स्वच्छता सर्वेक्षण 2019

अभी तक एक भी बाजार डिस्पोजल फ्री जोन नहीं हो सका

रश्म अदायगी कर ठंडे बस्ते में चला गया पॉलीथिन मुक्त अभियान

आगरा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में इंदौर आखिर देश में पहले पायदान पर कैसे पहुंचा और ताजनगरी कैसे 85वें स्थान पर रह गई, इसका जवाब जिम्मेदारों को खुद तलाशना होगा। बड़े-बड़े नियम कायदे और जागरूकता अभियान तो चलाया गया लेकिन उनको अमल में नहीं लाया गया। यही कारण है कि ताजनगरी में अभी तक डिस्पोजल फ्री जोन बाजार तक तैयार नहीं हो सका है। न ही शहर अभी तक पॉलीथिन से मुक्ति पा सका है। पॉलीथिन मुक्त अभियान रश्म अदायगी के बाद ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद अफसरों ने पूरी तरह से अभियान को भुला दिया। ऐसे ही ताज नगरी के कुछ चुनिंदा सवाल हैं। तफ्तीश करती ये रिपोर्ट

कागजों में सिमटी कार्रवाई, फिर भी अफसरों ने अपनी पीठ थपथपाई

शहर में पॉलीथिन मुक्त अभियान की कार्रवाई कागजों में सिमट कर रह गई, इसके बावजूद भी जिम्मेदार अफसरों ने खूब अपनी पीठ थपथपा ली। जिम्मेदारों ने छोटे-मझले दुकानदारों पर कार्रवाई कर खूब वाहवाही बटोरी, लेकिन धरातल पर आज भी प्लास्टिक के सामान और पॉली कैरीबैग धड़ल्ले से उपयोग किए जा रहे हैं। हकीकत में न तो पॉलीथिन रुकी न थर्माकोल के ग्लास। शासन ने इसके लिए तीन महीनों में अलग-अलग शासनादेश जारी किए थे। इसके लिए जिम्मेदारियां भी निर्धारित की गई थीं। यही कारण रहा है कि हम टॉप-टेन की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन उम्मीद 85वें स्थान पर जाकर टिक गई।

रोक होने के बाद भी धड़ल्ले से बिक रही पॉलीथिन

प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई 2018 को 50 माइक्रोन से कम पतली पॉलीथिन की ब्रिकी पर रोक लगा दी है। बावजूद इसके बाजार में धड़ल्ले से पॉलीथिन बेची जा रही है। नगर निगम के अधिकारी जब भी पॉलीथिन के खिलाफ अभियान चलाते हैं, तो केवल छोटे- मझले दुकानदारों पर ही कार्रवाई कर अपनी इतिश्री पूरी कर लेते हैं। बड़े जो दुकानदार है, जो थोक विक्रेता हैं, पॉलीथिन कैरी बैग और थर्माकॉल के ग्लास और प्लेट का भंडारण करते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। है। इसके बाद सभी जोन में अभियान चलाया गया था। जोनवार टीमें बनाई गई थी।

शासन की तरफ से ये आए आदेश

पहला शासनदेश 15 जुलाई 2018

उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा कचरा अधिनियम 2000 उ.प्र। अधिनियम संख्या 29 की धारा 6 क 7, 12 और 13 क के तहत अनुच्छेद 243 के अधीन गठित नगर पंचायत नगर पालिका नगर निगम या राज्य की औद्योगिक नगरी में आने वाले क्षेत्रों में 50 माइक्रोन से कम घनत्व के पॉलीथिन, प्लास्टिक कैरीबैग का उपयोग, विनिर्माण, विक्रय, वितरण भंडारण परिवहन आयात या निर्यात को तत्काल प्रभाव से बंद किया गया।

दूसरा शासनादेश 15 अगस्त 2018

अनुच्छेद 243 के अधीन गठित नगर पंचायत नगर निगम या राज्य की औद्योगिक नगरी में आने वाले क्षेत्र में एक बार उपयोग के पश्चात निस्तारण योग्य कपों, गिलासों प्लेटों, चम्मचों, टबंलरों, का उपयोग विक्रय, वितरण, भंडारण, परिवहन, आयात या निर्यात को प्रतिबंधित किया गया।

तीसरा शासनादेश 2 अक्टूबर 2018

अनुच्छेद 243 के अधीन गठित, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम या राज्य की औद्योगिक नगरी के आने वाले क्षेत्र में समस्त प्रकार के निस्तारण योग्य प्लास्टिक, कैरी बैग, थर्माकोल के गिलास, कप प्लेट, के उपयोग, विक्रय, वितरण, भंडारण, परिवहन, आयात, निर्यात को 2 अक्टूबर 2018 से प्रतिबंधित किया जाता है।

ये जुर्माना राशि की गई थी निर्धारित

वस्तु का नाम निर्धारित जुर्माना राशि

थर्माकोल की वस्तु

100 ग्राम मिलने पर 1000

101 से 500 ग्राम 2000

501 से 1 किलोग्राम 5000

1 किलोग्राम से 5 किलोग्राम 10,000

5 किलोग्राम से अधिक 25000

किसी संस्था वाणिज्यिक संस्था, प्रतिष्ठान, शैक्षिक संस्था कार्यालयों, होटलों, दुकानों, रेस्तरांओं, मिष्ठान, दुकानों, ढाबों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों भोजन कक्षों, सड़कों, मार्गो, नालों, नदियों, सार्वजनिक पार्को, समस्त सार्वजनिक स्थलों आदि पर प्लास्टिक वेस्ट फेंके जाने पर 25000 रुपये का जुर्माना है।

व्यक्तियों द्वारा किन्हीं निजी या वाणिज्यक प्रतिष्ठानों व शैक्षिक संस्थाओं, कार्यालयों, होटलों, दुकानों, रेस्तरांओं, मिष्ठान, दुकानों आदि स्थानों पर प्लास्टिक कचरा फेंके जाने पर 1000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है

शासनादेश के अनुपालन को इनको मिली थी जिम्मेदारी

- समस्त जिला मजिस्ट्रेट

- नगर आयुक्त

- अपर नगर आयुक्त

- सफाई निरीक्षक

- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता

- सीडीओ

- पर्यटन अधिकारी

- खाद्य एवं सुरक्षा निरीक्षक

Posted By: Inextlive