भारतीय जनता पार्टी भाजपा और तेलुगू देसम पार्टी तेदेपा के बीच हाल में हुआ चुनावी गठबंधन सहजीवी रिश्ते का सबसे दिलचस्प नमूना है.


गठबंधन का लाभ और नुकसान बराबर हैं. लेकिन अगर आने वाले वक़्त के संदर्भ में देखे तो हो सकता है भाजपा आंध्र प्रदेश में अच्छी तरह से अपनी जड़ें फैलाने और आधार बनाने की अपनी रणनीति को दोहराने जा रही है जैसा 1998 में पार्टी ने कर्नाटक में किया था.इसमें किसी को संदेह नहीं कि तेदेपा को नए राज्य तेलंगाना में भाजपा की ज़रूरत है और अगले दो महीने में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद सीमांध्र में भाजपा को तेदेपा की ज़रूरत होगी.साखतेलंगाना के 119 विधानसभा सीटों और 17 लोकसभा सीटों पर 30 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं जबकि सीमांध्र के 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर सात मई को चुनाव होने वाले हैं.


वरिष्ठ पत्रकार जेबीएस उमानाध ने कहा, ''तेलंगाना में भाजपा के समर्थन की ऐतिहासिक वजहें भी हैं. आरएसएस ने आजादी के बाद भारतीय संघ के साथ तत्कालीन निज़ाम के राज्य के विलय के रजाकार आंदोलन का विरोध किया था.उमानाध और श्रीधर दोनों इस बात पर सहमत दिखाई देते हैं कि आने वाले वक़्त में इस गठबंधन से भाजपा को फ़ायदा पहुँचने वाला है. वर्तमान में यह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अपना विस्तार तेलंगाना और सीमांध्र में करने में मदद पहुँचाएगा.

पूर्व में रामकृष्ण हेगड़े के सहयोगी रहे कांग्रेस पार्टी के श्रीधर मूर्ति कहते हैं, ''यह कदम भाजपा को तेलंगाना और सीमांध्र दोनों जगहों पर अपने जड़ों को मजबूत करने में मदद करेगा. दिवंगत रामकृष्ण हेगड़े की लोक शक्ति पार्टी के साथ इसी तरह के एक गठबंधन का इस्तेमाल भाजपा ने 1998 में कर्नाटक में अपना आधार बनाने में किया था.''कर्नाटक में 1983 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कुछ मुट्ठी भर सीटों तक सिमट कर रह गयी थी तब कर्नाटक में हेगड़े ने पहली ग़ैर-कांग्रेसी सरकार का गठन किया था. 1994 में कांग्रेस के हारने और जनता दल के टूटने के बाद हेगड़े ने लोक शक्ति पार्टी का निर्माण किया था.लिंगायत समुदायभाजपा का लिंगायत समुदाय के बीच अपना आधार बनाया और वी एस येदीरूप्पा 2008 में भाजपा के मुख्यमंत्री बने.पार्टी को उत्तरी कर्नाटक के जिलों में काफ़ी समर्थन प्राप्त है जहां वर्चस्वशाली समुदाय के लोग और ऊँची जाति के लिंगायत समुदाय के लोग हेगड़े को अपना नेता मानते थे. इसके बावजूद कि वो ब्राह्मण थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि राजीव गांधी द्वारा वीरेन्द्र पाटिल को एयरपोर्ट पर ही मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद लिंगायत समुदाय में नेता का अभाव था.

लोक शक्ति पार्टी और भाजपा 1998 और 1999 में गठबंधन में रहते हुए चुनाव लड़े.हेगड़े ने गठबंधन के लिए समर्थन जुटाने के लिए ताबड़ तोड़ अभियान चलाए. भाजपा ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की और लोक शक्ति पार्टी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. हेगड़े अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाए गए.मूर्ति ने कहा, ''भाजपा ने लिंगायत समुदाय के बीच अपना आधार बना कर गठबंधन का फ़ायदा उठाया. जल्दी ही हेगड़े को दरकिनार कर दिया गया. इस जातीय आधार पर काम कर के वीएस येदियुरप्पा 2008 में भाजपा के मुख्यमंत्री बने. इसी तरह की रणनीति तेलंगाना और सीमांध्र में भी मालूम पड़ती है.वो कहते हैं, ''तेदेपा मुख्य तौर पर खाम्मा समुदाय की पार्टी है. एनटी रामाराव और चंद्रबाबू नायडू इस समुदाय से संबंध रखते हैं. इनकी तदाद सीमांध्र की ही तरह तेलंगाना में भी ज़्यादा नहीं है लेकिन इसे तेलंगाना में अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन प्राप्त है जो भाजपा को समर्थन देना पसंद नहीं करते हैं.उमाधान ने कहा, ''यह भाजपा की लंबी अवधि की योजना हो सकती है. इसे कोई खारिज नहीं कर सकता. ''भाजपा के आंध्रप्रदेश विधानसभा में दो सदस्य है और दोनों ही तेलंगाना क्षेत्र से हैं.

Posted By: Subhesh Sharma