क्कन्ञ्जहृन्: कर्नाटक में जारी राजनीतिक घामासान की गरमी बिहार तक पहुंच चुकी है। लालू की जेल, बीमारी और तेजप्रताप की शादी के कारण शिथिल पड़े आरजेडी को जैसे संजीवनी मिल गई है। बिहार के सबसे बड़े दल और चुनाव पूर्व गठबंधन की बात करते हुए तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार के गठन प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। शुक्रवार को राजद गठबंधन के विधायकों ने धरना के बाद राजभवन के सामने किया प्रदर्शन किया। साथ ही गवर्नर सत्यपाल मलिक को ज्ञापन सौंपकर सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। साथ ही नीतीश सरकार को बर्खास्त कर बिहार में भी सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का अवसर मांगा है।

बहुमत के गणित को ऐसे समझिए

अभी जोकीहाट की एक सीट खाली होने के कारण बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 242 है। बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों की जरूरत होगी। राजद, कांग्रेस, हम और माले को मिलाकर तेजस्वी के पक्ष में 111 विधायक हैं। अभी बहुमत से 11 विधायक कम है। तेजस्वी ने दावा किया है कि जदयू में असुरक्षा की भावना के चलते कई विधायक उनके संपर्क में हैं। उन्होंने दोहराया कि बहुत आसानी से बहुमत का जुगाड़ कर लेंगे। गवर्नर ने पहले मौका दिया होता तो पर्याप्त संख्या जुटा लेते। किंतु पूर्ववर्ती राज्यपाल ने उन्हें मौका नहीं दिया। ज्ञात हो कि चुनाव पूर्व आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का गठबंधन था। महागठबंधन के 178 एमएलए के सपोर्ट से नीतीश सरकार बनी, लेकिन 22 महीने बाद जेडीयू अलग होकर बीजेपी और उसके सहयोगी पर्टियों के साथ मिलकर सरकार गठित कर ली।

बिहार में दलीय स्थिति

कुल सीट-243

बहुमत-122

आरजेडी- 80

जेडीयू- 71

बीजेपी - 53

कांग्रेस- 27

गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। बिहार में हमारी पार्टी सबसे बड़ी है। कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व से गठबंधन है। गवर्नर ने गंभीरता से सभी बातों को सुना है और निर्णय लेने के लिए समय मांगा है। अब उनके निर्णय के बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे। कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में भी आरजेडी को सरकार बनाने का अवसर मिलना चाहिए। हमारे साथ कांग्रेस, हम और माले के विधायक हैं। अगर सरकार बनाने का मौका मिलता है तो आसानी से फ्लोर टेस्ट पास कर लेंगे।

-तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार

Posted By: Inextlive