भारत में सबसे ज्यादा mobile users हैं. बिहार में भी ऐसे users की संख्या करोड़ों में है. लेकिन भारतीय रेल को इन आंकड़ों में दिलचस्पी नहीं. तभी तो पटना से खुलने या यहां से गुजरने वाली maximum trains के 2nd class बोगी में mobile charge करने की सुविधा ही नहीं है. पटना जंक्शन के तो platforms पर भी आप mobile charge नहीं कर सकते. पड़ताल करने पर तो यही लगता है कि रेलवे केवल AC बोगी में ही mobile charge करने की सुविधा दे रहा है.


'मोबाइल स्वीच ऑफ है। अभी पटना पहुंचे हैं। ट्रेन अब खुलने ही वाली है। बाद में बाद करते हैं'। 'मोबाइल की बैट्री डिस्चार्ज है। एसी कोच में भी चार्जर काम नहीं कर रहा। अभी ज्यादा बात करने की स्थिति में नहीं हैं। ट्रेन खुलने वाली है। अभी पटना पहुंचने वाले हैं। बाकी बातें बाद में करेंगे'। जब भी लंबी दूरी की कोई ट्रेन जंक्शन पर आकर रुकती है, उस प्लेटफॉर्म के पीसीओ पर फोन करने वालों की लंबी लाइन लग जाती है। लंबी दूरी जर्नी करने वाले लोगों के साथ अमूमन ऐसा ही होता है। पहले दिन तो उनका मोबाइल किसी तरह काम चला देता है। नेक्स्ट डे से बैट्री जवाब देने लगती है। इसके बाद लोग चार्ज करने के लिए इधर-उधर मारे-मारे फिरते हैं। एसी कोच में तो चार्जिंग प्वाइंट लगा होता है, जिस कारण ज्यादा प्रॉब्लम नहीं होती। पर, बाकी कोच की स्थिति भयावह हो जाती है।


वो रहा पीसीओ बूथ

करीब साढ़े चार बजे मुंबई-आसनसोल एक्सप्रेस पटना जंक्शन पर लगती है। ट्रेन के रुकते ही पैसेंजर्स का हुजूम अपने लोगों को इनफॉर्म करने के लिए पीसीओ बूथ की तरफ दौडऩे लगता है। करें भी तो क्या करें? ट्रेनों में मोबाइल की बैट्री चार्ज करने के लिए चार्जर प्वाइंट ही नहीं है। जंक्शन का पीसीओ भी हर किसी के काम नहीं आता है। जिनका कोच पीसीओ के सामने लगता है, वे तो किसी तरह बात कर लेते हैं, पर जिनकी बॉगी आगे-पीछे लगती है, वे तो पीसीओ से भी बात नहीं कर पाते। सिकंदराबाद-पटना से आए सचिन कुमार ने बताया कि स्लीपर क्लास में कहीं भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं है। इस कारण इतनी परेशानी होती है कि पूछिए मत। रास्ते में बात करने के लिए तरस गए, पर कहीं मोबाइल चार्ज हो तब ना। 70 पर एक प्वाइंट, कहीं वो भी नहीं

वल्र्ड लेवल पर बात करें, तो इंडिया सबसे अधिक मोबाइल यूजर्स कंट्री है। बिहार-झारखंड में मोबाइल यूजर्स की संख्या 5.3 करोड़ है यानी लगभग आधी आबादी के हाथों में मोबाइल हैंडसेट है। मोबाइल फोन आज कॉमन मैन की लाइफ का इम्पॉर्टेंट हिस्सा बन चुका है। इसकी अहमियत को देखते हुए ही ऑटो-टैक्सी से लेकर बसों तक में मोबाईल चार्जिंग फैसिलिटीज दी जा रही है। अफसोस इंडिया में आवागमन के सबसे बड़े माध्यम में इसे इग्नोर किया जा रहा है। ट्रेनों में वीआईपी और मेल-एक्सप्रेस के एसी कोचों को छोड़कर इसकी सुविधा कहीं नहीं दी जा रही है। स्लीपर कोचों में जहां 70 लोगों का बर्थ होता है, वहां ट्वॉयलेट के पास एक प्वाइंट लगा होता है। वहां पैसेंजर्स हाथों में लेकर मोबाइल चार्ज करते हैं। किसी-किसी ट्रेनों में तो वह प्वाइंट भी काम नहीं करता है। टिकट के साथ ही 20 रुपए ले लेता  मुंबई-आसनसोल में ट्रैवल कर रही चुमकी दास ब्रह्मचारी कहती हैं कि इंडियन रेलवे मोबाइल हैंडसेट चार्ज करने की सुविधा के नाम पर 20 रुपए टिकट में ही ले लेता, तो लोगों को कोई परेशानी ही नहीं होती। वे कहती हैं कि मोबाइल स्वीच ऑफ हो जाने की स्थिति में सफर कर रहा पैसेंजर तो परेशान होता ही है, घरवाले भी परेशान हो जाते हैं। मुगलसराय से ही चुमकी का मोबाइल स्वीच ऑफ हो गया था। उधर, कुणाल भी इसके लिए रेलवे को ही कोस रहे हैं। वे कहते हैं कि रेलवे के अफसरों को इस तरह की परेशानी कभी झेलनी नहीं पड़ती। प्लेटफॉर्म की स्थिति और भी बदतर
जो पैसेंजर्स अपने सफर की तैयारी में मोबाइल चार्ज करना भूल गए, उनकी तो फजीहत होनी तय है। इस उम्मीद पर जंक्शन चले आए कि यहीं पर चार्ज कर लेंगे। पर, आपको बता दें कि मोबाइल हैंडसेट चार्ज करने की सुविधा सभी प्लेटफॉर्मों पर भी नहीं है। प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बोर्ड तो हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर खराब पड़े हैं। महीनों से खराब पड़े इन चार्जिंग प्वाइंट को अब तक ठीक क्यों नहीं किया गया? रेलवे प्रशासन इस मसले पर इतना उदासीन क्यों है? मोबाइल चार्ज कराने आए लोग ऐसा ही कुछ बोल रहे थे। मोबाइल चार्ज कराने के इधर-उधर घूम रहे अनिकेत ने बताया कि आधे घंटे से चार्जिंग प्वाइंट ढूंढ़ रहे हैं, जो मिल भी रहा है, तो काम नहीं कर रहा।

क्या कहते हैं दानापुर रेल डिविजन के डीआरएम "प्लेटफॉर्मों पर तो इसकी सुविधा को मैं देखवा लेता हूं। शीघ्र ही लोगों को चार्जिंग की सुविधा मिल जाएगी। रही बात ट्रेनों में, तो मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के जो नए कोच आ रहे हैं, उसमें तो स्लीपर और जेनरल कोचों में भी मोबाइल चार्जिंग के लिए प्वाइंट दिए जा रहे हैं। मेमो ट्रेनों में इसकी सुविधा देना खतरनाक हो सकता है। लोकल लेवल पर मोडिफिकेशन संभव नहीं है.

Posted By: Inextlive