Jmashedpur: बिहार में कोचिंग्स को कंट्रोल और रेग्यूलेट करने के लिए कानून बना दिया गया है लेकिन झारखंड में कोचिंग सेंटर्स के रेग्यूलेशन के लिए कोई रूल नहीं है.

कोचिंग सेंटर्स के रेग्यूलेशन के लिए कोई रूल नहीं
 बैंकिंग, एसएसी, रेलवे जैसे कॉम्पटीटिव एग्जाम्स में 100 परसेंट सफलता की गांरटी देने से लेकर स्कूल और कॉलेज में बेहतर रिजल्ट की गारंटी लेने वाले कोचिंग सेंटर्स की भरमार आपको हर गली-मुहल्ले में मिल जाएगी। पर इन दावों की हकीकत इन कोचिंग सेंटर्स में एडमिशन लेने के बाद सामने आने लगती है। सिटी में भी ऐसी कई घटनाएं हुई है जिनमें फर्जी कोचिंग सेंटर्स के चक्कर में पडक़र स्टूडेंट्स को अपना पैसा और समय दोनों गंवाना पड़ा है। पड़ोसी राज्य बिहार में कोचिंग्स को कंट्रोल और रेग्यूलेट करने के लिए कानून बना दिया गया है, लेकिन झारखंड में कोचिंग सेंटर्स के रेग्यूलेशन के लिए कोई रूल नहीं है।

बढ़ रहा coaching culture
एकेडमिक एजुकेशन हो या कंपीटिटिव एग्जाम्स का प्रिपरेशन, प्राइवेट कोचिंग का दखल आज हर जगह बढ़ रहा है। बात अगर झारखंड की करें, तो एनजीओ प्रथम द्वारा कंडक्ट किए गए सर्वे असर 2012 के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार स्टेट में 2009 से 2012 के दौरान प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 26.3 परसेंट से बढक़र 30.6 परसेंट हो गई है। एसोचैम द्वारा देश के 12 शहरों में किए गए एक सर्वे के अनुसार 2006 से 2013 के दौरान प्राइमरी स्कूल्स के बच्चों में प्राइवेट ट्यूशन का इजाफा 100 परसेंट तक हुआ है। वहीं, इस दौरान प्राइवेट ट्यूशन के लिए सेकेंडरी स्कूल एनरॉलमेंट 92 परसेंट तक बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रेजेंट में 23.7 बिलियन डॉलर वाले प्राइवेट कोचिंग का साइज 2015 तक 40 बिलियन डॉलर तक हो जाने की उम्मीद है। बात सिटी की करें तो यहां भी प्राइवेट कोचिंग का बिजनेस तेजी से फल-फूल रहा है। सिटी में फिलहाल करीब 200 से ज्यादा छोटे-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, लेकिन लगातार पैर पसारते कोचिंग सेंटर्स की क्वालिटी और स्टैंडर्ड को मॉनिटर करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

सही गलत जानने का नहीं  है कोइ्र्र जरिया
अक्टूबर में सिटी साकची स्थित एक कोचिंग संस्थान जेट किंग के छात्रों ने एग्जाम को लेकर जमकर हंगामा किया था। छात्रों का आरोप था की कोचिंग सेंटर में हर चार महीने पर एग्जाम लिए जाते हैं, पर अगस्त में हुए एग्जाम का रिजल्ट दिए बगैर अक्टूबर में फिर से एग्जाम की घोषणा कर दी गई। पिछले साल जुलाई में बारीडीह स्थित एक कोचिंग सेंटर द्वारा इंटर का फार्म भरवाने और पास करवाने के नाम पर छात्रों से मोटी रकम लिए जाने का मामला आया था। इस तरह के कई छोटे-बड़े मामले समय-समय पर आते रहते हैं। स्टूडेंट्स को जाने-अंजाने इस तरह के घटनाओं का शिकार बनना पड़ता है। स्टूडेंट्स के पास ये जानने का कोई जरिया नहीं है कि कौन सा कोचिंग सेंटर सही है और कौन फर्जी।

नहीं कोई मतलब
झारखंड में फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और दूसरे नियमों के तहत होता है। स्टेट ह्यïूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट के डिप्टी सेक्रेटरी राम नरेश ने बताया की एजुकेशन डिपार्टमेंट का कोचिंग इंस्टीट्यूट्स से कोई लेना-देना नहीं है। डिपार्टमेंट ने न तो इसके लिए कोई क्राइटेरिया फिक्स किया है और न ही इसकी कोई मॉनिटरिंग होती है। कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के लिए कोई गाइडलाइन नहीं होने का खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता है।
होनी चाहिए पहल
रांची के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (डीईओ) महीप सिंह ने डिस्ट्रिक्ट में मौजूद सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की स्क्रूटनी का डायरेक्शन दिया है। इसका मकसद फेक कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर लगाम लगाना है। उन्होंने बताया कि डिस्ट्रीक्ट में सैकड़ों कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं, जो बगैर प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर के चलाए जा रहे हैं। कई कोचिंग इंस्टीट्यूट फर्जी भी होते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि यह डिपार्टमेंट के जिम्मे नहीं है, फिर भी अपनी रिस्पांसिबिलिटी समझते हुए उन्होंने यह पहल की है। उन्होंने बिहार की तर्ज कर झारखंड में भी कानून बनाए जाने की जरूरत बताई। जमशेदपुर में ऐसी कोई पहल तो नहीं हो रही, लेकिन यहां के डीईओ अशोक कुमार शर्मा ने यह जरूर कहा कि बिहार जैसा कानून यहां भी बनना चाहिए। सिटी के कई कोचिंग के ओनर भी ऐसे कानून को जरूरी बता रहे हैं।

डिपार्टमेंट को कोचिंग इंस्टीट्यूट्स से कोई लेना-देना नहीं है। फिलहाल यहां कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को रेग्यूलेट करने के लिए कोई कानून नहीं है।
राम नरेश, डिप्टी सेक्रटरी, ह्यïूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट, झारखंड
डिपार्टमेंट द्वारा ना तो कोचिंग इंस्टीट्यूट्स का रजिस्ट्रेशन किया जाता है और ना ही मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था है। यहां भी बिहार के तर्ज पर कानून बनना चाहिए।
अशोक कुमार शर्मा
डीईओ, ईस्ट सिंहभूम
कई कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के पास प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होता, कई फर्जी भी होते हैं। मैंने अपनी तरफ से सबकी स्क्रूटनी करने की पहल की है। स्टेट में भी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के रेग्यूलेशन के लिए बिहार जैसा लॉ बनना चाहिए।
महीप सिंह, डीईओ, रांची

फर्जी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के वजह से सही इंस्टीट्यूट को लेकर भी लोगों के मन में भ्रम बना रहता है। कानून बनने से इस तरह की प्रॉŽलम में लगाम लगेगी।
श्रीमन नारायण त्रिगुण, संचालक, श्रीमन क्लासेज

कई कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में स्टैंडर्ड को मेंटेन नहीं किया जाता है। इसे रेग्यूलेट करने की व्यवस्था होने से काफी फायदा होगा।
केबी मिश्रा, डायरेक्टर, ऑक्सफोर्ड कंसलटेंसी

 

Report by : abhijit.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive