मालगाड़ी की चपेट में आने से शौच गई गरीब किशोरी का कट गया पैर

जिला अस्पताल में भर्ती, पैसे के अभाव में उसकी मां नहीं करने दी रेफर

समस्याग्रस्त भाड़े सस्ते मकान को किराए पर लेकर बेटियों के साथ रहती है मां

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PRATAPGARH ( 20 Aug ): काश, किराए पर लिए गए मकान का मालिक घर में शौचालय बनवाया होता तो मालगाड़ी की चपेट में आने से एक गरीब परिवार की बेटी का पैर न कटता। शौच के लिए रेलवे ट्रैक की ओर गई किशोरी का पांव ट्रेन से कटने के बाद अब परिजनों को यह पछतावा जरूर हो रहा होगा। लेकिन उनके इस पछतावे पर यह पंक्ति भी सटीक बैठती है कि 'अब पछताए का होई जब चिडि़या चुंग गई खेत'। हालांकि ऐसे हालात में 'जब से जागो तभी सबेरा' वाली कहावत से भी सीख लेने की जरूरत है। मकान का मालिक अभी भी चेत कर घर में शौचालय बनवा लो तो भी ठीक ही है। कम से कम आगे से उसके यहां रहने वाले किसी किराएदार को यह दिन तो नहीं देखना पड़ेगा।

शनिवार की भोर हुई घटना

नगर कोतवाली क्षेत्र के पुरानी आबकारी निवासी मुन्नू सिंह (18) पुत्री स्व। बसंत शनिवार की भोर में शौच के लिए घर के पास रेलवे ट्रैक की तरफ गई थी। शौच के दौरान अचानक प्रतापगढ़ स्टेशन की तरफ से मालगाड़ी आती हुई दिखाई पड़ी। ट्रेन को अपनी ओर आते देख मुन्नू ट्रैक से भागने लगी। परिजनों के अनुसार भागते समय वह ट्रैक से फिसल कर गिर पड़ी .और उसका दाहिना पैर ट्रैक पर फंस गया। ऐसे में वे कुछ कर पाती इसके पहले मालगाड़ी उसके पैर के ऊपर से गुजर गई। जिससे उसका दाहिना पैर कट कर अलग हो गया। परिजनों उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टर उसकी हालत गंभीर बता रहे हैं।

पिता की हो चुकी है मौत

मन्नू के पिता की बहुत पहले मौत हो चुकी है। पुरानी आबकारी के पास उसकी मां इंद्रवती पांच बेटियों के साथ किराए के मकान में रहती है। जिला अस्पताल में मन्नू की हालत गंभीर थी, लेकिन पैसा न होने की वजह से उसकी मां घायल बेटी को उपचार के लिए इलाहाबाद के लिए रेफर कराना मुनासिब नहीं समझ रही। हैरत की बात यह है कि गरीब परिवार की उस बेटी की मदद के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है।

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ये पैसे के यार हैं, कोई मरे या जिए

जिले में तमाम ऐसे गरीब परिवार हैं जो आर्थिक तंगी की वजह से सुरक्षित जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं। मजबूरी में वे शौचालय विहीन समस्याग्रस्त मकान हजार 500 रूपए में किराए पर लेकर किसी तरह बसर कर रहे हैं। किराए पर मकान उठाने वाले लालची किस्म के ऐसे मकान मालिक भी यह नहीं सोचते कि आखिर वे शौच के लिए जाएंगे कहां। उन्हें सिर्फ अव्यवस्था से भरपूर मकान से पैसा चाहिए बस। उसकी यही सोच गरीबों की जिंदगी को और भी नारकीय बना देती है।

Posted By: Inextlive