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PATNA: योगेन्द्र यादव एक भारतीय सामाजिक वैज्ञानिक, चुनाव विश्लेषक और आम आदमी पार्टी के लीडर हैं। योगेन्द्र दिल्ली स्थित सीएसडीएस के सीनियर रिसर्च फेलो भी रहे हैं। आम आदमी पार्टी के फाउंडर्स में से एक योगेन्द्र यादव इलेक्शन कैंपेन के लिए बिहार आए। इसी दौरान आई नेक्स्ट की उनसे हुई बातचीत के अंश।

आम आदमी पार्टी से आपको इस चुनाव में कितनी उम्मीद है?

आम आदमी पार्टी भविष्य की पार्टी है और यही पार्टी है जिसके साथ भविष्य है। मेरे लिए इस चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण ये है कि पार्टी को कितने वोट आते हैं, कितनी सहानुभूति मिलती है और कितने कार्यकर्ता पार्टी के साथ जुड़ते हैं।

दिल्ली की सत्ता छोड़ने के बाद क्या आप की क्रेडिबिलिटी कम हुई है?

नहीं, यह सच नहीं है। दिल्ली चुनाव के बाद हमारी लोकप्रियता में उफान आया था वो उफान दिल्ली सरकार छोड़ने के बाद नीचे आया था। दुनिया का हर उफान नीचे आता है और दिल्ली की सरकार को छोड़ने का निर्णय एकाएक हुआ। इस बात से लोग चौंक गए। लोगों में गलतफहमी हुई और गुस्सा रहा। हमारी लोकप्रियता कुछ घटी लेकिन घटने के बाद भी हम उस बिंदु से कहीं ऊंचे हैं।

वाराणसी में जदयू आप का समर्थन कर रही है, तो क्या ये माना जा सकता है कि आने वाले समय में आप जदयू से गठबंधन कर सकती है?

मैं तो ये बात सुन कर हैरान हूं। हमें सिर्फ जदयू ही नहीं सीपीआई और सीपीएम भी सपोर्ट कर रही है। अपने इनिशिएटिव से अगर कोई पार्टी बिना शर्त हमारा समर्थन करती है तो हम केवल उसका स्वागत ही कर सकते हैं। मैंने आज शिवहर में कैंपेन किया है और आगे मोतिहारी में करूंगा, दोनों जगह खुलकर बिहार गवर्नमेंट के विरुद्ध बोला। मैंने कहा कि नीतीश की सरकार जयप्रकाश नारायण आंदोलन के आदर्श का विकृत स्वरूप है और उसके साथ धोखा है तो जदयू से संबंध रखने का कोई सवाल ही नहीं है।

आप पार्टी में लगातार कई जगहों से आपसी लड़ाई की बातें सामने आ रही है, क्या लगता है पार्टी में अराजकता फैल रही है?

आप मुझे देश की किसी ऐसी पार्टी का नाम बताइए जिसके सदस्यों में आपसी मतभेद ना हो, मनमुटाव ना हो, खींचतान ना हो। राजनीति में तो ये चीजें होती रहती हैं। आम आदमी पार्टी के छोटे से छोटे डिफरेंसेज के बारे में मीडिया की इतनी दयादृष्टी रही है वो जगजाहिर है। मेरा अनुरोध होगा कि यह दयादृष्टी कांग्रेस और बीजेपी पर भी दिखाइए।

आप ने दिल्ली विधान सभा चुनाव में जिस तरह से प्रिडिक्शन की थी, क्या इस चुनाव के लिए भी कोई प्रिडिक्शन है?

मैंने दो साल पहले भविष्यवाणी से तौबा कर लिया था। दिल्ली चुनाव में मुझे ये करना पड़ा था, क्योंकि मीडियावाले सर्वे के बहाने इस देश में नई राजनीति की भ्रूण हत्या करने पर तुले थे। मेरे पास एक एविडेंस था जो उसका काट दे सकता था इसलिए मैंने उस एविडेंस को देश के सामने रखा था। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के पास ऐसा कोई पैसा ही नहीं है जिससे हम पूरे देश में सर्वेक्षण करवा सकें।

अगर थर्ड फ्रंट सरकार बनाती है तो क्या आप सपोर्ट करेंगे?

ना हमारा फ‌र्स्ट फ्रंट से कोई ताल्लुक है, ना सेकेंड फ्रंट से और ना ही थर्ड से। हमें थर्ड फ्रंट के चरित्र और चाल में फ‌र्स्ट और सेकेंड फ्रंट से कोई अंतर नजर नहीं आता है। दुविधा इस देश की यही है कि पिछले ख्भ्-फ्0 साल में इस देश में राजनीति की तीसरी जमीन का विस्तार हुआ है। लेकिन तीसरे मोर्चे का विघटन हुआ है क्योंकि वो तीसरा मोर्चा किसी भी तरह से राजनीति का वाहक नहीं बन पाया है। तो इस तीसरे मोर्चे को हम तीसरी शक्ति का वारिस नहीं मानते।

Posted By: Inextlive