जन भर मरीजों को लेकर रिम्स की 10 नंबर लिफ्ट फ‌र्स्ट फ्लोर से ही धड़ाम से गिर गई. शुक्र है मरीजों की जान बाल-बाल बच गई. इतना ही नहीं, रेडियोलॉजी की मशीनों के काम नहीं करने से आजिज आकर डिपार्टमेंट के पीजी स्टूडेंट्स ने मंगलवार से पेन डाउन स्ट्राइक पर जाने का एलान कर दिया है. साथ ही कहा है कि यदि मशीनों को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया तो भूख हड़ताल पर चले जाएंगे. इधर, स्ट्राइक पर जाने से जो भी थोड़ा-बहुत अल्ट्रासाउंड व एमआरआई टेस्ट हो रहा था, वो प्रभावित होगा. इसका खामियाजा भी मरीजों को ही भुगतना पड़ेगा. इसके साथ ही रिम्स में व्यवस्था की पोल खुल गई है. वहीं, इतना सबकुछ होने के बावजूद रिम्स मैनेजमेंट मौन धारण किए हुए है.

गिरी लिफ्ट, दर्जन भर मरीजों के उड़े होश

चौथे फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर आने के लिए लिफ्ट नंबर 10 में एक दर्जन मरीज समेत अन्य लोग सवार हुए. इस बीच एक युवक मो. अताउल्लाह भी लिफ्ट में घुस रहा था कि उसका पैर गेट में ही फंस गया. तभी किसी ने लिफ्ट का बटन दबा दिया और लिफ्ट चालू हो गई. इसके बाद युवक लिफ्ट में गिर गया. इतना ही नहीं, लिफ्ट फ‌र्स्ट फ्लोर पर पहुंचने के बाद अचानक से गिर गई. इसके साथ ही लिफ्ट में धुआं भर गया. इसके बाद तो लिफ्ट में सवार लोगों के होश उड़ गए, जिसमें एक दर्जन लोगों की सांसे कुछ देर के लिए रुक-सी गई. हालांकि, इस दुर्घटना में एक युवक का पैर फ्रैक्चर हो गया. जबकि कई अन्य लोगों को केवल झटका महसूस हुआ.

एक दिन का बच्चा भी था लिफ्ट में

लिफ्ट में सवार लोगों में रौशन आरा भी थी. उनके हाथ में एक दिन का बच्चा था जिसे इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था. लेकिन उसे लिफ्ट के गिरने से कुछ नहीं हुआ. हालांकि लिफ्ट में सवार अन्य लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. ऐसे में लिफ्ट के रुकते ही सभी तेजी से बाहर निकले. तब जाकर उनकी सांस में सांस आई और उन्होंने भगवान का धन्यवाद किया.

.....

पता नहीं क्या होता, थैंक्स गॉड

लिफ्ट ऊपर से ही थोड़ी तेज थी. लेकिन हमलोग इमरजेंसी में बच्चे को लेकर जा रहे थे. अगर पता होता तो हमलोग लिफ्ट में नहीं चढ़ते. इसके बाद लिफ्ट नीचे पहुंचने वाली थी कि अचानक से गिर गई. इससे झटका महसूस हुआ और धुआं भर गया. लिफ्ट में कोई चलाने वाला नहीं था.

रौशन आरा

लिफ्ट तेज चल रही थी लेकिन नीचे आते ही धड़ाम से गिर गई. हमलोग तो बच गए. अगर लिफ्ट ऊपर से गिरता तो पता नहीं क्या होता. मरीज को इलाज के लिए बाहर ले जा रहे थे. लेकिन घटना के बाद मरीज को रोक दिया है.

पिंकी

.........

दवा के लिए 19 करोड़ रुपए

मरीजों को सभी दवाएं उपलब्ध कराने के लिए रिम्स प्रबंधन ने 2017-18 में 19 करोड़ रुपए खर्च किया था. इसके बावजूद न तो ओपीडी दवा वितरण केंद्र में मरीजों को मुफ्त में दवाएं मिल पाती हैं और न ही इनडोर में इलाज करा रहे मरीजों को. इनडोर में इलाज कराने वाले मरीजों को भी स्लाइन और कुछ दवाएं ही मिल पाती हैं जिससे कि उनका काम चल जाता है.

मशीन के लिए 115 करोड रुपए

किसी भी हॉस्पिटल में मशीनों और इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना मरीजों का इलाज नहीं हो सकता. इसलिए रिम्स प्रबंधन को पिछले वित्तीय वर्ष में 115 करोड़ रुपए मशीनों की खरीदारी के लिए मिले थे. इसके बाद भी रिम्स में लगी मशीनें चालू हालत में नहीं हैं. इससे ज्यादातर समय मरीजों को जांच के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha