- बिहार में चमकी बुखार से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद डीजे आई नेक्स्ट ने सिटी के हॉस्पिटल्स में तैयारियों का हाल जाना

-बच्चों पर एक्यूट इंसेफ्लाइटिस समेत मौसमी बीमारियों का असर, कानपुर और आसपास से एईएस से इंफेक्टेड बच्चे पहुंच रहे मेडिकल कॉलेज

- गवर्नमेंट हॉस्पिटल में वायरस को पहचानने तक की सुविधा नहीं, इलाज के भी बेहतर इंतजामों की आस में बैठा है हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन

KANPUR: एक तरफ जहां बिहार में चमकी बुखार लगातार बच्चों की जान ले रहा है। वहीं अपने शहर में भी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस समेत कई मौसमी बीमारियों का असर बच्चों पर पड़ रहा है। कानपुर और आसपास के क्षेत्रों से एईएस से इंफेक्टेड बच्चे गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज पहुंच रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है कि यहां पर एईएस के इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं हैं। इसलिए डॉक्टर्स लोगों को हिदायत दे रहे हैं कि बच्चों को मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें कुछ खास सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। हालांकि इसको लेकर पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स अपने स्तर पर पूरी सतर्कता बनाए रखने का दावा कर रहे हैं।

वायरस की पहचान तक नहीं

एईएस को वाटर बार्न डिजीज माना जाता है, क्योंकि इसका वायरस पानी के जरिए शरीर में जाता है। जोकि आगे चल कर दिमाग और रीढ़ की हड्डी में सूजन के साथ बच्चे को बीमार कर देता है। इंफेक्शन किस तरह के वायरस से हुआ। इसकी जांच की सुविधा कानपुर में सरकारी या निजी पैथोलॉजी में नहीं है। इसके लिए सैंपल को दिल्ली में एनआईसीडी या फिर नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजना पड़ता है। कल्चर जांच के जरिए ही वायरस की पुष्टि होती है, जिसके आधार पर ट्रीटमेंट चलता है।

वैक्सीन की अपनी लिमिटेशन

बालरोग विशेषज्ञ डॉ। मनीष बाजपेई बताते हैं कि अभी जापानी इंसेफ्लाइटिस की वैक्सीन आई है, लेकिन इंसेफ्लाइटिस में कई तरह के वायरस होते हैं। उन सबके लिए कोई विशेष वैक्सीन डेवलप नहीं हुई है। ऐसे में वैक्सीन की अपनी लिमिटेशन है।

एईएस में हाई मार्टेलिटी

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस के शिकार बच्चों में मार्टेलिटी की संभावना काफी ज्यादा होती है। मेडिकल कालेज के बालरोग अस्पताल में ही कई जिलों से इसके शिकार बच्चे बेहद नाजुक हालत में भर्ती होते हैं। हालाकि इमरजेंसी और एनआईसीयू में लगातार इसका ट्रीटमेंट जारी है। जिससे कई बच्चों की जान भी बचाई गई है।

सीजन में बच्चों की सबसे कॉमन बीमारियां

- डायरिया, टायफाइड, एक्यूट इंसेफ्लाइटिस, वायरल हेपेटाइटिस, ज्वाइंडिस

-एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के लक्षण

अचानक तेज बुखार आना, सिर में भीषण दर्द होना, झटके आना,गर्दन अकड़ जाना, बेहोशी, उल्टी आना, शरीर में बेहद कमजोरी लगना

बच्चों को स्वस्थ बनाने को इन बातों का रखें ख्याल

- गंदगी से बचे, बच्चों को साफ सुथरे तरीके से रहना सिखाएं

- बच्चे हाथ धो कर ही हर चीज खाएं

- बच्चा एक्टिव रहे इसके लिए उसे खेलने कूदने का मौका दे, वीडियोगेम और फास्ट फूड से दूर रखें

- बच्चों को भी सभी तरह के मौसमी फल खिलाएं

- घर के आसपास जल भराव और मच्छर हों तो दवा का छिड़काव कराएं

- शुरुआती 6 महीने की उम्र में बच्चे के लिए सबसे अच्छी दवा मां का दूध ही है

- बच्चों के वैक्सीनेशन शेडयूल को समय पर और पूरा कराएं

- बच्चे के बीमार होने पर उसे इधर उधर की बजाय सीधे किसी पीडियाट्रिशियन को दिखाएं

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वर्जन-

डायरिया से लेकर एईएस, टायफाइड जैसी कई बीमारियां इस सीजन में बच्चों को होती है। अब बारिश के बाद वाटर बार्न के साथ वेक्टर बार्न डिसीज का भी असर बढ़ेगा। ऐसे में पहले से सावधानी बरतने से बच्चे को बीमार होने से बचाया जा सकता है।

- डॉ। एके आर्या, प्रोफेसर, बालरोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज

Posted By: Inextlive