आज दूसरे विश्व युद्ध के बाद का एक बड़ा शरणार्थी संकट पूरी दुनिया के सामने उभर आया है। इस शरणार्थी संकट को मिटाने कि लिए जहां यूरोपीय संघ के कुछ देशों के प्रतिनिधि इन 4 लाख अप्रवासियों के समुचित इंतजाम के लिए समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं तो कुछ देश इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं इस दौरान एक और एक बड़ा सच सामने आया है। इस समय दुनिया के 5 ऐसे मुस्‍लिम अमीर खाड़ी देश हैं जो अपने यहां एक भी शरणार्थी लेने से बच रहे हैं।

शरणार्थियों की काफी संख्या
हाल ही में तीन वर्षीय शरणार्थी आयलान कुर्दी की पानी में डूबकर हो गई। इस दौरान उसकी मौत की तस्वीरों ने शरणार्थी संकट की भयावह झलक से पूरी दुनिया को झकझोर दिया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से यह अब तक का सबसे भीषण शरणार्थी संकट माना जा रहा है। ऐसे में कुछ यूरोपीय संघ के देश इसके लिए आगे आ रहे हैं वहीं कुछ इसका पुरुजोर विरोध कर रहे हैं। जिससे इस दौरान यूरोप में भी स्थितियां काफी गंभीर और वहां तनाव भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं इन लाखों की संख्या में शरणार्थियों को श्ारण देने के लिए टर्की, लेबनान, जार्डन, इजिप्ट, और इराक जैसे देश काफी पहले से इस दिशा में सक्रिय है। जिससे यहां पर शरणार्थियों की काफी संख्या हैं।
शरणार्थियों को भोजन वितरण
यहां पर आईएसआईएस के कहर से काफी संख्या में शरणार्थी शरण ले चुके हैं वे इन देशों में बने शरणार्थी कैंपो में रह रहे हैं। कतार जैसे देश इनके खाने आदि की व्यवस्था भी करते हैं। शरणार्थियों भोजन आदि वितरित किया जाता है। इसके अलावा जर्मनी, कनाडा, इटली, स्पेन जैसे देश भी सौ से लेकर हजार की संख्या में शणार्थियों को शरण देने के लिए आगे आए हैं। वहीं सबसे बड़ा सच तो यह है कि इस दुनिया में ही कुछ देश ऐसे हैं जो कि अपने यहां एक भी शरणार्थी लेने से इंकार कर रहें हैं। जिनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत और बहरीन आदि देश शामिल हैं। यहां पर वर्तमान में एक भी शरणार्थी नहीं है।


आतंक की वजह से बच रहें

ये अपने यहां एक भी सीरियाई नागरिक को अपने यहां शरण नहीं देना चाहते हैं। इस संबंध में अरब विशेषज्ञ सुल्तान सूद अल कसेमी के अनुसार ऐसे में सबसे खास बात तो यह है कि ये सभी अमीर खाड़ी देश हैं। ये देश 50 सकल घरेलू उत्पाद वाले सक्षम देशों में हैं। इनका सयुंक्त्ा सैन्य बजट 65 बिलियन यूरो हैं। हालांकि अब कहा जा रहा है कि अब गल्फ एसीसी अपनी नीति में बदलाव कर सकता है। जिससे इन देशों के नियम कायदे कानून में थोड़ी ढील बरती जा सकती है। ऐसे में सबसे खास बात तो यह है शरणार्थियों को शरण देने से इंकार करने वाले इन देशों का लॉजिक भी काफी अजीब है। इन देशों का कहना है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए इससे किनारा कर रहे हैं।

शरण से साफ कर रहे इंकार

आतंकी गतिविधियों की वजह से वह अपने देश को संकट में नहीं डालना चाहते हैं। वहीं इस संबंध में एमनेस्टी इंटरनेश्ानल हेड ऑफ रिफ्यूजी एंड माइग्रेंट राइट के शरी इलसईद अली का कहना है कि यह बेहद शर्मनाक है। दुनिया के कुछ देशों में इन शरणार्थियों को शरण देने के लिए ऐसी गतिविधियां हो रही हैं। सबसे अफसोस वाली बात तो यह है जो देश काफी सक्षम हैं वे इन्हें सहारा देने से इंकार कर रहे हैं। आयलान के पिता अब्दुल्ला कुर्दी अपने बेटे आयलान और घालेब के अलावा पत्नी रिहाना के साथ नौका से जा रहे थे। इस दौरान उनकी नौका डूब गई। जिससे उन्होंने बेटे आयलान और घालेब के अलावा पत्नी रिहाना को भी खो दिया। कहा जा रहा है कि इस दौरान 12 सीरियाई प्रवासियों की मौत हो गई थी।

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Courtesy by Mail Online

Posted By: Shweta Mishra