-सरकारी रेट पर मरीजों को मिलती है एंबुलेंस

-बाहर जाने की स्थिति में नहीं है छोटी गाडि़यां

-पांच ड्राइवरों की भी की गई थी बहाली

-एंबुलेंस और माच्र्युअरी वैन खरीदने की योजना भी ठंडे बस्ते में

-संचालन नहीं होने के कारण हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक एंबुलेंस लिया वापस

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RANCHI (25 ह्रष्ह्ल): रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस नहीं मिल पाती है। वहीं शव ले जाने के लिए भी उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन न तो एंबुलेंस खरीद रहा है और न ही माच्र्युअरी वैन। इससे मरीजों को एंबुलेंस लेने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों की मिन्नतें करनी पड़ रही है। इस चक्कर में लोग संचालकों को मुंहमांगी कीमत भी देने को तैयार हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिम्स प्रबंधन को लोगों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है। बताते चलें कि रिम्स में तीन एंबुलेंस और एक माच्र्युअरी वैन के भरोसे हजारों मरीज इलाज करा रहे हैं।

सरकारी रेट पर एंबुलेंस नहीं

हॉस्पिटल से एंबुलेंस और माच्र्युअरी वैन उपलब्ध कराने के लिए सरकारी रेट फिक्स है। इससे जरूरतमंदों को आसानी से गाडि़यां मिल जाती थीं। लेकिन एक-एक कर रिम्स की एंबुलेंस और माच्र्युअरी वैन खराब होते चले गए। वहीं सालों पुरानी गाडि़यों ने भी जवाब दे दिया। अब तो स्थिति यह है कि रांची से बाहर जाने की स्थिति में गाडि़यां नहीं हैं। इस वजह से लोगों को सस्ती दर पर गाडि़यां ही नहीं मिल पा रही हैं।

बहाली पांच की, ड्यूटी कर रहे दो

एंबुलेंस विभाग में ड्राइवरों की कमी है। इस वजह से गाडि़यां रहने के बावजूद भी एंबुलेंस नहीं मिल पाती है। यह देखते हुए प्रभारी ने ड्राइवरों की मांग की थी। इसके बाद पांच ड्राइवरों की बहाली भी की गई। लेकिन तीन ड्राइवरों का आजतक कोई पता नहीं है। इस वजह से भी काफी परेशानी हो रही है।

ठंडे बस्ते में गाड़ी खरीदने की योजना

खराब गाडि़यों को देखते हुए नई एंबुलेंस और माच्र्युअरी वैन खरीदने की योजना बनाई गई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद से न तो कभी गाडि़यां खरीदने की चर्चा हुई और न ही नई गाड़ी को बेड़े में शामिल किया गया।

एंबुलेंस रेट तय करने का था आदेश

एक साल पहले तत्कालीन डायरेक्टर डॉ। बीएल शेरवाल ने सभी एंबुलेंस को गैराज से बाहर निकलवाया था। इसके बाद उन्होंने कार्डियक एंबुलेंस का भी रेट तय करने को कहा था ताकि मरीजों को उसका भी लाभ मिल सके। लेकिन उनके रिम्स से जाते ही यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई।

पावर ग्रिड ने दी थी दो एंबुलेंस

पावर ग्रिड कारपोरेशन ने सरकारी हॉस्पिटलों के लिए दर्जनों एंबुलेंस दी थी ताकि मरीजों को लाने ले जाने में परेशानी न हो। लेकिन रिम्स प्रबंधन द्वारा संचालन नहीं किए जाने के कारण स्वास्थ्य विभाग ने एक एंबुलेंस को विभाग में मंगवा लिया है। ऐसे में रिम्स के पास पावरग्रिड की दी हुई एक एंबुलेंस ही बच गई है।

वर्जन

सरकार ने 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की है। कोई भी कॉल करके एंबुलेंस मंगवा सकता है। चूंकि रिम्स भी सरकार का ही हॉस्पिटल है तो यहां के मरीज भी 108 एंबुलेंस बुला सकते हैं। हमने विभाग को एंबुलेंस और माच्र्युअरी वैन के लिए लिखा है। हमारे पास माच्र्युअरी वैन एक ही है। जैसे ही हमें गाडि़यां मिल जाएंगी तो लोगों को इसका लाभ मिलने लगेगा।

डॉ। आरके श्रीवास्तव, डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Inextlive