PATNA : राजधानी एक्सप्रेस वीआईपी ट्रेन है. इसमें 'बड़े-बड़े' लोग ही सफर करते हैं. पर यह सेफ नहीं है. इससे गांजा व चांदी ले जाया जाता है तो सूटकेस में अमेरिकन पिस्टल भी 'सफर' करता है.


वीआईपी ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस में चलने वाले मोस्टली वीआईपी पैसेंजर्स ही होते हैं। अमूमन इसके पैसेंजर्स और लगेज की चेकिंग नहीं होती है, जिसका फायदा सीधे-सीधे तस्करों को मिल रहा है। शायद इसलिए कभी चांदी, कभी गांजा तो कभी अमेरिकन पिस्टल बरामद होता है। अवैध सामान बरामद तो हो जाता है, पर इसके पीछे कौन लोग हैं, इसका सुराग नहीं मिल पाता। पुलिस की गिरफ्त में आए एक सोना तस्कर ने कहा था कि वह राजधानी एक्सप्रेस में बिना टिकट ही ट्रैवल करता है। कोच अटेंडेंट से लेकर टीटीई व गार्ड सबसे उसके मधुर संबंध हैं। कभी-कभी पैंट्री कार के स्टाफ्स की मिलीभगत से भी तस्करी सक्सेस होती है.  कुछ करे, तब तो
ट्रेनों की पूरी सिक्योरिटी साथ में चल रहे एस्कॉर्ट पार्टी पर होती है। हालांकि संदिग्धों पर नजर रखने के बजाय इनकी नजरें कुछ और तलाशती रहती हैं। सब्जी की मोटरी, कोयले का बोरा या फिर फेरी वालों से कोई अन्य सामान। यही नहीं, यदि कोई संदिग्ध सामान भी रहता है, तो एस्कॉर्ट पार्टी को उनका निर्धारित रेट मिल जाता है। एक भी केस ऐसा नहीं मिला, जिसमें एस्कॉर्ट पार्टी ने कोई संदिग्ध सामान जब्त किया हो। मामले का उजागर तभी होता है, जब सीनियर ऑफिसर उन्हें बताते हैं। एस्कॉर्ट टीम में आरपीएफ व जीआरपी के जवान शामिल होते हैं। दोनों की स्थिति कमोबेश एक ही है। वहीं, सीनियर ऑफिसर्स का दावा कुछ और होता है। इधर भी फायदा है पार्सल में बुकिंग का मामला शायद आपको हैरत में डाल सकता है। यहां 'सब धान बाइस पसेरी' का फॉर्मूला चलता है। सोना, चांदी, हीरा कुछ भी हो, कपड़े और रुई की गांठ। पार्सल में बुकिंग उसके वेट के आधार पर ही होती है। इस नियम का भरपूर फायदा उठाकर तस्कर इसके बे्रक वान में कपड़े की गांठ के नाम पर चांदी और गांजे भी बुक करवा लेते हैं। पार्सल स्टाफ्स न तो रिसीवर का पूरा नाम-पता लेते हैं और न ही भेजने वाले का। नतीजतन, जब मामला उजागर होता है, तो कोई अरेस्ट नहीं हो पाता।

Posted By: Inextlive