- स्वामी विवेकानंद कंप्यूटर इंस्टीट्यूट मंगला विहार में यूथ ने बेबाकी से रखे अपने चुनावी मुद्दे.

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज किया गया 'मिलेनियल्स स्पीक'

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kanpur : यूथ की बढ़ती जनसंख्या के चलते इस चुनाव में पार्टियों का पूरा ध्यान यूथ की ओर ही है. यूथ क्या सोचते हैं और इस चुनाव में कौन से चुनावी मुद्दे को प्राथमिकता देंगे. यह सब जानने के लिए जितना पब्लिक एक्साइटेड उससे कहीं ज्यादा नेता, प्रत्याशी और राजनैतिक पार्टियां भी एक्साइटेड हैं. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने युवाओं को अपनी बात रखने के लिए 'मिलेनियल्स स्पीक' का मंच उन्हें दिया है. जिसके तहत यूथ के बीच पहुंच कर उनके मुद्दों पर बातचीत कर उनके दिल की बात को जान रहा है. मंडे को हम पहुंचे स्वामी विवेकानंद कंप्यूटर इंस्टीट्यूट, मंगला विहार, जहां यूथ ने अपने उबलते चुनावी मुद्दे हमसे खुलकर श्ोयर किए.

कंट्री में सभी के बीच हो प्रेम भाव
अनिकेत, हरेराम व अरविंद तिवारी ने कहा कि हमारी कंट्री में सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं. सभी के बीच प्रेम भाव भी देखने को मिलता है. लेकिन, कई बार राजनैतिक पार्टियां अपने फायदे के चक्कर में समाज को आपस में बांटने का काम करती हैं. उनकी इन बातों में आकर हमारी कंट्री में सांप्रदायिक झगड़े भी कई बार देखने को मिलते हैं. इससे बचने की जरूरत है, हम ऐसी सरकार चाहते हैं, जो हमें जाति, धर्म और संप्रदाय में बांटने की बात न कर देश के डेवलपमेंट की बात करे.

सख्त हो कानून व्यवस्था
आलोक, मुकेश व सचिन ने कहा कि हमारी कंट्री में कानून व्यवस्था बहुत ही निचले स्तर की है. एक व्यक्ति को न्याय पाने में उसकी सारी उम्र बीत जाती है. इसलिए, अपराधी को अपराध करने में कोई डर नहीं होता है. कानून व्यवस्था सख्त होनी चाहिए. चुनाव जीतने के बाद नेताओं को अपने क्षेत्र की जनता के बीच पहुंच कर उनकी समस्याओं को सुन कर उनकी लिस्ट तैयार करनी चाहिए और उसे आलाकमान तक पहुंचाना चाहिए, जिससे जनता की डिमांड के अनुसार ही पार्टियां एक्शन ले सकें.

कानून तोड़ने पर मिले सजा
विशाल, दिनेश और विशाल तिवारी ने कहा कि कानून तोड़ने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए. गवर्नमेंट को इस पर विचार करने की जरूरत है. लोगों में डर होगा तो कंट्री की सूरत भी बदलेगी. मतलब अगर कोई ट्रैफिक रूल्स तोड़ता है या घर के बाहर कूड़ा डालता है तो उसे पकड़े जाने पर सख्त सजा मिलनी चाहिए. इससे लोगों में अपने आप सुधार होने लगेगा. जब तक लोगों में डर नहीं होगा तब तक डेवलपमेंट करना और सिस्टम लागू कर पाना मुश्किल होगा. ऐसी सरकार चाहिए, जो लोगों के हित में बनाए जाने वाले कानून का सख्ती से पालन कराए. अगर ऐसी स्थिति पांच साल बनी रही तो हम भी अमेरिका जैसे देश की तरह ही नियमों का पालन करते नजर आएंगे.

डेवलपमेंट के लिए खत्म हो करप्शन
निखिल, गौरव व अमरनाथ तिवारी ने कहा कि पार्टी कोई भी हो, लेकिन डेवलपमेंट की बात होनी चाहिए. शहर में जॉब के मौके मिलें, मेट्रो चलनी चाहिए और जो भी यूथ के हित में हो वो सब कुछ होना चाहिए. डेवलपमेंट करने वाली पार्टी की ही गवर्नमेंट बननी चाहिए. लेकिन, कई बार डेवलपमेंट के नाम पर नेता सिर्फ अपनी जेबें भरते हैं. ऐसे में मुख्य मुद्दा करप्शन बनता है. अगर करप्शन खत्म होगा तो डेवलपमेंट भी तेजी से होगा.

गलती पर आलाकमान करे कार्रवाई
शिवा, नरेश व राकेश ने कंट्री से करप्शन को मिटाने की बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि चुनाव आते ही नेता, प्रत्याशी गली गली पहुंच कर लुभावने वादे करते हैं. जबकि, जीतने के बाद वो पब्लिक को पहचानते तक नहीं हैं. पांच साल में सिर्फ पूरा टारगेट जेब भरने में लगा देते हैं. नेताओं की ऐसी हरकतों पर पार्टी आलाकमान को कार्रवाई का अधिकार होना चाहिए. छोटे से काम से लेकर बड़े स्तर के काम तक बिना घूस कोई काम ईमानदारी से नहीं किया जाता है. इन सभी समस्याओं पर लगाम लगाने वाली गवर्नमेंट चाहिए.

योजनाओं का सही इंप्लीमेंट जरूरी
जितेंद्र, आशीष व महेंद्र ने कहा कि सिर्फ योजना बना देने से ही गवर्नमेंट के काम पूरे नहीं होते हैं. इन योजनाओं का ठीक से इंप्लीमेंट करना भी गवर्नमेंट का ही काम है. कई बार योजनाएं यूथ के हित की होती हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वो उन तक पहुंच ही नहीं पाती है. अगर बैंक से लोन ही लेने की बात करें तो जो सच में उसका लाभार्थी होता है, उसे मिलता ही नहीं है. जिनके पास पहले से पैसे होते हैं, उनको बैंक लोन आसानी से दे देती है. अगर आप को लोन चाहिए तो इसके लिए आपको बैंक मैनेजर का भी हिस्सा लगाना होगा. इस तरह का भ्रष्टाचार भी खत्म होने की बहुत जरूरत है.

मिलेिनयल्स वर्जन-

- भ्रष्टाचार का मुद्दा यूथ का हमेशा से फेवरेट रहा है. जो लोग अभी विरोधियों पर घपले का आरोप लगाते हैं, वो सत्ता में आने पर खुद भी करप्शन में डूब जाते हैं. एक दूसरे पर घोटाले का आरोप लगाने से पहले खुद के दामन को भी चेक कर लेना चाहिए.

- वर्तमान गवर्नमेंट में मुद्रा योजना जैसी योजना ने यूथ को स्टार्टअप का मौका दिया है. लेकिन, डेवलपमेंट के नाम पर हम अभी भी अन्य कई देशों से काफी पीछे चल रहे हैं. हमें इस ओर बहुत काम करने की जरूरत है. डेवलपमेंट के बिना सब अधूरा है.

- यूथ को सिर्फ कोरी बातें नहीं काम करने वाली सरकार चाहिए. नेता ऐसा हो, जो कम से कम दिखाई तो दे. वे तो जीतने के बाद गायब से हो जाते हैं. चुनाव आते ही फिर दिखने लगते हैं. ऐसे नेताओं को तो चुनाव लड़ने में ही शर्म आनी चाहिए.

- लिट्रेसी और हेल्थ के क्षेत्र को फोकस करके काम होना चाहिए. योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया जाता है. इसके बावजूद 50 परसेंट से ज्यादा लोगों को योजना के बारे में पता तक नहीं चल पाता है.

- चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादे करने हमारे घर आ जाते हैं. लेकिन, यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है. अपने चुनावी मुद्दे की अहमियत समझ कर हमें वोट करना चाहिए. नेता ऐसा हो जो सभी को साथ लेकर चले.

- स्टडी और जॉब के लिए लोग कंट्री से बाहर जा रहे हैं. सरकार को इस ओर बहुत ध्यान देने की जरूरत है. ऐसी योजनाएं लाएं जिससे यूथ को उनकी काबलियत के अनुसार अपने देश में ही सब कुछ मिल जाए तो कोई कंट्री न छोड़ेगा.

- अगर हम अपने घरों के आसपास सफाई रखें तो नगर निगम को भी इस पर काम करना होगा. डेवलपमेंट पर बात करने के साथ ही काम भी किया जाए तो काफी कुछ बदला जा सकता है. सिविक सेंस जगाने के लिए खुद को जागरूक होना होगा.

कड़क बात
चुनाव में मीठी-मीठी बातें कर जनता को लुभाने वालों को वोट नहीं देना है. देश में फैल रहे अनएम्प्लॉयमेंट को दूर करने की बात करने वाले को हमारा वोट जाएगा. कई डिपार्टमेंट्स में वैकेंसी के बाद भी योग्यता रखने वाले को जॉब नहीं मिल सकी. वर्तमान गवर्नमेंट ने काफी डेवलपमेंट किए हैं. किसानों और बेरोजगारों के लिए काम कर रही है. अगर योजनाओं का सही ढंग से इम्प्लीमेंट किया जाए तो यूथ की समस्याओं का हल निकल सकता है.

मेरी बात
नेता ऐसा होना चाहिए जो डेवलमेंट की बात करें न कि जाति धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करे. यूथ समझदार हैं और ऐसे लोगों को पहचानते हैं, जो अपने फायदे के लिए लोगों को लड़ाने का काम करते हैं. प्रेजेंट गवर्नमेंट गायों की बात करती है, लेकिन किसानों को होने वाली समस्या नहीं दिखती. कहा टेनरियां बंद कर दी गई हैं, जिसका फायदा अन्य कंट्री उठा कर हमारा बिजनेस ले गई. अगर किसी चीज को बंद करना है तो पहले उसका विकल्प खोज लेना चाहिए.

वर्जन-

ऐसे लोगों ने भी चुनावी शंख बजा दिया है, जिन्होंने अपनी सरकार रहने के वक्त जमकर भ्रष्टाचार फैलाया था. लोगों को वो देश के महान नेताओं के नाम और परिवारवाद के नाम पर भड़का रहे हैं. लेकिन, जनता इतनी समझदार है कि उसे अच्छे और बुरे में साफ अंतर दिखता है. इस बार चुनाव में युवाओं का रुझान पता चल जाएगा.

क्या हमारी टेक्निक इतनी खराब हो चुकी है कि सड़कें 5 साल भी न चल सकें. अगर नहीं तो फिर क्या कारण है कि सड़कें बनने में टाइम लगता है, लेकिन टूटने में समय नहीं लगता है. इसके पीछे मेन कारण करप्शन ही है, जिसे दूर किया जाना चाहिए. अगर हमारा नेता ईमानदार होगा तो काम भी ईमानदारी से ही कराएगा. इसलिए, इस बार किसी का भी चुनाव करने से पहले नेता में ईमानदारी परखना बहुत जरूरी है.

Posted By: Manoj Khare