एक बार स्व. लालबहादुर शास्त्री से उनके एक मित्र ने पूछा शास्त्री जी आप हमेशा प्रशंसा से दूर रहा करते हैं और आदर-सत्कार के कार्यक्रमों को टाला करते हैं। ऐसा क्यों?

एक बार स्व. लालबहादुर शास्त्री से उनके एक मित्र ने पूछा, शास्त्री जी आप हमेशा प्रशंसा से दूर रहा करते हैं और आदर-सत्कार के कार्यक्रमों को टाला करते हैं। ऐसा क्यों?

शास्त्रीजी ने हंसकर जवाब दिया, इसका कारण यह है कि एक बार लाला लाजपतरायजी ने मुझसे कहा था, लालबहादुर, ताजमहल बनाने में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हुआ है-एक बहुमूल्य संगमरमर पत्थर, जिसका उपयोग गुंबद के लिए तथा यत्र-तत्र किया गया है। दूसरा साधारण पत्थर है, जिसका उपयोग ताजमहल की नींव में किया गया है। इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। लालबहादुर, हमें अपने जीवन में इस दूसरे प्रकार के पत्थर का ही अनुकरण करना चाहिए। अपनी प्रसिद्धि, प्रशंसा तथा आदर-सत्कार से सदा दूर रहकर सत्कर्म करते रहना चााहिए। उनकी यह सीख मेरे मन में पैठ गई है और मैं उस नींव के पत्थर का अनुकरण करता रहता हूं।

कथासार

दिखावे की बजाय दूसरों की मदद के लिए कार्य करते रहना चाहिए।

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Posted By: Kartikeya Tiwari