-बच्चों को सात आठ साल की उम्र से ही ट्रेनिंग देना शुरू कर देना चाहिए

-कई क्लब और स्पो‌र्ट्स कॉलेज होने के बावजूद अच्छे प्लेयर्स नहीं निकल पा रहे

DEHRADUN : उत्तराखंड में फुटबॉल को बढ़ावा देना है तो ग्रास रूट पर प्लेयर्स को तैयार करने की जरूरत है। बच्चों को सात से आठ साल की उम्र से ही ट्रेनिंग देना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए वेल प्लेग्राउंड, स्पेशलिस्ट फीजियो व प्लेयर्स के साथ कोच की जरूरत होती है, जबकि स्टेट में चार स्पो‌र्ट्स हॉस्टल, कई क्लब और स्पो‌र्ट्स कॉलेज होने के बावजूद अच्छे प्लेयर्स नहीं निकल पा रहे हैं, जो चिंता की बात है। यह कहना है कि हाल में इंडियन सुपर लीग (आईएसएलल) खेलने वाले उत्तराखंड के फुटबॉलर मनीष मैठाणी का।

बेहतर ग्राउंड व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

आईएसएस खेलने के बाद वे आजकल वे अपने घर देहरादून में हैं। मंडे को नेहरूकॉलोनी में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि स्टेट में बेहतर प्ले ग्राउंड व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी खिलाडि़यों की राह में रोड़े जैसी बात है। इसके बावजूद जो प्लेयर्स आगे निकलते हैं, उन्हें बेहतर ट्रेनिंग व गाइडलाइन नहीं मिल पाती है। उनका कहना था कि जिस एज में नेमार और मेसी जैसे प्लेयर्स व‌र्ल्ड कप खेल चुके हैं, उस उम्र में यहां के खिलाड़ी क्लब और एकेडमी से जुड़ रहे हैं, यही तो विफलता का कारण है।

आईएसएल में खेलना अलग एक्सपीरियंस

आईएसल के बारे में बताते हुए मनीष ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने फुटबॉल खेलना वाकई अलग एक्सपीरियंस होता है। हालांकि इससे पहले कोलकाता में मोहन बगान और ईस्ट बंगाल के मैचों में घरेलू दर्शकों की भारी भीड़ जुटती थी। दरअसल, मनीष मैठाणी को आइएसएल के आखिरी मैच में पुणे की ओर से खेलते हुए सर्वश्रेष्ठ उभरते हुए खिलाड़ी के पुरस्कार से भी सम्मानित भी किया गया था।

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आई लीग की तैयारी

मनीष मैठाणी ने कहा कि जनवरी में शुरू हो रही आई लीग पर अब वे फोकस कर रहे हैं। कहा, अभी किस टीम से खेलना है यह तय नहीं है। आई लीग के लिए तीन-चार टीमों के साथ टॉक चल रही है। मनीष का कहना था कि एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन (एएफसी) से कोचिंग का सी लाइसेंस हासिल हो चुका है, जिसके तहत अब वे एशिया में कहीं भी बच्चों को फुटबाल के लिए प्रशिक्षण दे सकते हैं। अब वह बी लाइसेंस भी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।

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सरकार की तरफ से नो रिस्पॉन्स

मनीष मैठाणी ने कहा कि वह रायपुर महाराणा स्पो‌र्ट्स कॉलेज से पास आउट हैं। स्पो‌र्ट्स कॉलेज चाहे तो उनके अनुभव ले सकते हैं, लेकिन आज तक कॉलेज या फिर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।

Posted By: Inextlive