-2011 में सरकार व कंपनी के बीच बस चलाने का हुआ था करार

श्चड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

क्कन्ञ्जहृन् : राज्य के विकास और उन्नति के रूप में बिहार सरकार ने पीपीपी मोड के तहत हैदराबाद की निजी कंपनी ग्रीस इंफ्रास्टक्चर प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया था। जिसमें प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में मर्सिडीज वेंज एंड वॉल्वो बस संचालन का करार हुआ था। आज यह बसें पटना शहर के अलग-अलग हिस्सों में कबाड़ में त?दील हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, इन बसों के साथ कई वर्षो तक सेवा देने वाले करीब 100 कर्मचारी आज बेरोजगार हैं और उन्हें वेतन तक नहीं मिल रहा है। वे भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। उल्लेखनीय है कि परिवहन विभाग इन कर्मचारियों से न तो इस्तीफा स्वीकार कर रहा है और न ही वेतन दे रहा है।

वर्ष 2011 में हुआ था करार

वर्ष 2011 में बिहार सरकार और प्राइवेट कंपनी के बीच प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप प्लान के तहत प्रदेश भर में मर्सिडीज वेंज एंड वॉल्वो बस चलाने को लेकर करार हुआ था। बैंक से लोन लेकर कंपनी ने 30 वॉल्वो बसें खरीदी थी। करार के अनुसार बस से चलने वाले पैसेंजर्स के टिकट सेल से 10 परसेंट बिहार सरकार के पास जाना था। लेकिन 20 बसों को परिवहन विभाग की ओर से परमिट ही नहीं दी जा सकी।

न जुर्माना और न ही हटी बसें

परमिट नहीं मिलने से अधिकतर बसें खड़ी कर दी गई। कंपनी सरकार को रायल्टी देने से बचने लगी। सरकार और कंपनी के विवाद में बसें पार्क कर दी गई। आज ये बसें कबाड़खाने में तब्दील हो चुकी हैं। सामान कुछ लोग चुरा ले गए और इन लक्जरी बसों के माध्यम से सरकार की बिहार के विकास की कल्पना पर पानी फिर गया। सड़क किनारे अवैध रूप से पार्क की गई बीएसआरटीसी की बसों से ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कुछ दिन पहले अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम की टीम और जिला प्रशासन ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया था कि बस को सड़क किनारे से हटाएं। तय हुआ था कि हर बस से 50 हजार रुपए जुर्माना वसूली जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बसों का संचालन बंद होने से कर्मचारियों का रोजगार भी छीन गया। आज दो वर्ष से कर्मचारी बगैर वेतन जी रहे हैं। परिवार में भुखमरी की स्थिति है। कर्मचारियों से इस्तीफा भी नहीं लिया जा रहा। ताकि ये कर्मचारी कहीं दूसरे जगह सेवा दे सकें।

-विजय कुमार सिंह, सीनियर मैनेजर, गौरव लक्जरी, बस

सरकार के साथ कंपनी की वादा खिलाफी की वजह से बसों का संचालन बंद हुआ। कंपनी ने सरकार के समझौते को तोड़ा था। कर्मचारी कंपनी बेस्ड थे। इसलिए कर्मियों की बेरोजगारी को लेकर कंपनी ही जिम्मेदार है।

-अरविंद कुमार, डिविजनल मैनेजर, बीएसआरटीसी

Posted By: Inextlive