-टेक्नोलॉजी के माध्यम से मदर्स अब स्मार्टली निभाती हैं जिम्मेदारी

-हर ऐज ग्रुप की महिला आज टेक्नोफ्रेंडली होनी करती हैं

प्रिफर

- एक मां के तौर पर कई जिम्मेदारियों को निभाने में टेक्नोलॉजी करती है मदद

DEHRADUN: 'मां' एक ऐसा शब्द जिसकी पूरी दुनिया उसके बच्चे और परिवार हैं। ये शब्द महज एक रिश्ता नहीं बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है। अगर दशक भर पहले की बात करें, तो हम देखेंगे कि जहां एक तरफ लोगों के रहन-सहन में बदलाव आया है। वहीं रिश्ते निभाने का अंदाज भी बदला है। 'मेरी प्यारी मां' बदलकर अब 'माई सुपर मॉम' हो गया है। जहां कुछ समय पहले तक मां सिर्फ घर के किचन में एरिया तब सीमित थी। वहीं अब 'स्मार्ट मॉम' हर चीज में टेक्नोलॉजी में अपग्रेड होने की वजह से प्रॉब्लम सॉल्वर है, शायद इसी लिए बच्चे भी अपनी मां को सुपर मॉम कहकर बुलाते हैं। मदर्स डे के मौके पर आई-नेक्स्ट ने दून की कुछ ऐसी की 'सुपर मॉम्स' से बात की, जिन्होंने अपनी बदलती हुई जिम्मेदारियों को स्मार्ट टेक्नोलॉजी के जरिए बेहतरी से निभा रही है।

वीना अग्रवाल

ब्8 वर्षीय वीना अग्रवाल पेशे से भरतनाट्यम डांसर हैं। बेटी श्रुति की शादी तीन साल पहले की। शादी के बाद बेटी अक्सर अपने पति के साथ अब विदेश रह रही थी। ऐसे में अपनी लाडली से संपर्क बनाए रखना, ये उससे जुड़े हुए रिश्तों को आगे निभाने में कम्यूनिकेशन गैप की समस्या अक्सर वीना को खलती। लेकिन पिछले एक साल से स्मार्ट फोन और लैपटॉप में वेब सर्विसेज के टच में आने के बाद उनकी ये समस्या बिल्कुल खत्म हो गई। हजारों मीलों दूर बैठी अपनी बेटी से अब वीना जहां वीडियो चैट करती हैं, वहीं दूसरी ओर पिक्चर व विडियो शेयरिंग के जरिए बेटी के ससुराल वालों से बातचीत करने में काफी आसानी होती है। वीना कहती हैं, जब मैंने शुरुआसत में सीखना शुरू किया तो परेशानी हुई, लेकिन मेरे स्टूडेंट्स की हेल्प के साथ ही मैं कुछ ही समय में व्हॉट्स एप, फेसबुक से काफी फ्रेंडली हो गई। टेक्नोफ्रेंडली होना बहुत ज्यादा जरूरी है। आज के समय में ये आपको हर तरह की चीजों को मैनेज में करने में टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा मदद करता है।

रश्मि सारस्वत

ख्9 वर्षीय रश्मि सारस्वत हाउस वाइफ हैं। उनकी पांच साल की एक बेटी अवनी भी है, जो क्लास फाइव में पढ़ती है। भले ही अवनी पांच साल की हो, लेकिन टेक्नोलॉजी के मामले में उसका कोई जवाब नहीं। अब बेटी टेक्नो स्मार्ट है तो मां का भी होना लाजमी है। रश्मि कहती हैं, कि उनके टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होने का फायदा सबसे ज्यादा अवनी को संभालने में होता है। अवनी की अब कई चीजें अक्सर वो ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए ही खरीदती है। इसके अलावा घर के सामान की खरीदारी के लिए भी ऑनलाइन शॉपिंग ही बेस्ट मानती हैं। जिससे न ही सिर्फ टाइम सेफ होता है बल्कि महज एक शॉपिंग पपर्ज की वजह से बाकी काम प्रभावित नहीं होते हैं।

रीटा शाह

म्0 वर्षीय रीटा शाह के लिए टेक्नो व‌र्ल्ड में आना बहुत ही रोचक अनुभव रहा है। क्योंकि इन्होंने जिंदगी के हरा एक पड़ाव को देखा है। जहां चिट्ठियों के दौर से लेकर व्हॉट्स एप तक वो हर चीज से बखूबी वाकिफ हैं। रीटा शाह के दो बच्चे हैं। बेटी तनु की शादी दिल्ली हुई है, जबकि बेटा मुदित साथ में ही रहता हैं। बतौर मां के अभी भी उनकी काफी जिम्मेदारियां है, जिसे उन्हें निभाना होता है, जो सच में उतनी आसान नहीं है। रीटा शाह कहती है, पहले और अब के समय में काफी फर्क आ गया है। अब रिश्ते निभाने का भी अंदाज बदल गया है, टेक्नोलॉजी का इन्वॉल्वमेंट बहुत ज्यादा है। शुरुआत में इसे फ्रेंडली होने में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन इसे सीखने के बाद कई चीजें शॉर्ट आउट हो गई हैं। बेटी से कम्युनिकेशन रखने में आसान होती है। सरप्राइज शॉपिंग से कई बार बिटिया को सरप्राइज भी किया है।

कविता बिष्ट

फ्8 साल की कविता बिष्ट भी इन्हीं स्मार्ट और सुपर मॉम की गिनती में आती हैं। जिन्होंने टेक्नोलॉजी को ऐसे अपनाया कि उनके लिए अपनी दोनों बेटियों की जिम्मेदारी निभाना आसान हो गया। हसबैंड मर्चेट नेवी में कार्यरत होने की वजह से बेटियों की काफी जिम्मेदारी कविता पर रहती हैं। ऐसे में टेक्नोलॉजी ही है, जो अपनी बेटियों की जिम्मेदारी निभाने में मदद करती है। बेटियों के लिए शॉपिंग करना हो, या फिर उनके बाहर जाने पर फोन के जरिए लिंक में रहना हो, इसके अलावा उनकी पढ़ाई संबंधी चीजों की जानकारी कलेक्ट करना हो। वो अपने स्मार्ट फोन के डिफरेंट एप के जरिए बस चुटकियों में करती हैं.कविता कहती हैं कि हसबैंड बाहर रहते हैं, ऐसे में कई बातें उन से डिस्कस करनी होती है, वीडियो चैट के माध्यम से वो गैप भी खत्म हो गया है। हम हर बात शेयर करके उसे इजीली शॉर्ट आउट कर लेते हैं।

Posted By: Inextlive