- महाराजपुर स्थित एक्सिस कॉलेज में ऑर्गनाइज किया गया 'मिलेनियल्स स्पीक'

- रेडियो सिटी के आरजे राघव के साथ यूथ ने शेयर किए अपने चुनावी मुद्दे

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kanpur : दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी डेली यूथ के चुनावी मुद्दे जानने के लिए उनके बीच पहुंच रहे हैं. 'मिलेनियल्स स्पीक' नाम के इस इनीशिएटिव की पॉपुलेरिटी का अंदाजा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि हमें इस प्रोग्राम को आर्गनाइज कराने के लिए हर दिन कई कॉल्स आ रही हैं. इसके अलावा यूथ हमारे साथ सोशल मीडिया, न्यूज पेपर और रेडियो के माध्यम से जुड़ कर भी अपने चुनावी मुद्दे हमसे शेयर कर रहे हैं. ऐसे में सैटरडे को हम सिटी से करीब 30 किमी दूर महाराजपुर स्थित एक्सिस कॉलेज पहुंचे और यहां हमने यूथ के चुनावी मुद्दों को पब्लिक के समाने रखने का प्रयास किया.

न हो पब्लिक के पैसे की बर्बादी

विकल्प, रश्मि व अनुभव ने कहा कि हर कोई अनइम्प्लॉयमेंट का रोना रोता है. जबकि, अगर काम करने वाला व्यक्ति है तो उसके लिए काम की कमी नहीं है. गवर्नमेंट यूथ को स्टार्टअप में पूरी तरह से हेल्प भी कर रही है. हमारी कंट्री में ही सैकड़ों यूथ ने इस योजना कर फायदा उठा कर एक जॉब क्रियेटर की भूमिका निभाई. जबकि, जो नौकरी करना चाहते थे, उनमें से कई बिना टैलेंटेड आज भी नौकरी की तलाश में भटकते दिखते हैं. कहा ऐसी गवर्नमेंट होनी चाहिए, जो यूथ को जॉब क्रियेटर बनाने पर फोकस करे.

करप्शन और एजूकेशन हो मुद्दा

प्राची, निशा और अश्विनी ने कहा कि हमें ऐसा नेता चाहिए, जो करप्शन मिटा सके. सिर्फ बात नहीं करप्शन मिटाने के लिए प्रतिबद्ध भी हो. निचले स्तर से लेकर ऊपर लेवल तक करप्शन ने अपने पांव पसार रखे हैं. इसे खत्म करने के लिए सख्ती चाहिए, जो हर पार्टी के बस की बात नहीं है. कंट्री के लोगों को सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचने से हट कर कंट्री के बारे में भी सोचना चाहिए. इस बीच कुछ यूथ ने उनकी बात पर सहमति जताते हुए कहा कि सभी समस्याओं की जड़ है अशिक्षा. अगर यूथ को शिक्षित करने की ओर आपना फोकस करें तो आने वाली पीढ़ी इन सभी प्रॉब्लम्स से दूर हो सकती है. गवर्नमेंट स्कूलों की स्थिति में सुधार की बहुत जरूरत है. या तो ये स्कूल बंद हो जाने चाहिए या फिर गवर्नमेंट को इन स्कूलों की गंभीरता के साथ निगरानी करनी चाहिए. अनइम्प्लॉयमेंट, करप्शन, सिविक सेंस जैसे प्रॉब्लम्स तो शिक्षा में गुणवत्ता आते ही खुद ब खुद सॉल्व हो सकती हैं.

मिलेनियल्स वर्जन-

- सरकार कोई भी हो, लेकिन अब लोगों में थोड़ा बहुत सिविक सेंस दिखने लगा है. लेकिन, ट्रैफिक व्यवस्था पर आज भी इसकी जरूरत है. लोग जल्दबाजी के चक्कर में शहर में हर चौराहे पर जाम लगा देते हैं. हर जगह पुलिस पहुंच कर जाम नहीं खुलवा सकती है.

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- युवाओं को मीठी मीठी बातें करने वाला नेता नही, बल्कि जॉब अपारच्यूनिटी उपलब्ध कराने वाली गवर्नमेंट चाहिए. पढ़ाई लिखाई करने के बाद अगर उसे उसके लेवल की जॉब नहीं मिलती है, तो इससे उसका मोरल डाउन होता है.

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- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गवर्नमेंट को काम करने की जरूरत है. इसके अलावा मुझे इस गवर्नमेंट में बहुत से चेंजमेंट नजर आते हैं. हमारी जीडीपी देश में बढ़ी है. यह हमारे गर्व की बात है. देश में हमारी इमेज भी काफी सुधरी है. हम यूथ की कंट्री बनने वाले हैं.

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- भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा से उठता रहा है, लेकिन कोई गवर्नमेंट इसे खत्म नहीं कर पाई. कई बार ऊपर बैठे लोग ईमानदारी दिखाते हैं. लेकिन, नीचे बैठे लोग करप्शन से बाज नहीं आते हैं. हमें ऐसा नेता चाहिए, जो इस मुद्दे पर काम कर के दिखाए.

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-पढ़ाई से लेकर नौकरी तक के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है. अगर ये सारी व्यवस्थाएं हमारे शहर में ही हो जाए तो कितनी सुविधा मिल जाएगी. योग्यता के अनुसार लोगों को काम मिलना चाहिए और नेताओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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- चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादे करते दिखते हैं. लेकिन, यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है. हमें वोट करना चाहिए और ऐसे व्यक्ति को यूथ के फ्यूचर को ब्राइट बनाने की योजनाओं पर काम कर सके.

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- महिलाएं सुरक्षित नहीं है. दिल्ली जैसे शहर में क्राइम ग्राफ बढ़ा है. इसके अलावा पानी के लिए कई कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. पूरा शहर तारों के जाल से पटा पड़ा है. यह समस्या सिर्फ राजधानी की नहीं, बल्कि कई शहरों की है.

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कड़क मुद्दा

विमेन सेफ्टी का मुद्दा हमेशा से गंभीर रहा है. प्रयास किए जाते हैं, लेकिन कोई ऐसी योजना नहीं आती, जिससे महिलाएं, छात्राएं, युवतियां अपने आप को सेफ समझें. खुले आम इनके साथ लूट, छेड़खानी और मारपीट जैसी घटनाएं हो जाती हैं और आरोपी खुले आम घूमते रहते हैं. विमेन हेल्प लाइन नंबर्स पर कॉल करने पर पहले ही इतने सवाल पूछ लिए जाते हैं, कि लोग दोबारा फोन नहीं करते हैं और कभी कभी तो जरूरत के वक्त इन नंबरों पर कॉल तक नहीं जाती है. यही हाल गवर्नमेंट के हर हेल्प लाइन नंबर का है.

मेरी बात

जाति, धर्म और मंदिर, मस्जिद के नाम पर बांटने वाली नहीं, बल्कि कंट्री का डेवलपमेंट करने वाली गवर्नमेंट चाहिए. चुनाव में मीठी मीठी बातें कर जनता को लुभाने वालों को वोट नहीं देना है. देश में फैल रहे अनइम्प्लॉयमेंट को दूर करने की बात करने वाले को वोट जाएगा. वर्तमान गवर्नमेंट की सख्ती से भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों में डर का माहौल देखने को मिला है. यह शुरुआत है और आगे भी लोग काम करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.

वर्जन

- जब लोग खुद सुधरेंगे तो नेताओं को भी सुधरना होगा. चुनाव लड़ने वाला नेता भी हमसे सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर बात करेगा, जिस पर हम सुनना चाहते हैं. यानी डेवलपमेंट, इम्प्लॉयमेंट, साफ सफाई, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएं और विमेन सेफ्टी जैसे मुद्दों की प्राथमिकता में होने चाहिए.

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सतमोला

हमारी कंट्री में जितना बड़ा अधिकारी और नेता है, वो उतना ही ज्यादा करप्शन करने वाला है. आजकल तो लोग नेता भी पैसे और रुतबे के लिए ही बनना चाहते हैं. नेता बनने के बाद ही हर गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में उनके कमीशन का खेल शुरू हो जाता है. जितने खर्च से डेवलपमेंट होता है, उसके करीब आधे बजट का बंटवारा तो कमीशन के रूप में नेता के लेकर अधिकारी तक हो जाता है.

राघव आरजे

नकल माफियाओं पर लगाम कसी है. यही कारण है कि रिजल्ट में कुछ गिरावट जरूर आई है, लेकिन ये स्टूडेंट्स के फ्यूचर के लिए बहुत अच्छा है. इसके पहले की सरकारों में यह प्रयास किए गए, लेकिन उसे गंभीरता से लागू नहीं किया जा सका. लोगों ने सेल्फ सेंटर जैसी व्यवस्था लागू कर यूथ को लालच में डालने का प्रयास किया. लेकिन, उन्होंने एक भी बार उस यूथ के फ्यूचर के बारे में नहीं सोचा, जो नकल से पास हो रहे थे.

दोपहर करीब 2 बजे मिलेनियल्स स्पीक की शुरुआत हुई. यहां भी कुछ ने गवर्नमेंट के पक्ष के मुद्दे रखे तो कुछ को गवर्नमेंट की नीति में खामियां नजर आई. अपने चुनावी मुद्दों को बेबाकी से सबके सामने रखने को लेकर यूथ काफी एक्साइटेड नजर आए. स्टूडेंट्स के साथ उनके टीचर्स ने भी हमें ज्वाइन किया और अपने भी मुद्दे शेयर किए. शिवांगी, पूनम व आदित्या ने कहा कि गवर्नमेंट की ओर से शुरू किया गया स्वच्छता अभियान इस बात का सुबूत है कि उन्हें हमारी फिक्र है, जबकि इसके पहले कभी किसी गवर्नमेंट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. किसी भी कंट्री की सक्सेस के पीछे का राज होता है कंट्री में रहने वाली जनता. अगर यूथ साफ सुथरे माहौल में रह कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर पॉजिटिव सोच रखेंगे तो एक दिन हमारी कंट्री सक्सेस के नाम पर टॉप लिस्ट में होगी. वहीं, संस्कार, फिजा व जान्हवी ने कहा कि गवर्नमेंट ने एक ऐसे सब्जेक्ट पर करोड़ों रुपए बर्बाद कर दिए, जिसे लेकर लोग पहले से ही जागरुक थे. कहा ऐसी गवर्नमेंट चाहिए, जो पब्लिक के पैसों को सिर्फ कुछ भी करने के चक्कर में बर्बाद न करें.

देश हित में ही अपना वोट दें

दीपाली, पल्लवी व विवेक ने कहा कोई भी पार्टी हो, चुनाव आते ही नेता मन लुभावन तमाम वादे करने आ जाते हैं. नेता वादे करने में यह तक भूल जाते हैं कि इन वादों को पूरा करने से पब्लिक का नुकसान होगा या फायदा. वहीं, दूसरी ओर लोग भी बिना सोच विचार लालच में फंस कर वोट कर देते हैं. फिर भले ही न तो उनके वादे पूरे हुए और न ही ऐसे नेता जनता का कुछ भला कर सके. लोगों को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि सिर्फ अपने फायदे के लिए किसी गलत व्यक्ति को अपना वोट नहीं देना चाहिए. देश हित में कुछ अच्छा होने की संभावना पर ही नेता को वाेट दें.

डेवलपमेंट में पिछड़ने न दें

श्वेता, अमन व विनीत ने कहा कि गवर्नमेंट बनने के बाद नेता अपनी जेब भरते रहते हैं. शहर में डेवलपमेंट की दरकार है. इसके बाद भी इसे वेटिंग में रखना कहां तक सही है. हम डेवलपमेंट के नाम पर पिछड़ रहे हैं, ऐसा नेता चाहिए जो डेवलपमेंट में हमें पिछड़ने न दे. शहर में न जाने कितने आधे अधूरे निर्माण कार्य पड़े हैं, जिनका पब्लिक को लंबे समय से इंतजार था. इसके अलावा बहुत ऐसे भी कार्य थे, जो पूरे होने के बाद हमारा सिटी भी डेवलपमेंट सिटी की लिस्ट में शामिल हो जाता.

टैलेंट को नहीं चाहिए रिजर्वेशन

सुप्रिया, दिगविजय व शिवांगी ने कहा कि आज रिजर्वेशन के चक्कर में उन लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है, जो सच में टैलेंडेट हैं. रिजर्वेशन एक कमजोर व्यक्ति को और ज्यादा कमजोर करने की चाल है. इस चाल को खत्म करना चाहिए. सभी को बराबरी का हक मिलना चाहिए. नेता ही आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर लोगों को आपस में भिड़वाने का काम करते हैं. कोई व्यक्ति ज्यादा मेहनत करता है और कोई खेल खेल में नौकरी पा लेता है. ऐसी नीतियां खत्म होनी चाहिए. हिमांशु, कपिल व विपिन भी उनकी बात से सहमत दिखे और कहा कम से कम चिकित्सा जैसे क्षेत्र में रिजर्वेशन बिना देरी के खत्म कर देना चाहिए. यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें जरा सी भी लापरवाही नहीं की जा सकती है. जबकि, रिजर्वेशन के चक्कर में ही ऐसे लोग भी डॉक्टर बन जाते हैं, जो कम टैलेंटेड हाेते हैं.

जॉब सीकर से जॉब क्रियेटर बेहतर

Posted By: Manoj Khare