मंगल के क्षणों में कहीं हो न जाए अमंगल
- अनवरगंज-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक किनारे कई जगहों पर स्थानीय लोगों ने टेंट लगाकर किया आयोजन
-अमृतसर में दशहरे पर हुई दुर्घटना के बाद भी आरपीएफ व रेलवे अधिकारियों की नहीं टूटी नींदKANPUR : अमृतसर में दशहरा मेला के दौरान हुए ट्रेन हादसे के बाद भी रेलवे अफसरों ने कोई सबक नहीं सीखा। कानपुर में अनवरगंज-फर्रुखाबाद ट्रैक किनारे बसी अवैध बस्ती में कभी भी वैसा ही हादसा हो सकता है। क्योंकि लोग न सिर्फ अवैध रूप से ट्रैक किनारे रहते हैं बल्कि वहीं पर ट्रेंट लगातार मांगलिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। एक जरा सी लापरवाही मांगलिक क्षणों को 'अमंगल' में बदल सकती है। मंडे को भी नजीराबाद स्थित अनवरगंज-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक किनारे एक किलोमीटर की दूरी पर तीन स्थानों पर रेलवे ट्रैक किनारे टेंट लगाकर कार्यक्रम आयोजित किए। टै्रक किनारे ही खाना तैयार होने के साथ ही दर्जनों की संख्या में लोग बैठे हुए थे। रिपोर्टर ने वहां के लोगों से बात की तो पता चला कि वर्षो से यहां ऐसा ही चल रहा है। आरपीएफ व रेलवे अफसर कभी भी इस ओर ध्यान ही नहीं देते हैं।
अमृतसर दुर्घटना से भी नहीं ली सीखअनवरगंज-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक किनारे लगे टेंट में हो रहे मांगलिक कार्यक्रमों को देखते हुए यहीं लगता है कि दशहरे के दिन अमृतसर में हुई दर्दनाक घटना से किसी ने भी सीख नहीं ली। रेलवे अधिकारी, आरपीएफ व ट्रैक किनारे रहने वाले लोग भी उस घटना को अपने जेहन से निकाल चुके है।
सिविल इंजीनियर विभाग भी नहीं रखता नजर आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक ट्रैक किनारे ऐसे कार्यक्रमों पर रेलवे के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों को नजर रखनी चाहिए। उनके ही अधिकार में ही ट्रैक किनारे आयोजित सार्वजनिक व पर्सनल कार्यक्रमों की मंजूरी देनी है। उनके मंजूरी न देने के बाद भी अगर कोई ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है तो सिविल इंजीनियरिंग विभाग को आरपीएफ को सूचना देकर उसे हटाना चाहिए। रास्ता बनाने को बाउंड्रीवॉल तोड़ी अनवरगंज-फर्रुखाबाद रूट पर जरीबचौकी से कल्याणपुर नानकारी तक ट्रैक किनारे सेफ्टी के लिए बाउंड्री वॉल बनाई गई थी। जो कई जगह से टूटी पड़ी है। रेलवे ट्रैक किनारे रहने वाले लोगों ने रास्ता बनाने के लिए जगह-जगह बाउंड्रीवॉल को तोड़ दिया है। ---- 3 मौतें हर सप्ताह होती ट्रेन की चपेट में आने से 7 किमी के अंतराल में होती हैं सबसे अधिक घटनाएं 100 से अधिक शॉर्ट कट बना रखे हैं स्थानीय लोगों ने10 माह में 100 मौते हो चुकी हैं कानपुर में ट्रेन की चपेट में आने से
'' रेलवे के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अधिकारियों के पास ट्रैक किनारे कोई भी कार्यक्रम आयोजित न होने देने व उसकी परमीशन देने जिम्मेदारी होती है। वह जरूरत पड़ने पर आरपीएफ की मदद ले सकते हैं.'' एसएन पांडेय, आईजी, आरपीएफ, एनसीआर जोन