‘मनोरोगी’ कहते ही हम में से ज्यादातर के ज़ेहन में एक ऐसे ख़तरनाक शख्स की छवि उभरती है जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए.

लेकिन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रायोगिक मनोविज्ञानी प्रोफेसर केविन डटन का कहना है कि ऐसा सोचना पूरी तरह गलत है. मनोरोग का सच हमारी सोच से उलट भी हो सकता है.

केविन बताते हैं कि ''जब हमारे जैसे मनोविज्ञानी मनोरोगी शब्द का प्रयोग करते हैं तो ज्यादातर लोगों के ज़ेहन में सबसे पहले पागल हत्यारों की छवि ही उभरती है.''

केविन के अनुसार निर्दयी, निडर, आत्मविश्वासी, एकनिष्ठ, मानसिक दृढ़ता, चमत्कारिक या आकर्षक व्यक्तित्व जैसे गुण मनोरोगियों में भी पाए जाते हैं.

ये सभी गुण अपने आप में कोई मुसीबत नहीं हैं. समस्या तब होती है जब इन सारे गुणों की अति होने लगती है और आप ऐसे लोगों से मिलने लगते हैं जो कि अजीब तरीके से व्यवहार करते हैं.

प्रोफेसर डटन कहते हैं कि "मैं मनोरोगियों को महिमामंडित नहीं कर रहा. ऐसे लोग दूसरों का जीवन बर्बाद कर देते हैं." अपनी नई किताब 'विज़डम आफ साइकोपैथ' में प्रोफेसर डटन ने बताया है कि मनोरोगियों में पाए जाने वाले कुछ गुणों को अपनाने से हमारी कार्यक्षमता बढ़ सकती है.

वो कहते हैं, "मनोरोगी किसी काम को टालते नहीं हैं. वे किसी चीज को निजी तौर पर नहीं लेते और किसी काम के बिगड़ जाने पर वो खुद को तकलीफ नहीं पहुंचाते."
मनोरोगियों के पेश

मनोरोगी आमतौर पर दूसरों के कष्ट की परवाह नहीं करते. लेकिन यह गुण भी कुछ पेशों में उपयोगी हो सकता है. प्रोफेसर डटन कहते हैं ''मान लीजिए कि आपमें बढ़िया सर्जन बनने की योग्यता है लेकिन रोगी की सर्जरी करते समय आप उसके कष्ट की अनदेखी नहीं कर पाते.'' यानी लोगों के प्रति लापरवाह होना कई क्षेत्रों में आपकी सफलता सुनिश्चित कर सकता है.

प्रोफेसर डटन बताते हैं कि सफल राजनीतिज्ञों में भी कई बार मनोरोगियों की प्रवृत्तियां पाई जाती हैं. राजनीतिज्ञों को कई बार विरोध के बावजूद पूरी कड़ाई से फैसले लेने होते हैं.

यदि आप इस पर विचार करें तो देखेंगे कि ज्यादातर सफल राजनीतिज्ञ वो होते हैं जो अक्सर जनता को पसंद आने वाली बातें करते हैं. राजनीतिज्ञ लोगों की भावनाओं को समझने में माहिर होते हैं. आप कह सकते हैं कि वो दिमाग में झांक लेने वाले लोग होते हैं.
दबंगई मनोरोग नहीं है

अन्य मनौवैज्ञानिकों का मानना है कि मनोरोगियों की संख्या कुल जनसंख्या के एक प्रतिशत से ज़्यादा नहीं है लेकिन डटन जिस अर्थ में मनोरोग का प्रयोग कर रहे हैं वह इसे बहुत व्यापक बना देती है.

लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट स्कूल के प्रोफेसर कैरी कूपर कहते हैं, ''क्लीनिकल साइकॉलजी में जिन अर्थों में मनोरोगी शब्द का प्रयोग होता है उसके आधार पर इन लोगों को मनोरोगी कहना गलत होगा. मनोविज्ञान में 'मनोरोग' एक परिभाषित अवधारणा है.''

ये लोग किसी की हत्या करने नहीं जा रहे लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति अत्यधिक केन्द्रित होने के कारण ये लोग दूसरों को परोक्ष नुकसान पहुंचा सकते हैं.

'मनोरोगियों' को परिभाषित करने के सवाल को दरकिनार करते हुए चार्टर्ड इंस्टीट्यूट आफ पर्सनल एंड डेवलपमेंट के प्रोफेसर जॉनी गिफ़र्ड प्रोफेसर डटन से सहमति जताते हैं. वह मानते हैं कि इन व्यावहारिक प्रवृत्तियों से हम काफी कुछ सीख सकते हैं.

गिफ़र्ड कहते हैं कि हममें से बहुत से लोग सक्रिय राजनीति में नहीं जाना चाहते लेकिन हमें सच स्वीकार करते हुए यह मान लेना चाहिए कि राजनीति में जाने के लिए थोड़ी कुटिलता जरूरी है.

वो कहते हैं कि हमें कई बार उचित राह पर चलने के लिए कड़ाई से पेश आना होता है. यह कहना आसान है कि आप अपने मूल्यों के अनुसार काम करें लेकिन संभव है कि आपके मूल्य किसी काम के न हों.
गलाकाट प्रवृत्ति वाले लोग

ऐसे लोग जो अपने साथियों की परवाह किए बगैर सिर्फ़ अपनी प्रगति के बारे में सोचते हैं वो छोटा—मोटा लाभ कमा सकते हैं लेकिन लंबे दौर में ऐसे लोग संस्थान के लिए नुकसानदेह होते हैं.

गिफ़र्ड कहते हैं, ''वे खुद तो बहुत अच्छे होते हैं लेकिन उनकी टीम को उनके कारण कष्ट सहना पड़ता है. इस पर प्रोफेसर डटन का कहना है, ''एक बड़ी कंपनी चलाने के लिए आपको कई बार निर्दयी और असहिष्णु होना पड़ता है.''

जिन लोगों को लगता है कि उनके बॉस में मनोरोग की प्रवृत्तियां कुछ ज्यादा ही हैं तो उनके लिए प्रोफेसर डटन के पास एक ही सलाह है. ''यदि आपका बॉस अपने से नीचे वालों को दबाए रखता है लेकिन अपने से ऊपर के लोगों को खुश करने की हर कोशिश करता है तो आपको दूसरी नौकरी खोज लेनी चाहिए''

 

Posted By: Garima Shukla