-मानसून की दस्तक से पहाड़ के लोगों की बढ़ी दिल की धड़कने

-फिलहाल पहाड़ी इलाकों में मिल रहे मध्यम बारिश के संकेत

-संवदेनशील जोन में शामिल हैं नदियों के किनारे बनी बस्तियां

DEHRADUN : उत्तराखंड के लोगों के लिए मानसून चैन के साथ बेचैनी भी साथ लेकर आया है। गत वर्ष प्रदेश में आई आपदा के कारण एक ओर पहाड़ के लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ गई हैं। तो वहीं राजधानी में भी मानसून के लिहाज से दर्जनों इलाके संवदेनशील हैं। मौसम विभाग की माने तो मानसून के दौरान संवदेनशील इलाकों में अलर्ट रहना बेहद जरूरी है। उधर, हर साल की तरह इस सीजन में भी मानसून के दस्तक देने के बाद ही नगर निगम को सिटी में नदी-नालों की सफाई की सुध आई है।

खौफ में हैं पहाड़ों के लोग

गत वर्ष क्म्-क्7 जून को केदारनाथ, रामबाड़ा, बदरीनाथ और गौरीकुंड में आई भीषण आपदा का खौफ अभी भी पहाड़ के लोगों के दिलों-दिमाग पर हावी है। अब मानसून के दस्तक देने के साथ ही फिर से लोग उसी दहशत में जीने को मजबूर हैं। उधर, मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल चारधाम यात्रा मार्ग पर निम्न से मध्यम बारिश के ही संकेत मिल रहे हैं।

म्-7 मिलेंगे सही संकेत

मौसम विभाग के डायरेक्टर आनंद कुमार शर्मा बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन पा रहा है। मौसम विभाग की ओर से लगातार मॉनिटर किया जा रहा है। उनके अनुसार वैसे म्-7 जुलाई तक ही मानसून की सही स्थिति का पता चल सकेगा। यदि उत्तर-पश्चिम में कम दबाव का क्षेत्र बनता है तो बिहार, यूपी और उत्तराखंड में मानसून की बारिश होगी। उनके अनुसार फिलहाल साउथ उत्तराखंड में मध्यम से ज्यादा और प्रदेश के बाकी हिस्सों में निम्न से मध्यम बारिश का अनुमान है।

नदियों के किनारे जान का खतरा

मौसम विभाग ने नदियों के किनारे बस्तियां बनाकर रहने वाले लोगों को मानसून सीजन में खासतौर से अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। मानसून सीजन में आने वाली भारी बारिश इनकी जान पर कभी भी भारी पड़ सकती है।

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क्9म्म् में हुई थी रिकॉर्ड बारिश

मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई क्9म्म् में ख्ब् घंटे के भीतर ब्87 एमएम रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई थी। जबकि वर्ष ख्0क्फ् में क्म् जून को ख्ख्0 एमएम और क्7 जून को फ्70 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई थी, जिसने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

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सिटी में हैं म्ब् नाले

नगर निगम क्षेत्र में कुल म्ब् नाले आते हैं। मुख्य नाला जिलाधिकारी आवास से सीएनआई ग‌र्ल्स स्कूल के सामने से होता हुआ नेशविला रोड, छायादीप, चुक्खुवाला, कृष्णा पैलेस, चकराता रोड से होता हुआ भंडारीबाग तक ख्.7भ् किमी तक फैला हुआ है। इसके अलावा नाला वृज लोक सालावाला, बकरावाला, इंद्रा कॉलोनी, बिंदाल नदी तक ख्000 मीटर, पुलिस चौकी कांवली रोड से नदी तक दोनों ओर के नाले क्000 मीटर, नदी रिस्पना से रायपुर रोड डील तक दोनों ओर के नाले क्ख्00 मीटर समेत पांच दर्जन से अधिक नाले मानसून सीजन में लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं।

मानसून बाद आई सुध

नदी-नालों की सफाई की सुध नगर निगम के अधिकारियों को मानसून सीजन स्टार्ट होने के बाद आई है। जबकि यह काम पहले ही स्टार्ट हो जाना चाहिए था। बरसात शुरू होने के बाद इस काम में बाधा आ रही है, जबकि नालों की सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में नाला गैंग में कर्मचारी भी नहीं हैं। म्ब् नालों की सफाई के लिए कुल क्क्0 कर्मचारियों को लगाया गया है।

मानसून से किसान खुश

मानसून का आगमन किसानों के चेहरों पर खुशी लाया है। किसान चैन सिंह कहते हैं कि वह धान और गन्ने की खेती करते हैं। दोनों ही फसलों के लिए मानसून की दस्तक फायदेमंद है। वहीं मानसून सीजन में किचन का बजट और गड़बड़ाने की संभावना है। अभी तो सिर्फ प्याज के दामों में बढ़ोतरी से दूनाइट्स त्रस्त हैं, लेकिन बारिश के बाद आवक कम होने के कारण दूसरी सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। मंडी समिति अध्यक्ष प्रभु लाल बहुगुणा के अनुसार थोक रेट में प्याज के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। फुटकर में ही रेट बढ़े हैं। उनके अनुसार बरसात के दौरान नासिक से प्याज की आवक कम होने लगती है। इस कारण अगले महीने प्याज के दामों में और उछाल आने का अनुमान है।

'नदी-नालों की सफाई के लिए सिटी में नाला गैंग के कर्मचारी लगा दिए गए हैं। जलभराव की समस्या से निपटने के लिए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई हैं।

-विनोद चमोली, मेयर, देहरादून

Posted By: Inextlive