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काले धन पर प्रहार करने के लिए जब देश में नोटबंदी की गई तो भ्रष्टाचार रोकने के लिए डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया गया। अमेरिका जैसे विकसित देश में इसे बहुत पहले लागू किया गया था। इसी तर्ज पर अपने देश में भी आधार नंबर को पहचान दी गई। यह ऐसा सिस्टम है जो भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कारगर उपाय है। यह बातें सामाजिक कार्यो के लिए प्रतिबद्ध संस्था राबिन हुड आर्मी के युवाओं ने शनिवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मिलेनियल्स स्पीक के दौरान जोरदार तरीके से रखी।

खुद की बदलनी होगी सोच

युवाओं के बीच बात भ्रष्टाचार को रोकने के लिए डिजिटल तकनीक पर हुई तो भ्रष्टाचार को रोकने पर बात हुई। डिस्कशन में युवाओं ने माना कि सरकारी विभागों में रिश्वत और लेनदेन की प्रक्रिया को लेकर हम सचेत नहीं रहते हैं। चाहते हैं कि हमारा काम जल्दी हो जाए और उसके लिए गलत तरीका अपनाते हैं। इसकी वजह से विभागों में भ्रष्टाचार का सिलसिला कम नहीं हो पा रहा है। युवाओं ने साफ कहा कि सरकार कोई भी रहे लेकिन भ्रष्टाचार के चलते शिक्षा व स्वास्थ सहित रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े कार्यो में अधिकारियों द्वारा योजनाओं को सही तरीके से नहीं लागू कराया जाता है।

कड़क मुद्दा

डिस्कशन में युवाओं ने देश में स्वच्छता अभियान को लेकर चलाए जा रहे कार्यो की क्वालिटी को लेकर प्रयागराज में हुए कुंभ मेला का उदाहरण सामने रखा। युवराज सिंह ने बताया कि इस बार का कुंभ मेला पूरी दुनिया में स्वच्छता की मिसाल बन चुका है। मेला की अवधि में प्रत्येक घंटे यह घोषणा की जाती थी कि पचास मीटर की दूरी पर डस्टबिन रखी गई है। दसे हमने चेक किया तो सही पाया। खुद की सोच बदलने की वजह से पब्लिक अब स्वच्छता को लेकर जागरूक हो गई है। अब पब्लिक डस्टबिन खोजती है ताकि कूड़ा कचरा उसमें डाला जाए। युवाओं ने सरकार के इस अभियान को दस में से दस नंबर देकर तारीफ भी की।

मेरी बात

मुंबई में हुए आतंकी हमले के समय सरकार ने क्या एक्शन लिया था। यह किसी से नहीं छुपा है। लेकिन अब लगता है कि आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है। नीतेश सिंह का मानना है कि राजनीति का स्तर इतना घटिया हो गया है कि राजनैतिक पार्टियां सिर्फ अपने फायदे के बारे में ही सोचती हैं। इंडियन आर्मी ऐसा कार्य कर रही है कि जनता का मनोबल बढ़ रहा है। गार्जियन अपने बच्चों को आर्मी में जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

अमेरिका व फ्रांस जैसे देशों में प्राइमरी एजूकेशन से ही बच्चों का सामाजिक और भविष्य की राह को मजबूत करने का काम किया जाता है। हमारे देश में अस्सी फीसदी आबादी गांवों में रहती है। सिर्फ बीस फीसदी के लिए क्वालिटी एजूकेशन का ख्याल रखा जाता है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों से अन्यत्र कार्य लिया जाता है इसका समाधान निकालने के लिए आज तक प्रयास क्यों नहीं किया गया है।

भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए हम भी जिम्मेदार होते हैं। हम हो या अधिकारी या कोई भी विभाग। सिस्टम को फालो करना नहीं जानते हैं। सोचते है कि जल्दी से जल्दी हमारा काम हो जाए। इसकी वजह से रिश्वत और लेनदेन शुरू हो जाता है। इसको रोकना सिर्फ सरकार के बस की बात नहीं है। हमें जागरूक होकर खुद लड़ना होगा और समाज को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा।

आयुष श्रीवास्तव

भ्रष्टाचार को बहुत हद तक कम करने के लिए डिजिटल ट्रांजेक्शन बेहतरीन उपाय बन सकता है। नोटबंदी के बाद काले धन पर प्रहार किया गया जो सही है लेकिन इससे काला धन पूरी तरह से समाप्त नहीं हो सकता है। अब तो लग रहा है दो हजार की नोट मार्केट से गायब होने के पीछे इलेक्शन हो सकता है। इसीलिए दो हजार की नोटों को डंप किया जा रहा है।

जय कृष्णा शुक्ला

हम स्वच्छता की बात करते हैं तो कुंभ मेला पूरी दुनिया के लिए रिसर्च का विषय बन सकता है। पूरे मेला में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर साफ-सफाई दिखाई दी। शहरी एरिया में उसकी वजह से गंदगी का अंबार कही नहीं देखा जाता था। यह नजीर पेश की है प्रयागराज ने। इसके पीछे सरकार की मंशा का असर बहुत कुछ कहती है। इसकी वजह से आम पब्लिक भी अब गंदगी फैलाने से पहले सोचती है।

दर्शन कुमार

सरकारों का काम सिर्फ योजनाएं बनाना ही रह गया है। जमीन पर उसका कितना क्रियान्वयन होता है या क्यों नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर मानिटरिंग की गई होती तो आज देश की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाती। लेकिन होता है इसके विपरीत। योजनाओं की जानकारी देने की बजाए सिस्टम खुद उसका लाभ लेने लगता है और पब्लिक हर सरकार में ठगी महसूस करती है।

अनूप केसरवानी

क्वालिटी एजूकेशन की बातें सिर्फ सेमिनार या खबर में बने रहने के लिए अच्छी लगती है। धरातल पर शिक्षकों और शिक्षिकाओं को कभी पोलियो तो कभी मतगणना जैसे कार्यो में व्यस्त कर दिया जाता है। इससे शिक्षकों का मनोबल टूटता है। कभी सरकारों ने इस पर भी ध्यान देने की कोशिश की है। सिर्फ लम्बी-चौड़ी बातों से काम चलाया जाता है।

अभिषेक कनौजिया

नोटबंदी का असर देश में हुआ है लेकिन जिस पैमाने पर होना चाहिए था उतना नहीं दिखाई देता है। अब चुनाव का सीजन आ गया है तो बैंक हो या मार्केट हर जगह दो हजार की नोट गायब सी हो गई है। लगता है कि इसका इस्तेमाल चुनाव में किया जाएगा। डिजिटल तकनीकी ने काले धन पर लगाम लगाने का काम किया है। सरकार को इस दिशा में और अधिक तेजी के साथ काम करना चाहिए।

प्रज्जवल जायसवाल

आतंकवाद के खिलाफ पहले की सरकारों में इंडियन आर्मी क्या करती थी इसके बारे में किसी को मालूम नहीं चलता था। अब उसका असर ना केवल दिखाई दे रहा है बल्कि हर कोई आर्मी के साहसिक कारनामों से वाकिफ हो रहा है कि हमारी सेना आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कुछ भी कर सकती है। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम आर्मी के साथ खड़े रहे और उन्हें मजबूत करें।

आनंदिता

पुलवामा अटैक के बाद राजनीति का स्तर घटिया होता जा रहा है। कोई भी राजनैतिक दल इससे अछूता नहीं है। हर कोई उसे वोट बैंक के रूप में कैश कराना चाहता है। इससे सिर्फ देश को नुकसान होगा। आतंकवादियों के हौसले मजबूत होंगे। जबकि ऐसे हालात में राजनैतिक दलों को एकजुट होकर आर्मी के साथ खड़े होकर उसे दुश्मनों को जवाब देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

अंकिता कनौजिया

सरकार का नियंत्रण नहीं होने की वजह से विभागों में अधिकारी और कर्मचारी योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित फाइलों को डंप करने का काम जान बूझकर करते हैं। इसकी मानिटरिंग करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। क्या सारे कानून सिर्फ जनता के लिए होते हैं। उन्हें अधिकार नहीं है कि जो योजनाओं उनके लिए आती हैं उसका लाभ आसानी से मिल सके।

कार्तिका

क्वालिटी एजूकेशन की बात होती है तो क्या अफसर और जनप्रतिनिधि अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजते हैं। ऐसा नहीं होता है। महज बीस फीसदी लोगों के लिए अच्छी व्यवस्था की जाती है चाहे प्राइमरी लेवल का मामला हो या फिर हाई एजूकेशन की बात हो। जब तक इस रेशियो को नहीं बढ़ाया जाएगा तब तक एजूकेशन का स्तर बेहतर नहीं हो सकता है।

सोनी मिश्रा

Posted By: Inextlive