अपने मूवी सेलेक्शन से तापसी पन्नू ने एक बात तो साफ कर दी है कि वह उन इस वजह से किसी मूवी का हिस्सा बन जाती हैं क्योंकि उसमें वह किसी 'ए-लिस्टÓ एक्टर के अपोजिट नजर आने वाली हैं. फिल्म इंडस्ट्री में अपने सफर पर क्या कहना है तापसी का आइए जानते हैं...

 

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KANPUR: जब एक्टर्स एक वक्त पर सिर्फ एक ही मूवी करना चाहते हैं, ऐसे में 2018 में आपकी 5वीं मूवी रिलीज हुई है। आप थकती नहीं हैं?

जब आपके सामने कोई इंटरेस्टिंग किरदार आता है तो थकान बहुत दूर की चीज हो जाती है। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की है। मनमर्जियां इस साल आने वाली मेरी आखिरी मूवी थी। 

आपकी मूवी 'मुल्क' को काफी अप्रीशिएट किया गया था। क्या आप इसको मिले रिस्पांस से सरप्राइज्ड थीं?

यह तीन और मूवीज (फन्ने खां, कारवां और विश्वरूप 2) के साथ रिलीज हुई थी। इसका सब्जेक्ट भी थोड़ा 'पोलराइजिंग' था पर मुझे उम्मीद थी कि यह मूवी चलेगी। मैं 'कनवेंशनल' एक्टर तो नहीं हूं पर मैं 'ऑफ-बीट' एक्टर भी नहीं हूं। आप मुझे 'न्यू-एज' एक्टर कह सकते हैं। मुल्क ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने वाली मूवी थी और मैंने इसे इसलिए चुना क्योंकि मैं खुद कॉमर्शियल मूवीज देखने वाली ऑडियंस में से एक हूं। मूवीज को लेकर मेरी च्वॉइस मेरे मिडिल-क्लास माइंडसेट पर बेस्ड होती है। क्या मैं एक मूवी पर ढाई घंटे के लिए 200 रुपए खर्च करूंगी? मैं सिनेमा स्टूडेंट नहीं हूं। मैं हिंदी मूवी ऑडियंस हूं जो पैसा वसूल मूवी देखना पसंद करती है। मनोरंजन का मतलब पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचना या गाना नहीं रह गया है। हो सकता है कि मेरी पॉलिटिकल नॉलेज ज्यादा न हो पर मुल्क का सब्जेक्ट ऐसा नहीं था जिसके बारे में मुझे कुछ पता न हो। 

क्या 'जुड़वा 2' मूवी के चलते आपने जो फैन्स खोए थे, वे फिर आपको मिल गए हैं?

जी हां, बिल्कुल। मेरे फैन्स मुझे वापस मिले हैं पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं ऐसी मूवीज फिर से नहीं करूंगी। जब तक कि मेरी सोलो मूवी 100 करोड़ रुपए का बिजनेस क्रॉस नहीं करती, मुझे नई ऑडियंस की तलाश करते रहनी होगी।

आपने 'जुड़वा 2' के 'सेक्सिज्म' को जानने के बावजूद उसके लिए हामी कैसे भर दी? 

मूवी के सेट पर मैंने बहुत एंज्वॉय किया। यह एक ऐसी मूवी थी जिसे मैं मजे के लिए देखना पसंद करूंगी। जब कोई बिना दिमाग इस्तेमाल किए रिलैक्स करना चाहता है तो ऐसी मूवीज बहुत मददगार साबित होती हैं। एग्जाम्पल के तौर पर, मुल्क बहुत हेवी सब्जेक्ट वाली मूवी थी। इसकी शूटिंग से लौटने के बाद मैं टीवी शो गॉसिप गर्ल देखती थी। जब कोई 12 घंटे काम करता है तो ऐसी चीजें उसमें फिर से एनर्जी भर देती हैं। अगर ऐसी मूवीज नहीं होंगी तो 'हार्ड-हिटिंग' कंटेंट अपना इम्पैक्ट खो देगा। एक्टिंग भी आपको मेंटली थका सकती है। मनमर्जियां की शूटिंग के बाद मैं 'रूमी' के किरदार को अपने साथ घर ले आती थी। मैं अग्रेसिव थी और किसी को भी पंच करने के लिए तैयार रहती थी। मेरी बहन को मुझसे बहुत डर लगता था। 

एक्टर्स को गुस्सा होने की इजाजत होती है?

(हंसते हुए) मैं एक नैचुरल एक्टर हूं। अगर कोई चोरी-छिपे मेरी तस्वीर ले रहा होगा तो मैं उसका फोन तोड़ने के बाद माफी भी नहीं मांगूंगी। आप आराम से मेरे पास आइए, मुझसे पूछिए, मैं आपको निराश नहीं करूंगी। 

फीमेल एक्टर्स के एम्पावर्मेंट के बावजूद 'मी टू' मूवमेंट का असर यहां क्यों नहीं दिख रहा?

कल्चर के तौर पर हम वेस्ट से अलग हैं। आप सोचकर देखिए कि ऑस्कर जैसा सेटअप है जहां आर्टिस्ट्स सबके सामने दिग्गज पॉलिटीशियंस को क्रिटिसाइज कर रहे हों। यहां अगर हम किसी पिछड़ी सामाजिक सोच के बारे में भी बोलेंगे तो हमारे घर पर पत्थर फेंके जाएंगे। महिलाएं यहां हमेशा खतरे में रहती हैं और उन्हें इस बात से बहुत फर्क पड़ता है कि लोग क्या कहेंगे। पर मुझे उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी। सोसाइटी में बोलना महिला के लिए उसकी स्ट्रेंथ और स्पीरिट का टेस्ट है। 'जेंडर इनइक्वैलिटी' इस इंडस्ट्री में मेरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। मुझे परेशानी होती है कि लोग फीमेल लीड वाली मूवीज देखने कम आते हैं। 'ए-लिस्ट' एक्टर्स उन मूवीज में काम नहीं करते जिनमें फीमेल लीड का कैरेक्टर स्ट्रॉन्ग होता है। आज भी मुझे अपनी मूवी के लिए एक्टर्स मिलने में परेशानी होती है। अगर मैं बड़ी मूवीज में छोटे रोल करने को तैयार हूं तो एक्टर्स को भी ऐसा करना चाहिए, जैसा नाम शबाना में अक्षय कुमार ने किया था। दरअसल, फीमेल एक्टर्स के अच्छा करने से मेल 'ईगो' पंक्चर हुआ है। 

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Posted By: Swati Pandey