Meerut : 210 बी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों कीर सांसे अटकी हुई हैं. ये बात और भी पुख्ता हो गई जब बीती बोर्ड मीटिंग में कैंट बोर्ड के सीईओ ने सात सीईओ पर चार्जशीट होने की बात कही. ताज्जुब की बात तो ये है हर कोई कैंट बोर्ड के सीईओ और कर्मचारियों में तो खौफ फैला रहे हैं लेकिन किसी का भी उन पीसीबी की ओर ध्यान नहीं जो उस दौरान मेरठ में अप्वाइंट थे. आपको बता दें कि हाईकोर्ट जजमेंट में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है कि सीईओ लेवल तक के अधिकारियों की जांच होगी.


पीसीबी पर भी कार्रवाई की आंच! कैंट बोर्ड में सबसे बड़ा पद पीसीबी का होता है। जब-जब भी कैंट बोर्ड की फुल कोरम की जनरल बोर्ड मीटिंग होती है तो उसकी अध्यक्ष स्टेशन/सब एरिया कमांडर ही होता है। जो ब्रिगेडियर/मेजर जनरल रैंक का आर्मी ऑफिसर होता है। सवाल ये उठता हे कि क्या 210 बी के केस में जितनी जिम्मेदारी सीईओ और बाकी अधिकारियों की है, उतनी पीसीबी की भी है? अगर हां, तो क्या 1994 से 2006 के तमाम पीसीबी जांच के घेरे में आएंगे। अभी तक कैंट बोर्ड  इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया है।पीसीबी पर सवालिया निशान


वहीं बंगला नंबर 210 बी में निर्माण पर पीसीबी (प्रेसीडेंट ऑफ कैंट बोर्ड) के ऊपर भी कई सवालिया निशान लग सकते हैं। एक पीसीबी पास कैंट बोर्ड की काफी पॉवर्स होती हैं। सवाल ये है कि जब 210 बी में अवैध निर्माण शुरू हुआ था तो उस पीसीबी ने महत्वपूर्ण रोल क्यों नहीं अदा किया? दूसरा सवाल ये हाईकोर्ट के ऑर्डर का कंटैंप्ट हो रहा था तो पीसीबी क्यों सोए रहे? क्या 210 बी पर हो रहे तमाम निर्माणों की सूचना पीसीबी तक नहीं पहुंच रही होंगी?सीईओ 6 तो पीसीबी 8

अगर इन 12 सालों में सीईओ और पीसीबी की तैनाती की बात करें तो इस सीईओ पद पर छह लोग तैनात रहे। वहीं पीसीबी के पद पर आठ लोग तैनात रहे, जो सभी ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी हैं। इनमें कुछ रिटायर भी हो चुके हैं। 2011 से पहले मेरठ स्टेशन हेडक्वार्टर होता था। इसलिए यहां स्टेशन कमांडर अप्वाइंट होते थे। जो ब्रिगेडियर रैंक के होते थे। सब एरिया हेडक्वार्टर होने के बाद यहां पर मेजर जनरल रैंक के अधिकारी अप्वाइंट होने लगे।इस सवाल पर अधिकारी चुप कैंट बोर्ड के अधिकारी इस सवाल पर पूरी तरह से चुप हैं। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की माने तो हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जब जांच शुरू होगी इस बारे में तब ही कुछ कहा जा सकता है कि जांच कौन से लेवल से शुरू होगी। अभी कुछ भी कहना काफी जल्दबाजी होगी। वहीं इस बारे में सब एरिया हेडक्वार्टर की ओर से भी कुछ बोलने और आधिकारिक बयान देने को राजी नहीं है। 12 सालों से रहे पीसीबी नाम                                 कार्यकाल ब्रि। एएस पूनिया          अप्रैल 94-फर। 96ब्रि। एके सूद               मार्च 96-मार्च 98ब्रि। आरके सिंह            मार्च 98-जन। 99ब्रि। सीबी विजन           जन। 99-अग। 00ब्रि। आरके करवाल        सित। 00-दिस। 00ब्रि। केजीजी नांबियार      दिस। 00-मई। 03 ब्रि। राना गोस्वामी         मई 03-अप्रैल 05

ब्रि। वी। नौटियाल         अप्रैल 05-जन। 08'अभी कुछ भी कहना काफी जल्दबाजी होगी। जांच शुरू होने पर ही पता  चल सकेगा कि आखिर किस लेवल के ऑफिसर से इंक्वायरी शुरू होगी.' - एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड  हो चुकी है कोर्ट ऑफ इंक्वायरी वैसे ब्रिगेडियर नांबियार काफी विवादास्पद पीसीबी रहे हैं। दिसंबर 2000 से मई 2003 तक मेरठ कैंट बोर्ड के रहे पीसीबी पर काफी गंभीर आरोपों के साथ उन पर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी भी हुई। जिसमें व्हीलर्स क्लब में सदस्यता को लेकर धांधली, दूसरा साढ़े लाख रुपए अपने केरल के अकाउंट में 50-50 हजार रुपए के 9 चेक डलवाना और तीसरा कैंट बोर्ड में काफी अनियमितता को लेकर था। वैसे कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में वह पाक साफ निकल गए थे।

Posted By: Inextlive