मोबाइल उपभोक्‍ताओं के हितों को सुरक्षित करने के लिए दूरसंचार आयोग ने लोकपाल बनाने के प्रस्‍ताव को हरी झंडी दे दी है। यह लोकपाल टेलीकॉम नियामक ट्राई के अधीन काम करेगा और मोबाइल कंज्‍यूमर्स की शिकायतों का निपटारा करेगा। दूरसंचार मंत्रालय की सर्वोच्‍च संस्‍था ने कहा कि नई शिकायत निवारण प्रणा‍ली के लिए ट्राई एक्‍ट में बदलाव के लिए कदम उठाए जाएंगे।


वर्तमान में ग्राहकों को उपभोक्ता न्यायालय का सहारानई दिल्ली (प्रेट्र)। टेलीकॉम सचिव अरुणा सुंदराराजन वर्तमान में मोबाइल उपभोक्ता अपनी शिकायत टेलीकॉम ऑपरेटर्स को दर्ज कराते हैं। अब शिकायतकर्ता कंज्यूमर कोर्ट में भी राहत के लिए जा सकते हैं। इसके बाद वे अपने विवाद के निपटारे के लिए प्रस्तावित टेलीकॉम लोकपाल के यहां अपील कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में शिकायतों के निपटारे के लिए काफी समय से मांग चल रही थी। संसदीय समिति ने भी कई बार इस मुद्दे को उठाया था। हमें टेलीकॉम से संबंधित हर तीन महीने में तकरीबन एक करोड़ शिकायतें प्राप्त होती हैं।वर्तमान में ग्राहक कॉल सेंटर में दर्ज कराता है कंप्लेन
सुंदराराजन ने कहा कि वर्तमान में टेलीकॉम कंपनियां खुद ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा करती हैं। यदि ग्राहक संतुष्ट नहीं होता तो मामला दूरसंचार विभाग के शिकायत निवारण कमेटी के सामने आता है। लेकिन ग्राहक इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं। यही वजह है कि एक नये त्रीस्तरीय शिकायत निवारण व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है। वर्तमान शिकायत निवारण व्यवस्था में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं का बड़े पैमाने पर नियंत्रण रहता है। मौजूदा नियमों के तहत टेलीकॉम ग्राहक सेवा प्रदाता के कॉल सेंटर में शिकायत दर्ज करवाता है।मौजूदा व्यवस्था में ग्राहकों को नहीं मिल रही राहत


कॉल सेंटर में शिकायत दर्ज कराने के बाद मामला टेलीकॉम ऑपरेटर के नोडल ऑफिसर के पास सुनवाई के लिए जाता है। यदि यहां मामला नहीं सुधरता तो टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के बनाए अपेलिट अथॉरिटी के समक्ष भेजा जा सकता है। ज्यादातर मामलों में खासकर जो बिल से संबंधित होते हैं, इसमें ग्राहकों को इस मौजूदा त्रीस्तरीय शिकायत निवारण व्यवस्था से कोई राहत नहीं मिलती।दूरसंचार कंप्लेन : कंपनी-ग्राहक के बीच का मामला, बदला कानून2009 में सुप्रीम कोर्ट की एक रूलिंग के मुताबिक दूरसंचार से संबंधित शिकायतें टेलीकॉम कंपनियों और ग्राहक के बीच का मामला है। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के सेक्शन 7बी के तहत इस प्रकाश की शिकायतों को सुलझाने में कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सुंदराराजन ने कहा कि उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए कानून में बदलाव कर दिया गया है। अब टेलीकॉम उपभोक्ता राहत पाने के लिए कंज्यूमर फोरम जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्राहक कंज्यूमर फोरम जा सकता है और उसके बाद सबसे बड़ी संस्था दूरसंचार लोकपाल में अपील कर सकेगा, जिसकी मंजूरी मिल गई है और इसकी नियुक्ति ट्राई को करनी है।ट्राई का प्रस्ताव, ये होंगी दूरसंचार लोकपाल की शक्तियां

2009 में सुप्रीम कोर्ट की एक रूलिंग के मुताबिक दूरसंचार से संबंधित शिकायतें टेलीकॉम कंपनियों और ग्राहक के बीच का मामला है। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के सेक्शन 7बी के तहत इस प्रकाश की शिकायतों को सुलझाने में कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सुंदराराजन ने कहा कि उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए कानून में बदलाव कर दिया गया है। अब टेलीकॉम उपभोक्ता राहत पाने के लिए कंज्यूमर फोरम जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्राहक कंज्यूमर फोरम जा सकता है और उसके बाद सबसे बड़ी संस्था दूरसंचार लोकपाल में अपील कर सकेगा, जिसकी मंजूरी मिल गई है और इसकी नियुक्ति ट्राई को करनी है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh