- जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार दंगे में मारे गए थे 2 हजार लोग

- सरकारी आंकड़ों का कहना है कि 1 हजार लोग ही मारे गए थे

PATNA: संडे को स्थानीय आईएमए हॉल में भागलपुर दंगे पर एक रिपोर्ट जारी की गयी। ख्भ् साल बाद भी इंसाफ से वंचित भागलपुर नाम से इस रिपोर्ट को एआईपीएफ की ओर से जारी किया गया। कार्यक्रम में बिहार, मुंबई, उत्तर प्रदेश राज्य के साथ साथ कई संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य थे। रिपोर्ट के लोकार्पण के साथ साथ भागलपुर दंगा पीडि़तों ने भी अपनी समस्या को लोगों के बीच रखा।

न्याय के लिए भटक रहे पीडि़त

रिपोर्ट के लोकार्पण के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पंद्रह साल लालू की और अंतिम दस साल न्याय के साथ विकास वाले नीतीश कुमार का दौर भी बीतने वाला है, लेकिन इतने लंबे अरसे में पीडि़तों को अबतक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि दंगे के बाद देा आयोग बनाये गये गयी एक क्99भ् और एक ख्00म् में लेकिन इसका हासिल कुछ नहीं हुआ। नीतीश पर निशाना साधते हुए दीपंकर ने कहा कि नीतीश सरकार ने ही ख्00म् में आयोग गठित की थी, लेकिन जब रिर्पोट को सदन में पेश करने की बारी आयी तो विधानसभा सत्र के अखरी दिन रखा गया ताकि किसी भी प्रकार के बहस से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अगर ख्भ् साल में भी दंगा पीडि़तों को न्याय नहीं मिलता है तो धर्मनिरपेक्षता में बचता क्या है। न्याय के लिए भटक रहे हैं लोग सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्यूलरिज्म के निदेशक इरफान इंजीनियर ने कहा कि देश की समस्याओं की मूल जड़ आरएसएस है।

भागलपुर दंगे से जुड़ी बातें

इस आरएसएस का निशाना सिर्फ मुसलमान ही नहीं दलित भी है। उन्होंने कहा कि बिहार में भी हाल के दिनों में सांप्रदायिक उन्माद की घटनायें बढी हैं। कार्यक्रम के दौरान रिपोर्ट के लेखक शरद जयसवाल ने भागलपुर दंगे से जुड़ी बातों को रखा। साथ ही वर्तमान में पीडि़तों की क्या स्थिति है इस पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकारों ने जो आयोग बनाये सभी ने वास्तविकता को छुपाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जहां सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि दंगे में एक हजार लोग मारे गए थे, जबकि हकीकत है कि इस दंगे में कुल दो हजार लोग मारे गए थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मुकेश ने किया।

Posted By: Inextlive