रामनाथ कोविंद: परौंख गांव से रायसीना हिल्स तक का सफर...
कानपुर सेंट्रल से करीब 84 किमी। दूर कानपुर देहात के परौंख गांव में थर्सडे को सुबह से ही जश्न का दौर शुरू हो गया। शाम होते-होते जैसे वहां के लोगों को खबर मिली कि रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं वैसे ही जश्न दोगुना हो गया... क्या बच्चा, क्या जवान और क्या बूढ़ा।।।हर कोई थिरकता हुआ दिखा...ये जश्न लाजिमी भी है, क्योंकि उनके गांव में जन्मा शख्स देश का प्रथम नागरिक बन गया। कभी पिछड़ेपन की पहचान बन चुका परौंख गांव अब पूरी दुनिया में जाना जाएगा। जागरण-आई नेक्स्ट के साथ आप भी चलिए देश के 14वें राष्ट्रपति के गांव...
उम्मीद के 'सूरज’ का इंतजार
18 साल की विद्या, 25 साल के राजू, 34 साल की रागिनी, 44 साल के बीनू और 65 साल के रामखिलावन चाचा को उम्मीद है कि गांव में अब 'विकास का सूरज’ उगेगा। वो कहते हैं कि रामनाथ कोविंद के राज्यसभा सांसद बनने के बाद गांव ने विकास की ओर रुख किया, लेकिन फिर गति बहुत धीमी हो गई। वो कई सालों बाद जब बिहार के राज्यपाल बने तो फिर गांव में कई विकास कार्य हुए। लेकिन अब तो उम्मीद है कि 'विकास का सूरज’ गांव में उगेगा, क्योकि अब वो देश के सबसे बड़े पद पर आसीन हो गए हैं। उनको उम्मीद है कि अब गांव की हर सड़क बन जाएगी। पीने के पानी की समस्या दूर होगी। गांव में 24 घंटे बिजली आएगी। बड़ा अस्पताल बन जाएगा। कुछ ऐसी उम्मीद लेकर गांव का हर निवासी खुशी के जश्न में डूबा दिखाई दिया।
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