PATNA : भूत तो है पर इससे डरने की जरूरत नहीं. ये मानना है भूतों का विज्ञान समझाने में जुटे गौरव तिवारी का. इन्होंने भूत-प्रेत पर रिसर्च को लेकर 50 से अधिक टीवी सीरियल्स में किया है काम.


 भूत भी आदमी की तरह ही होते हैं। ये ना तो किसी तांत्रिक के काबू में आ सकते हैं और ना ही किसी तंत्र-मंत्र से भगाया जा सकता है। यह मानना है मेटा फिजिक्स में फ्लोरिडा से पीएचडी कर रहे छपरा के मूल निवासी गौरव तिवारी का। गौरव इन दिनों इंडिया में भूत-प्रेत के अस्तित्व पर रिसर्च कर रहे हैं। भूत-प्रेत पर रिसर्च को लेकर इन्होंने अब तक 50 से अधिक टीवी सीरियल्स में भी काम किया है. 

पैकेट ऑफ एनर्जी है भूत
गौरव कहते हैं कि अमूमन जहां कहीं भी भूत होने की बात कही जाती है, उनमें अधिकतर र्यूमर ही होता है। जहां रियली इसका अस्तित्व होता है, वहां का टेंपरेचर, वहां का वेव लेंथ, वहां की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कंडीशंस अन्य जगह से अलग होता है। ऐसी तमाम चीजों की मेजरमेंट के बाद ही कहा जा सकता है कि वहां भूत जैसी कोई चीज हो सकती है।

साइंस भी नकार नहीं सका है
इसकी जांच के लिए गौरव के पास अल्ट्रासोनिक वॉयस रिकॉर्डर के अलावा कई दूसरे इक्विपमेंट्स भी हैं। गौरव कहते हैं कि भूत को पैकेज ऑफ एनर्जी कहा जा सकता है। इनका फिजिकल पे्रजेंस भले न हो, पर आत्मा के अस्तित्व को तो साइंस भी नकार नहीं सका है. 

ये अनहेल्दी परेसप्शन ही है
अधिकतर लोगों के लिए तो अनहेल्दी परसेप्शन ही भूत है। इंडिया और बिहार जैसे स्टेट में भूत का अस्तित्व ऐसे ही लोगों के बीच अधिक है। इस संबंध में गौरव कहते हैं कि कई बार बचपन में यदि किसी को डराने के लिए कह दिया गया कि वहां भूत है या इस तरह की कोई दूसरी झूठी बातें कह दी गईं, तो लोग उसे भूत मानने लगते हैं। फिर बाद में तांत्रिक और ढोंगी के  जाल में फंस कर अपना सबकुछ गंवा बैठते हैं।

बिना छेड़े कुछ नहीं करते
अमेरिका से कॉमर्स पायलट का लाइसेंस हासिल कर चुके गौरव कई साइंटिफिक इक्विपमेंट्स के जरिए भूत के अस्तित्व को साबित कर चुके हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिॉनिक व्वायस फेनोमेना-ईवीपी मशीन से भूत की आवाज भी रिकॉर्ड की है। उनका कहना है कि ये तब तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, जब तक कोई उसे छेड़ता नहीं। ये कोबरा के जैसे होते हैं। कोबरा बिना डिस्टर्ब किए किसी को नहीं काटता, पर लोग उसे देखते ही कांप जाते हैं.

गांवों में समझाते हैं भूत का विज्ञान
2009 में स्थापित इंडियन पारानॉर्मल सोसाइटी के बैनर तले गौरव भूत के के प्रति लोगों के अंधविश्वास को दूर करने की मुहिम में जुटे हैं। भूत-प्रेत के नाम पर जो भी कारोबार चल रहा है, उसे बंद करना ही इनका मेन ऐम है। गौरव ने बताया कि टीवी शोज से जो भी पैसा मिलता है, उससे वे गांवों में जाकर लोगों को भूत के विज्ञान को समझाना चाहते हैं।

भूत पर विश्वास करने वाले
20-25 आयु वर्ग : 40 परसेंट
25-45 आयुवर्ग : 50 परसेंट
45 से अधिक आयु वर्ग : 65 परसेंट

फीमेल : 70 परसेंट
मेल : 30 परसेंट

Posted By: Inextlive