- शहर में सीएनजी गाडि़यां शुरू होने के बाद भी एयर क्वालिटी अच्छी होने की बजाए और खराब हो गई

- चेस्ट हॉस्पिटल में आने वाले हर दूसरे शख्स के फेफड़े हो गए कमजोर

- सुबह पांच बजे भी साफ हवा के बजाए जहरीली हवा में मार्निग वॉक कर रहे हैं कानपुराइट्स

KANPUR: घबराईये क्योंकि आप कानपुर में हैं। जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह शहर बीते 10 सालों में आगे जाने की बजाय और पीछे चला गया है। और तो और यहां पर स्वस्थ्य जीवन जीना भी मुश्किल हो गया है। यहां की हवा जहरीली हो गई है जिसने पिछली, अभी की और आने वाली पीढ़ी सभी को कमजोर बना दिया है। सभी के फेफड़े साफ हवा से नहीं बल्कि जहरीली और धूल भरी हवा से भर गए हैं। एक बात और जिसे जान कर आप चौंक जाएंगे वह ये कि सुबह जब आप ताजी हवा की आस में मार्निग वॉक और एक्सरसाइज पर निकलते हैं उस वक्त आप जिस हवा में सांस ले रहे होते हैं वह तो सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है।

सीएनजी से बेहतर होने वाली हवा को खुदाई ने खराब कर दिया

साल 2009 में शहर में सीएनजी स्टेशन खुलने के बाद से पब्लिक ट्रांसपोर्ट से हजारों डीजल टेम्पो व बसें हट गईं। इसकी जगह सीएनजी टेम्पो, आटो, बसों व कारों ने ली। इससे हवा में कार्बन इमीशन्स कम होने चाहिए थे, लेकिन इसी साल की शुरुआत में शहर में जेएनयूआरएम योजना के तहत बेतरतीब तरीके से गहरी सीवर लाइनें डालने के लिए कई सड़कें खोद दी गई। खुदी हुई सड़कों व उससे उड़ने वाली धूल से हवा में सस्पेंडेड पार्टिकल बेहद खतरनाक तरीके से बढ़ गए। सीएनजी वाहनों की वजह से जहां कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम हुआ। वहीं सस्पेंडेड पार्टिकल यानी पीएम 2.5 और पीएम 10 बेहद खतरनाक तरीके से शहर के रेजीडेंशियल व मार्केट एरियाज में बढ़ गया।

खुदाई के बाद 2010 में इन इलाकों में पीएम 2.5 का वार्षिक स्तर

आवास विकास जाजमऊ- 194 मिली ग्राम प्रति घन मीटर

फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट किदवई नगर- 200 मिली ग्राम प्रि1त घन मीटर

दर्शनपुरवा- 207 मिली ग्राम प्रि1त घन मीटर

फजलगंज- 221 मिली ग्राम प्रि1त घन मीटर

दबौली- 196 मिली ग्राम प्रति घन मीटर

एयर पॉल्यूशन के यह हैं मानक

पार्टिकुलेट मैटर (2.5 माइक्रान से कम साइजज) -- 60 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

पार्टिकुलेट मैटर (10माइक्रान से कम साइज) -- 100 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

सोमवार को पार्टिकुलेट मैटर (d>w.z ×槷ý¤æÙ âð ·¤× âæ§Á ) का स्तर-

रात क्ख्.00 बजे- क्08 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

रात क्.00 बजे- 87 मिलीग्राम प्रति घनमीटर री

तड़के भ्.00 बजे- ख्09 मिलीग्राम प्रति घन मीटर

शाम क्9.00 बजे- म्फ् मिलीग्राम प्रति घन मीटर

हर दूसरा शख्स पीएफटी टेस्ट में हो रहा फेल

पीएफटी टेस्ट फेफड़ों की क्षमता जानने के लिए किया जाता है। अगर चेस्ट हॉस्पिटल की ही बात करें तो वहां ओपीडी में हर रोज फ्00 से ज्यादा पेशेंट्स आते हैं। इसमें से क्00 का पीएफटी टेस्ट किया जाता है। जिसमें से आधे पेशेंट्स इस टेस्ट में फेल हो जाते हैं, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि इनके फेफड़ों की क्षमता कम हो चुकी है। फेफड़ों की क्षमता कम होने की मूल वजह एयर पॉल्यूशन ही है। मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ। विशाल गुप्ता बताते हैं कि दमा और चेस्ट इंफेक्शन की प्रॉब्लम आज कल बेहद नार्मल हो गई है। उनकी ओपीडी में आने वाले ख्भ्0 पेशेंट्स में से फ्0 से ब्0 पेशेंट्स को यह प्रॉब्लम होती है।

हर महीने क्00 सीएनजी वाहनाें का रजिस्ट्रेशन लेकिन एयर क्वालिटी बद से बदतर

ख्009 में सीएनजी स्टेशन शहर में खुलने के बाद से शहर में चलने वाले डीजल टेम्पो हट गए। उसकी जगह पर अब ब्000 सीएनजी टेम्पो इतने ही आटों और स्कूली व पब्लिक ट्रांसपोर्ट की म्00 के करीब बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं। इसके अलावा हर महीने 80 से क्00 के करीब सीएनजी कारों का रजिस्ट्रेशन होता है। लेकिन ख्009 के बाद से एयर क्वालिटी उससे पहले के सालों से और भी खराब हो गई है। यह सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट भी कह रही है। जो शहर में स्थापित अपने भ् सेंटरों से एयर क्वालिटी का हर साल डेटा कलेक्ट करता है।

मार्निग वॉक में ले रहे जहरीली हवा

शहर में सस्पेंडेड पॉर्टिकल यानी एसपीएम का स्तर हर शहर में बने एयर क्वालिटी सेंटर्स में हर घंटे मापा जाता है। लेकिन अगर सोमवार की रिपोर्ट पर ध्यान दें तो पता चलेगा कि सुबह भ् बजे पीएम ख्.भ् का स्तर ख्09 मिलीग्राम प्रति घन मीटर था जोकि निर्धारित सीमा से तीन गुने से भी ज्यादा था। इसी समय सबसे ज्यादा लोग अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए मार्निग वॉक और पार्को में एक्सरसाइज करने जाते हैं। यह स्थिति मौसम साफ नहीं होने पर और भी खतरनाक हो जाती है।

खराब हो गए युवाओं के फेफडे़

पिछले हफ्ते कैंट में सेना भर्ती के दौरान शहर के युवाओं का मेडिकल फिटनेस हुआ तो ख्क्0 में से फ्0 ही पास हो सके। दौड़ के दौरान इन युवकों में सांस फूलने की प्रॉब्लम पता चली जिसकी वजह से कई तो दौड़ ही पूरी नहीं कर सके। आखिर में जिन ख्क्0 ने दौड़ पूरी की उसमें से मेडिकल में सिर्फ फ्0 लड़के ही पास हो सके।

कानपुराइट्स को नहीं पता कैसी हवा में सांस ले रहे हैं

शहर में एयर पॉल्यूशन का स्तर मांपने के लिए फूलबाग, ब्रम्हनगर चौराहे समेत म् जगहों पर स्क्रीन व पॉल्यूशन डिस्पले बोर्ड खराब पड़ा है। इसके लगने से वहां से गुजरने वाले लोग हवा में कार्बन डाई ऑक्साइड समेत सस्पेंडेड पार्टिकल्स का स्तर जान पाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। फूलबाग पर लगे डिस्पले बोर्ड की बैटरी तक गायब हो गई है।

खुदाई ने बिगाड़ दी शहरियों की सेहत

जेएनयूआरएम के साथ शहर के मुख्य मार्गो पर शुरु हुई खुदाई ने शहरियों की सेहत को बिगाड़ दिया है। दमा, चेस्ट इंफेक्शन व स्पाइन से रिलेटेड प्रॉब्लम कानपुराइट्स में कई गुना बढ़ गई है। इसकी पुष्टि खुद डॉक्टर्स भी करते हैं। सीनियर फिजीशियन डॉ। एसके गौतम बताते हैं कि बीते म्-7 सालों में शहर की एयर क्वालिटी काफी खराब हो गई है। खुदी हुई सड़कों की वजह से लोगों में स्पाइन से जुड़ी प्रॉब्लम भी काफी बढ़ी है। उनके यहां आने वाले क्0 में से ख् पेशेंट्स चेस्ट से रिलेटेड प्रॉब्लम के ही होते हैं।

Posted By: Inextlive