ट्राइ के इस आदेश से सस्ती होगी कॉल रेट और तेज हो जायेगा इंटरनेट
बैंडविथ पूलिंग लिमिट बढ़ेगीट्राइ द्वारा जारी किये गये इस प्रस्ताव में वे स्पेक्ट्रम भी शामिल हैं जिन्हें तय कीमत पर दिया गया था. इसके साथ ही बैंडविथ पूलिंग लिमिट में भी ढील देने का प्रस्ताव रखा है. ट्राइ के इन सुझावों के लागू होने से जहां रिसोर्सेज का बेहतर इस्तेमाल हो पायेग, वहीं कंज्यूमर के लिये वॉयस और डेटा सर्विसेज सस्ती होंगी. कंपनियों को होगा फायदा
ट्राइ के इस कदम का अरसे से इंतजार हो रहा था. इससे भारती एयरटेल, आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन इंडिया जैसी कंपनियों को फायदा होगा, जो अपने सब्सक्राइबर्स को लिमिटेड बैंडविड्थ से सर्विस दे रही थीं. अगर ट्राइ के इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है तो रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलिसर्विसेज और एयरसेल जैसी कंपनियां बेकार पड़ी कैपेसिटी से कमाई कर सकेंगी. इन प्रस्तावों के लागू होने पर दोनों तरह की टेलिकॉम कंपनियों की आमदनी बढ़ेगी. वहीं, कंज्यूमर्स को बेहतर वॉयस सर्विस मिलेगी. कॉल ड्रॉप के मामले घटेंगे और इंटरनेट की रफ्तार बढ़ेगी. इन प्रस्तावों के चलते टेलिकॉम कंपनियों की कॉस्ट कम हो सकती है, जिससे वे कंजयूमर्स को सस्ती सर्विस ऑफर कर सकती हैं. उन्हें कैपिटल एक्सपेंडिचर भी कम करना होगा. टेलिकॉम रेग्युलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने सोमवार को फाइनल स्पेक्ट्रम शेयरिंग गाइडलाइंस का ऐलान किया. इसमें कहा गया है कि सिर्फ 2 कंपनियां एक सर्कल में बैंडविड्थ शेयर कर सकती हैं.क्या है प्रस्तावट्राइ ने कहा है कि 2जी, 3जी, 4जी सभी में एयरवेव्स शेयर किए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए दोनों ऑपरेटर्स के पास उसी बैंड में स्पेक्ट्रम होने चाहिए. उसने स्पेक्ट्रम लीज पर देने की इजाजत नहीं दी है. शेयरिंग एग्रीमेंट लाइसेंस की पूरी अवधि के लिए किया जा सकता है. इकनॉमिक टाइम्स ने पहले यह खबर दी थी कि ट्राई 2जी, 3जी और 4जी सबके लिए स्पेक्ट्रम शेयरिंग की इजाजत देगा, भले ही ये सरकार की ओर से तय कीमत पर मिले हों या ऑक्शन के जरिये हासिल किए गए हों. ट्राई के प्रस्ताव पर जीएसएम कंपनियों के लॉबी ग्रुप सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा, 'शेयरिंग से उन कंपनियों और ऑपरेटर्स को फायदा होगा, जिनके पास 3जी बैंडविड्थ और 4जी स्पेक्ट्रम है, लेकिन जो सर्विस देने के लिए अपने नेटवर्क नहीं बना सके हैं.'