गणेश चतुर्दशी पर संडे को कानपुराइट्स ने खूब जश्न मनाया.


लेकिन हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हम गंगा के किनारे रहने वाले लोग हैं। एक दिन के जश्न के बाद क्या हुआ गंगा का हाल। जश्न के बाद गंगा के इस हाल को आई नेक्स्ट ने देखा। आइए आप भी देखिए हमने इसका क्या हाल कर दिया है। हालत सुधारने के लिए कुछ नहीं किया गया। हमने उनसे पूछा जिनको कुछ करना चाहिए। क्या कोई कुछ करेगा एक सवाल ये भी है.

क्या हाल किया?

संडे को सरसैया घाट, गोला घाट, मैस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट, गंगा बैराज में एक हजार से अधिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। फूल-मालाओं से सजे गणेश जी के अलावा श्रद्धालु पॉलिथिन, प्लास्टिक के पैकेट्स में अबीर-गुलाल व हवन सामग्र्री लेकर आए। विसर्जन के बाद सभी सामाग्र्री यूं ही छोडक़र चले गए। इससे गंगा घाटों पर गंदगी का अंबार लग गया। प्रतिमाएं बनाने वाले को गंगा के पॉल्यूशन की चिंता रही, मगर गंगा किनारे रहने वाले हम भूल गए कि गंगा हमारी पहचान है। इसे साफ रखना हमारी जिम्मेदारी है. 

वो भूल गए

गणेश विसर्जन के बाद मंडे को सिटी के घाटों की सीढिय़ों व किनारों पर प्लास्टिक पैकेट, पॉलिथिन और फूल-मालाएं यूं ही पड़ी रहीं। गोला घाट, मैस्कर घाट समेत अन्य घाटों को शायद जिम्मेदार ऑफिसर्स भूल गए। इन घाटों पर सफाई नहीं हुई। चारों ओर फैली गंदगी की वजह घाटों पर आने वाले लोग भी परेशान रहे। वहीं हवा के झोकों के साथ पॉलिथिन, प्लास्टिक उडक़र गंगा में जा रहे हैं और गंगा को पॉल्यूटेड कर रहे हैं।

क्या आप कुछ करेंगे?

जश्न के उत्साह में हमने गंगा का ये हाल कर दिया। लेकिन अब तक इसकी सफाई के लिए कोई आगे नहीं आया। गंगा पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट का कहना है कि हम सिर्फ टेनरी और नालों से निकलने वाले पानी को गंगा में मिलने से रोकते हैं। जब परिर्वतन से इस बारे में पूछा गया तो वो कहते हैं अभी ऐसा कोई उनका प्लान नहीं है। नगर निगम का कहना है हम तो रूटीन सफाई का काम करते ही है। टाइम टू टाइम स्पेशल ड्राइव चलाकर सफाई किया जाता है। यानि गंगा में फैली गंदगी की सफाई करने का जिम्मा कोई लेना नहीं चाहता। तो क्या आप आगे आएंगे?

Posted By: Inextlive