PATNA : करीब 14-15 साल पहले एक रेलयात्रा शुरू हुई थी. आजाद भारत रेलयात्रा. उद्देश्य था लोगों को यह बताना कि आजादी के पचास साल बाद अपने भारत की क्या स्थिति है. पन्द्रह वर्ष पहले जो काम नहीं हो सका वह इन दिनों बखूबी हो रहा है. शहर में जागृति यात्रा अपने पड़ाव पर है. युवाओं में जोश भरती. नये चेहरों को तलाश करती.

जागृति यात्रा एक एनुअल ट्रेन जर्नी प्रोग्राम है, जो कंट्री के 20 से 25 साल के साढ़े चार सौ यूथ को 15 दिनों की नेशनल जर्नी पर ले जाती है। इस दौरान युवाओं का परिचय हिन्दुस्तान के वैसे लोगों से कराया जाता है, जिनका उद्देश्य भारत की चुनौतियों के लिए बेहतर समाधान तलाशना है और उन्होंने वैसा कोई काम किया हो। वह कोई व्यक्ति भी हो सकता है या फिर कोई संस्थान भी। इसका मूल मकसद है युवाओं में सोशल इकनॉमिकल स्किल डेवलप करना।
सच्चे नायकों से होती है मुलाकात
इस ट्रेन जर्नी के दौरान इसमें शामिल देश और विदेश से भी आए युवाओं को सुदूर में काम करने वालों से मिलने का मौका मिलता है। जर्नी के आयोजक भी मानते हैं कि अरबन और सेमी अरबन भारत में काम करने वाले अनुकरणीय आदर्शों ने सचमुच दिखा दिया है कि सामाजिक और व्यवसायिक उद्यमिता किस प्रकार से सफल होती है और सफल हो भी रही है। प्रयास यह है कि जब देश का हर युवा किसी ना किसी बड़ी शख्सियत से प्रेरित हो रहा है, तो उन्हें वैसे लोगों से मिलाया जाए जो रियल में अनसंग हीरोज हैं, लेकिन उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है या फिर कर रहे हैं।



आईं चुनौतियां ही चुनौतियां
मल्टीनेशनल कंपनी में काम छोड़ यात्रा के पथ प्रदर्शक बने जागृति यात्रा के अधिशासी निदेशक और सह संस्थापक स्वप्निल कांत दीक्षित कहते हैं कि आईआईटी खडग़पुर से पास होने के बाद देश के लिए कुछ करने का जज्बा मन में पैदा हुआ। सो नौकरी छोड़ी और जुट गया युवाओं के सपनों को हकीकत में बदलने में। हमारी कोशिश है कि युवाओं को ऐसे लोगों से रू-ब-रू कराना, जो अत्यंत अंदरूनी हिस्सों में रहते हैं और देश को जीते हैं। पटना आए जागृति यात्रा में शामिल लोग खुश हैं और हर युवा के मन में देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी है. 

Posted By: Inextlive