भारत के पांच टीचर और स्टूडेंट जिन्होंने देश को दी दिशा
(1) द्रोणाचार्य और अर्जुन :-
महाभारत के सबसे चर्चित पात्र अर्जुन और द्रोणाचार्य को कोई नहीं भूल सकता। इस गुरु-शिष्य की जोड़ी ने वो कारनामा कर दिखाया जो एक इतिहास बन गया। द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के राजगुरु थे। द्रोणाचार्य ने इन्हें बचपन से ही शिक्षा देने शुरु कर दिया था। वैसे द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों में कोई भेद नहीं किया लेकिन फिर भी अर्जुन उनके सबसे प्रिय शिष्य बन गए। अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर माने जाते थे। जब महाभारत का युद्ध शुरु हुआ, तो अर्जुन उस समय संकट में फंस गए जब उनके गुरु द्रोणाचार्य उनके विरोधी सेना में खड़े थे। हालांकि तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन की इस दुविधा का समाधान निकाला और पांडव युद्ध जीत गए। लेकिन अर्जुन और द्रोणाचार्य की गुरु-शिष्य की जोड़ी विश्व विख्यात हो गई।
(3) बैरम खान और अकबर :-
अकबर एक बेहतरीन शासक तो थे लेकिन उनके पीछे एक ऐसा चेहरा खड़ा था जिसने अकबर को महान बनने का मौका दिया। जी हां वह शख्स थे बैरम खां। बैरम खां अकबर के संरक्षक, अभिभावक और शिक्षक सबकुछ थे। बैरम खां ने अकबर को बचपन से ही पाला और उन्हें एक कुशल शासक बनाया। बैरम ने ही अकबर को राजनीति और रणनीति में कुशल बनाया, जिसके चलते अकबर को कई युद्धों में सफलता भी मिली। हालांकि बाद में अकबर के कुछ नजदीकी लोगों ने उन्हें बैरम खां के खिलाफ भड़का दिया, जिसके बाद स्िथति धीरे-धीरे बिगड़ती चली गई। लेकिन आज भी अकबर की पॉपुलैरिटी का श्रेय बैरम खां को ही जाता है।
(5) दादाभाई नौरोजी और महात्मा गांधी :-
देश की आजादी में महान योगदान देने वाले महात्मा गांधी को अगर राष्ट्रपिता कहा जाता है। तो वहीं उनके गुरु दादा भाई नौरोजी को 'भारतीय राजनीति का पितामह' कहा जाता है। वह दिग्गज राजनेता, उद्योगपति, शिक्षाविद और महान विचारक थे। महात्मा गांधी ने दादाभाई से काफी कुछ सीखा। इसका यह परिणाम निकला कि, महात्मा गांधी ने भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाकर ही दम लिया।