-पीएसआईटी कॉलेज भौंती में ऑर्गनाइज्ड किया गया मिलेनियल्स स्पीक' .

-रेडियो सिटी के आरजे राघव के साथ यूथ ने शेयर किए अपने चुनावी मुद्दे
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KANPUR : दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने यूथ को अपने चुनावी मुद्दे रखने के लिए 'मिलेनियल्स स्पीक' जो मंच प्रोवाइड कराया है, उसकी यूथ तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। बेहिचक और दमदार आवाज के साथ यूथ अपने चुनावी मुद्दे हमसे रोज शेयर कर रहे हैं। ऐसे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम, रेडिया सिटी आरजे राघव के साथ वेडनसडे को पीएसआईटी कॉलेज, भौंती पहुंचे। जहां यूथ अपनी पर्सनल प्रॉब्लम नहीं, बल्कि देश की समस्याओं को लेकर भी गंभीर दिखे। इस दौरान उन्होंने जनता के सामने सिर्फ चुनावी मुद्दे ही नहीं रखे, बल्कि समस्याओं को सॉल्व करने के बारे में भी बात की। यूथ ने अपनी बातों से इस ओर इशारा किया कि सीट उसी के पास होगी जो यूथ के कड़क मुद्दों की बात करेगा और उन पर काम करेगा। तो आइये जानते हैं इस एजूकेटड पीढ़ी की क्या सोच है।

रंग बदलने वाला नेता नहीं चाहिए
दोपहर करीब 12 बजे मिलेनियल्स स्पीक की शुरुआत की गई। यहां भी कुछ यूथ गवर्नमेंट के कामों को लेकर सेटिस्फाइड दिखे तो कुछ को अभी और डेवलपमेंट चाहिए था। अपने चुनावी मुद्दों को बेबाकी से सबके सामने रखने को लेकर यूथ इतने एक्साइटेड रहे कि एक दूसरे को इंट्रोड्यस तक करने का मौका नहीं दिया। आकांक्षा, इब्रा व प्राची ने कहा ने कहा कि चुनाव से पहले कोई भी पार्टी का नेता हो, तमाम वादे करता है। गवर्नमेंट बन जाने के बाद उस नेता के सुर बदल जाते हैं। जनता के सामने हाथ जोड़ने वाले नेता मौका मिलते ही गिरगिट की तरह रंग बदल लेते हैं। जनता की भीड़ से ही हूटर बजाते हुए गुजर जाते हैं, जैसे हम सब उनके नौकर हैं। इस सोच को बदलने की जरूरत है। कहा कंट्री को जितना डेवलप होना चाहिए था, उससे काफी पीछे हैं। यही कारण है कि स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के बाद बाहर चले जाते हैं। हमें ऐसा नेता चाहिए, जो जमीन से जुड़ कर रहे। अगर हम वोट देकर जिता सकते हैं, तो उसे याद रखना चाहिए कि हम वोट न देकर उसे हरा भी सकते हैं।

जमीन पर चाहिए डेवलपमेंट
यूथ में काफी जोश था अपनी बात को सबके सामने रखने को लेकर। इससे हो रहे शोर शराबे पर हमने सभी को एक-एक कर अपनी बात रखने का मौका किया। इस बीच सुप्रिया, आशुतोष व रीना ने कहा कि गवर्नमेंट बनने के बाद नेता अपनी जेब भरते रहते हैं। शहर में हर जगह गड्ढे ही गड्ढे दिखते हैं। डेवलपमेंट सिर्फ कागजों पर होता है, उसे छिपाए रखने में कर्मचारियों से लेकर अधिकारी तक का हिस्सा लगता है। उनकी बात खत्म होने से पहले ही उनकी बात से सहमत दलजीत व अभिषेक ने डेवलपमेंट का मुद्दा उठाया। कहा एक सड़क बनती है तो कुछ दिनों बाद उसे खोद दिया जाता है। इसमें हो रहे करप्शन पर लगाम कसने की बात करने वाले को अपना वाेट देंगे।

इम्लॉयमेंट की हर यूथ को जरूरत
पक्ष और विपक्ष की बातों को लेकर यूथ में आपसी बहस शुरू हो गई। इस बहस को सुनने के बाद लगा कि यूथ सिर्फ अच्छी गवर्नमेंट चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें जाति, धर्म और मंदिर, मस्जिद के नाम पर बांटने वाली नहीं, बल्कि कंट्री का डेवलपमेंट चाहने वाली गवर्नमेंट चाहिए। चेहरे पर चिंता के भाव लिए हुए मयंक, धु्रव व तान्या ने कहा चुनाव में मीठी-मीठी बातें कर जनता को लुभाने वालों को वोट नहीं देना है। देश में फैल रहे अनएम्प्लॉयमेंट को दूर करने की बात करने वाले को उनका वोट जाएगा। बात को बीच में ही काटते हुए स्मिता, वंदिता ने कहा वर्तमान गवर्नमेंट की सख्त नीतियों से करप्ट कर्मचारियों और अधिकारियों में डर का माहौल देखने को मिला है। यह शुरुआत है और आगे भी लोग काम करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

करप्शन पर सख्त हाे गवर्नमेंट
मुद्दों को लेकर आपस में छिड़ी बहस की गंभीरता को देखते हुए आरजे राघव ने स्टूडेंट्स से कुछ मजाक के लहजे में भी बात की, जिससे माहौल कुछ सॉफ्ट हुआ। नीलम, मनीष, ओजस्वी और शगुन ने कहा कि हम सब यहां दूर-दूर से पढ़ाई करने आए हैं और चाहते हैं कि हमें अपनी मेहनत का रिजल्ट अच्छी जॉब्स के रूप में मिले। आज हर फील्ड में वैकेंसी होने के बाद भी भर्ती न होने की नीति पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि हम यूथ का भला सोचने वाले की गवर्नमेंट चाहते हैं।

विमेन सेफ्टी बना गंभीर मुद्दा
श्रेया, उत्कर्ष, सचिन, उपेंद्र ने कहा कि विमेन की सेफ्टी का मुद्दा हमेशा से गंभीर रहा है। प्रयास किए जाते हैं, लेकिन कोई ऐसी योजना नहीं आती, जिससे विमेन अपने आप को सेफ समझें। खुलेआम महिलाओं के साथ लूट, छेड़खानी और मारपीट जैसी घटनाएं हो जाती हैं और आरोपी खुले आम घूमते रहते हैं। विमेन हेल्पलाइन नंबर्स पर कॉल करने पर पहले ही इतने सवाल पूछ लिए जाते हैं, कि लोग दोबारा फोन नहीं करते हैं। यही हाल गवर्नमेंट की हर हेल्पलाइन नंबर का है। इसलिए उन्होंने अपना वोट विमेन सेफ्टी की बात करने वाले को ही देने की बात कही।

मिलेनियल्स वर्जन-

सरकार कोई भी हो, लेकिन अब लोगों में सिविक सेंस देखने को मिलता है फिर भी ट्रैफिक व्यवस्था पर आज भी इसकी जरूरत है। लोग जल्दबाजी के चक्कर में हर चौराहे पर जाम लगा देते हैं। हर जगह पुलिस जाम नहीं खुलवा सकती है।
- आकाश

युवाओं को मीठी मीठी बातें करने वाला नेता नही, बल्कि जॉब अपारच्यूनिटी उपलब्ध कराने वाली गवर्नमेंट चाहिए। पढ़ाई लिखाई करने के बाद अगर उसे उसके लेवल की जॉब नहीं मिलती है, तो इससे उसका मॉरल डाउन होता है।
- सीमा

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गवर्नमेंट को काम करने की जरूरत है। इसके अलावा मुझे इस गवर्नमेंट में चेंज नजर आते हैं। हमारी जीडीपी बढ़ी है। यह गर्व की बात है। विश्व में हमारी इमेज भी काफी सुधरी है। हम यूथ की कंट्री बनने वाले हैं।
- मोहित

भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा से उठता रहा है। लेकिन कोई गवर्नमेंट इसे खत्म नहीं कर पाई। कई बार ऊपर बैठे लोग ईमानदारी दिखाते हैं। लेकिन, नीचे बैठे लोग करप्शन से बाज नहीं आते हैं। हमें ऐसा नेता चाहिए, जो इस मुद्दे पर काम कर के दिखाए।
- राजेश

पढ़ाई से लेकर नौकरी तक के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है। अगर ये सारी व्यवस्थाएं हमारे शहर में ही हो जाए तो कितनी सुविधा मिल जाएगी। योग्यता के अनुसार लोगों को काम मिलना चाहिए, नेताओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
- मीना

चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादे करते दिखते हैं। लेकिन, यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है। हमें वोट करना चाहिए और ऐसे व्यक्ति को जो यूथ के फ्यूचर को ब्राइट बनाने की योजनाओं पर काम कर सके।
- रोहित

महिलाएं सुरक्षित नहीं है। दिल्ली जैसे शहर में क्राइम ग्राफ बढ़ा है। इसके अलावा पानी के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। पूरा शहर तारों के जाल से पटा पड़ा है। यह समस्या सिर्फ कानपुर की नहीं, बल्कि कई शहरों की है।

- रमेश

कड़क मुद्दा
हमारे कंट्री में जितना बड़ा अधिकारी और नेता है, वो उतना ही ज्यादा करप्शन करने वाला है। जिनके घरों में बाइक तक नहीं होती है, अगर ऐसे लोगों को नेता बना दो तो एक साल के अंदर ही वो एसयूवी खरीद लाते हैं। सवाल इस बात का है, आखिर इतना पैसा उनके पास आता कहां से है। दरअसल, ये सारा खेल कमीशनखोरी का है। पूरा नगर निगम इसी पर बेस्ड है। जितने खर्च से से डेवलपमेंट होता है, उसके करीब आधे बजट का बंटवारा तो कमीशन के रूप में पार्षद, कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक को जाता है।
मेरी बात-

शिक्षा का स्तर पहले से सुधर रहा है.
नकल माफियाओं पर लगाम कसी है। यही कारण है कि रिजल्ट में कुछ गिरावट जरूर हुई है, लेकिन ये स्टूडेंट्स के फ्यूचर के लिए बहुत अच्छा है। इसके पहले की सरकारों में यह प्रयास किए गए, लेकिन उसे गंभीरता से लागू नहीं किया जा सका। लोगों ने सेल्फ सेंटर जैसी व्यवस्था लागू कर यूथ को लालच में डालने का प्रयास किया। लेकिन, उन्होंने एक भी बार उस यूथ के फ्यूचर के बारे में नहीं सोचा, जो नकल से पास हो रहे थे। अब सेंटर्स पर लगे सीसीटीवी और सख्ती से शिक्षा का स्तर सुधर रहा है। इससे हमारी कंट्री भी सुधरेगी।

वर्जन

ईमानदारी के साथ डेवलपमेंट का काम करने वाले की बात करने वाले की गवर्नमेंट चाहिए। यूथ को कोई लालच नहीं है। हम सिर्फ सच और देश हित में ही वोट देंगे। हमारे एक एक वोट की वैल्यू हमें पता है। इसलिए, अब कई पार्टियों में हलचल शुरू हो गई है कि आखिर यूथ को कैसे लुभाया जाए। यूथ को बेरोजगारी भत्ता देने से अच्छा है कि उन्हें जॉब दो।
- अमित कुमार

- लोग जब खुद सुधरेंगे तो नेताओं को भी सुधरना होगा। चुनाव लड़ने वाला नेता भी हमसे सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर बात करेगा, जिस पर हम सुनना चाहते हैं। यानी डेवलपमेंट, इम्प्लॉयमेंट, साफ सफाई, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएं और विमेन सेफ्टी जैसे मुद्दों की प्राथमिकता में होने चाहिए।
- सज्जन मिश्रा

Posted By: Inextlive