जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में टॉयलेट की जगह बन गए शॉप्स
RANCHI : मेन रोड स्थित जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स पॉपुलेरिटी का ताज पाने के बावजूद खस्ता हाल है। यहां आम सुविधाओं की कमी इसकी पॉपुलेरिटी पर बदनुमा दाग है। चर्च कॉम्प्लेक्स में पब्लिक यूटिलिटी और सिक्योरिटी की कमी पर 17 जुलाई को आई नेक्स्ट में रिपोर्ट छपने के बाद चर्च कॉम्प्लेक्स में काम करनेवाले कई लोग सामने आए और यहां की कमियों को खुलकर उजागर किया, जिन्हें आई नेक्स्ट शेयर कर रहा है आपके साथ।
अंधेरा और गंदा है टॉयलेटजीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में पब्लिक टॉयलेट के नाम पर जो एकमात्र टॉलेट पार्किंग एरिया में बना है, वह फर्स्ट एंड लास्ट ऑप्शन है। वहां न तो लाइट की व्यवस्था है और न ही साफ-सफाई की। इस कॉम्प्लेक्स में लगभग एक हजार महिलाएं अलग-अलग शॉप्स में काम करती हैं, जिनके लिए इस टॉयलेट को यूज करना बहुत तकलीफ भरा है। अंधेरा होने की वजह से महिलाएं दिन में भी अपने सेलफोन की रोशनी का सहारा लेकर टॉयलेट जाती हैं। जेनरल एंट्रेंस होने के साथ-साथ यह पार्किंग एरिया में बना है, जहां महिलाओं की सेफ्टी के लिए अलग से कोई महिला सिक्योरिटी गार्ड भी नहीं है। संडे को पूरे दिन इस टॉयलेट को लॉक रखा जाता है।
टॉयलेट की जगह भी बेच दी गईजीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में पब्लिक के यूज के लिए टॉयलेट की भी व्यवस्था थी। कॉम्प्लेक्स के स्वीकृत नक्शा में भी इसका उल्लेख है। इसके बावजूद कॉम्प्लेक्स का कंस्ट्रक्शन करानेवाले ने टॉयलेट के लिए अलॉट की गई जमीन भी बेच दी। उस जगह पर टॉयलेट के बजाय शॉप्स खोल दिए गए। परेशानी को देखते हुए हर दुकानदार ने शॉप के अंदर ही प्राइवेट टॉयलेट बनवाया है। थर्ड फ्लोर पर अपोलो के डॉक्टर्स विजिट करते हैं, जिनके पास हर रोज सैकड़ों पेशेंट्स आते हैं। इन मरीजों के लिए कॉम्प्लेक्स में कोई सुविधा नहीं।
लेडीज टॉयलेट को कर दिया लॉक जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स के सेकेंड फ्लोर पर स्थित दो लेडीज टॉयलेट को लॉक कर दिया गया है। वहीं, टॉयलेट की जगह बेचकर यहां साइबर कैफे खोल दिए गए। सीढ़ी के नीचे वाली जगह पर जहां टॉयलेट बनना था, उस जगह को भी बेच दिया गया और वहां टूरिस्टर शॉप खोल दिया गया। इसके अलावा शॉप्स के बीचों-बीच वाली जगह टॉयलेट, ड्रिंकिंग वाटर बेसिन, प्राइवेट लॉन्ज और सीटिंग अरेंजमेंट्स के लिए थी, लेकिन उसे भी शॉप्स खोलने के लिए बेच दिया गया। रोजेदारों को हो रही प्रॉब्लमजीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में पब्लिक यूटिलिटी की कमी से इन दिनों खासकर रोजेदारों को परेशानी हो रही है। यहां अलग-अलग शॉप्स में काम करनेवाले रोजेदारों-नमाजियों को मजबूरी में बिल्डिंग से बाहर जाकर रोड के उस पार मस्जिद के टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
जीईएल चर्च और बिल्डर्स के बीच फंसा नक्शा का मामला जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स जीईएल चर्च की जगह है। 1989 में महज 3000 रुपए में पूरी बिल्डिंग को बिल्डर को बेच दिया गया था। जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स का सेकेंड फ्लोर और बिल्डिंग के पीछे का कुछ हिस्सा और साथ ही एसी मार्केट का फर्स्ट फ्लोर मेसर्स बिल्डर इंटरप्राइजेज की ओर से रौशन लाल भाटिया को लीज पर दिया गया था। लीज डीड्स के तहत सिर्फ सेकेंड फ्लोर तक का नक्शा पास हुआ था। इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के स्वीकृत नक्शे को लेकर विवाद है। सोसाइटी का आरोप है कि बिल्डर ने बिना नक्शा पास कराए ही बिल्डिंग में थर्ड और फोर्थ फ्लोर का कंस्ट्रक्शन करा लिया है। बिल्डर ने न तो कंस्ट्रक्शन से पहले सोसाइटी से परमिशन ली और न ही आरआरडीए से। जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स दुकानदार सोसाइटी का आरोप है कि बिल्डर की ओर से मेंटेनेंस के नाम पर प्रति स्क्वॉयर फीट की दर से पैसे भी लिए जाते हैं। इसके बावजूद उस लेवल की सुविधा बहाल नहीं है। पीने की पानी की व्यवस्था नहींपूरे जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में कहीं भी वहां आनेवाले लोगों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। रेस्टॉरेंट की बात छोड़ दें, तो यहां बने फूड प्वाइंट्स के पास भी यह सुविधा नहीं है। ऐसे में लोगों को खरीदकर ही पानी पीना पड़ता है।
सीसीटीवी कैमरा नहीं सिक्योरिटी के प्वॉइंट पर भी जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स पीछे है। यहां कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। शॉप ओनर्स ने अपनी सिक्योरिटी के लिए प्राइवेट लेवल पर सिर्फ अपने शॉप्स में कैमरे लगवाए हैं। चार मंजिला जीईएल चर्च कॉम्प्लेक्स में लगभग चार सौ शॉप्स में से आधे से भी ज्यादा कपड़ों के शॉप्स हैं। हर दिन लगभग यहां दस हजार से भी ज्यादा लोग विजिट करते हैं। इसके बावजूद यहां आगजनी से बचने के लिए पूरी बिल्डिंग में कहीं भी फायर फाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं है। इलेक्ट्रिक वायर्स का जाल पूरी बिल्डिंग में खुले इलेक्ट्रिक वायर्स जाल की तरह एक-दूसरे से उलझे हुए हैं। ये यहां किसी बड़े हादसे दावत दे रहे हैं। कॉम्प्लेक्स के हर फ्लोर पर हाई वोल्टेज वायर खुले पड़े हैं, जिनका कभी मेंटेनेंस भी नहीं होता है। 10 सालों से नहीं हुआ मेंटेनेंस वर्कपिछले दस सालों से बिल्डिंग में न तो मेंटेनेंस का काम हुआ है और न ही ह्वाइट वॉश हुआ है। सफाई के लिए भी कहीं कोई सफाईकर्मी नहीं है। प्राइवेट मजदूरों को हायर कर शॉप ओनर्स अपने शॉप के एरिया की सफाई करवाते हैं।