चीन की दीवार जगह-जगह से टूट रही थी. यह देख उनसे रहा नहीं गया. उन्होंने इसे ठीक करने की ठान ली.


यह जज़्बा दिखाया साधारण से दिखने वाले क्लिक करें एक चीनी किसान, यांग यो फू ने. उन्होंने 14 साल की अथक परिश्रम और लगन से इस हिस्से का ऐसा कायाकल्प किया है कि यह फिर से पर्यटकों के आर्कषण का केंद बन गई है.यांग यो फू की इस असाधारण कोशिश के बारे में बीबीसी आउटलुक ने उनसे बात की.चीन की दीवार का एक हिस्सा उनके खेत में पड़ता था. भारी बारिश, तेज़ हवाओं और इंसानी लापरवाहियों के कारण दीवार यहां कई जगह से बुरी तरह क्लिक करें टूट-फूट गई थी.फू ने इसे दुरुस्त करने की ठानी क्योंकि उन्हें विश्वास था कि इससे समाज को फ़ायदा पहुंचेगा.सीमित आय वाला किसान


"चीन की दीवार के इस हिस्से को दुरुस्त करने के लिए पैसे तीन हिस्सों में जुटाए. पहला हिस्सा तो मेरी बचत से आया. दूसरा हिस्सा मेरे रिश्तेदारों और दोस्तों ने दिया. और तीसरा हिस्सा मजदूरों ने जुटाया. वे मजदूर जिन्हें अभी तक उनका मेहनताना भी नहीं मिला."-यांग फूः चीनी किसानचीन की मशहूर दीवार अपनी बेजोड़ लंबाई के कारण विश्व की कुछ क़ीमती धरोहरों में से एक मानी जाती है. इसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.मगर उस व्यक्ति के लिए ये क्या मायने रखती होगी जो इसके नज़दीक रहता हो.

यांग कहते हैं, "मुझे बहुत गर्व होता है. मुझे लगता है कि मैंने इसको दुरुस्त करके बहुत अच्छा काम किया है."यांग एक किसान हैं, मगर एक सीमित आय वाले किसान. इसे दुरुस्त करने में उन्हें लंबा समय लगा. दुरुस्त करने में इसका ख़र्चा इतने लंबे सालों तक. यांग बताते हैं, "शुरु में ही मुझे इस बात का अहसास था कि इस काम में भारी आर्थिक परेशानियां आएंगीं.""मगर मुझे इससे कुछ अच्छा करने और ख़ुद को साबित करने का मौक़ा मिल रहा था. मुझे अपने फ़ैसले पर कभी अफ़सोस नहीं हुआ."मज़दूरों ने ख़र्च उठायाशुरु-शुरु में यांग के चीन की दीवार को फिर से बनाने की योजना को सुन उनकी पत्नी, परिवार और आस-पास के लोगों को पहले तो कुछ समझ नहीं आया.मगर जैसे जैसे वे यांग के इस लीक से हटकर किए जा रहे काम को देखा उन्हें यांग का काम समझ में आने लगा. फिर उनके इस प्रयास की प्रशंसा होने लगी. लोग साथ आने लगे.यांग ने इस काम के लिए लोगों से 50 लाख युआन जुटाए. मतलब 800 हज़ार डॉलर. और बिना रुके सालो लंबी मेहनत. इतने पैसे कैसे जुटाए होंगे.

तीन हिस्सों में जुटाए. पहला हिस्सा तो मेरी बचत का था. दूसरा हिस्सा मेरे रिश्तेदारों और दोस्तों से आए. और तीसरा हिस्सा मज़दूरों ने जुटाया. वे मज़दूर जिन्हें अभी तक उनका मेहनताना भी नहीं मिला.दीवार को फिर से बनाने में जिन मज़दूरों ने मेरी मदद की उन्हें यांग अब तक उनकी मज़दूरी नहीं दे सके हैं.सरकार की नीति"अगर सरकार मुझे मेरे इस प्रयास और मेहनत के लिए उचित कीमत देती है तो मैं खुशी खुशी इस प्रोजेक्ट को उन्हें सौंपने के लिए तैयार हूं. क्योंकि ये दीवार चीन की राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक है."-यांग यो फूः चीनी किसानसाल 2006 में सरकार ने देश के सभी सरकारी और ऐतिहासिक स्मारकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. उन सब के रख रखाव का काम सरकार ने अपने हाथों में ले लिया.साल 2006 के पहले सरकार ने लोगों को चीन की मशहूर दीवार को दुरुस्त करने के लिए आगे आने को कहा. यही नहीं, लोगों को दीवार के आस-पास पर्यटन का विकास करने, पेड़-पौधे लगाने और घास के मैदान विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया.
यांग ने बताया कि मगर 2006 के बाद सरकार ने दीवार की देख-रेख को निजी हाथों से वापस ले लेने का फ़ैसला लिया. यांग कहते हैं कि दीवार के इस हिस्से को फिर से दुरुस्त करने में उन्हें काफ़ी दिक्क़तों का सामना करना पड़ा.वे बताते हैं, "मेरे इस जुनून ने मुझे आर्थिक रुप से न केवल कमज़ोर बना दिया, बल्कि भावनात्मक तौर पर भी काफ़ी नुक़सान पहुंचाया है."उनका कहना है कि अगर सरकार उनके इस प्रयास और मेहनत के लिए उचित क़ीमत देती है तो वे ख़ुशी-ख़ुशी इस प्रोजेक्ट को उन्हें सौंपने के लिए तैयार हैं. क्योंकि वे मानते हैं कि यह दीवार चीन की राष्ट्रीय भावनाओं का प्रतीक है.यांग फू चाहते हैं कि सरकार ये प्रोजेक्ट अपने हाथ में ले ले. मगर यदि सरकार ने मुआवज़े की उचित रक़म नही दी तो वे इसे सरकार को नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने इस काम को अपने जीवन के 14 क़ीमती साल दिए हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh