टीचर्स डे पर अमिताभ बच्‍चन का एक खुला खत सामने आया है जो उन्‍होंने अपनी नातिन नव्‍या नवेली और पोती आराध्‍या बच्‍चनको जीवन की शिक्षा देते हुए लिखा है। ये खत आज सोशलमीडिया पर ट्रेंड कर रहा है क्‍योंकि उसमें जो शिक्षा है जो हर औरत या हर बेटी के लिए महत्‍वपूर्ण है। साथ ही वो उन लोगों के लिए भी खास है जिन्‍हें आज तक महिलाओं को उनका उचित सम्‍मान देना और उनका महत्‍व समझना नहीं आया। आप भी जानिए वो तीन शिक्षायें जो अमिताभ के इस खत के जरिए हम सभी को मिलती हैं।

विरासत में भागीदार बेटियां भी हैं पर वो बोझ ना बने  
अमिताभ बच्चन ने अपनी नातिन नव्या नवेली नंदा और पोती आराध्या के लिए जो खत लिखा है उसे हर महिला को तो पढ़ना ही चाहिए पर बेटियों को कमतर समझने वाले हर इंसान को तो जरुर पढ़ना चाहिए। इस लेटर में अमिताभ ने उन दोनों को अपने हक के लिए लड़ने और बेझिझक आगे बढ़ने के की नसीसत दी है। उन्होंने कहा है कि उन दोनों के नाजुक कंधों पर बेहद अहम विरासत की जिम्मेदारी है। आराध्या पर अपने परदादा जी डॉ. हरिवंश राय बच्चन और नव्या पर अपने परदादा जी श्री एच.पी. नंदा की विरासत का दायित्व है। उन्होंने कहा कि दोनों को उनके परदादा जी ने उनका मौजूदा सरनेम दिया है, ताकि वे लोग इस प्रतिष्ठा, उपाधि और सम्मान का आनंद तो ले ही सकें साथ ही इसकी हिस्सेदार भी बनें। इस तरह से उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि विरासत महज बेटों का अधिकार नहीं होती।
औरत होना सजा नहीं
अमिताभ ने स्पष्ट कहा है कि ये तुम दोनों भले ही नंदा या बच्चन हों, लेकिन वे लड़कियां हैं और महिला के रूप में आगे बढ़ेंगी। इसलिए उन्होंने आगाह किया है कि लोग अपनी सोच, अपना दायरा उन पर थोपने की कोशिश करेंगे। वे बताने की कोशिश करेंगे कि कैसे कपड़े पहनने चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए, किससे मिलना है और कहां जाना है। लेकिन उन्हें लोगों की धारणाओं में दबकर नहीं रहना। अपने विवेक के बल पर अपने फैसले खुद करना है। किसी को यह तय करने का हक न देना है कि वे उनकी स्कर्ट की लंबाई से उनके चरित्र का पैमाना तय कर सकें। किसी को यह सलाह देने की अनुमति नहीं देनी कि कौन तुम्हारे दोस्त होने चाहिए और तुम्हें किन लोगों से दोस्ती रखनी चाहिए। शादी जरूर करना पर तब तक नहीं जबतक कि तुम खुद शादी के लिए तैयार न हो। लोग बातें करेंगे। वे काफी बेकार बातें करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें हर किसी की बातें सुननी है। कभी भी इन बातों से परेशान न होना कि लोग क्या कहेंगे। उन्होंने साफ कर दिया है कि शादी मजबूरी नहीं खुशी का रिश्ता बने। ये सबक है उनके लिए जो बेटियों की शादी ही आखिरी फर्ज समझते हैं और उन पर अपनी मनमर्जी थोप कर समझौते की जिंदगी जीने के लिए मजबूर करते हैं।

सरनेम का सम्मान करें बोझ ना बनायें
अमिताभ ने आगे लिखा है कि अपने हर काम नतीजा आखिरकार सिर्फ उन्हें ही झेलना पड़ेगा, इसलिए किसी दूसरे को अपने लिए फैसला लेने का हक मत देना। नव्या- तुम्हारा नाम, तुम्हारे सरनेम की खासियत तुम्हारी उन मुश्किलों से नहीं बचाएगी, जो महिला होने की वजह से तुम्हारे सामने आएंगी। आराध्या- समय के साथ तुम इन चीजों को समझोगी। हो सकता है कि तब मैं तुम्हारे आसपास न रहूं, लेकिन मुझे लगता है कि जो कुछ आज मैं कह रहा हूं उस वक्त भी तुम्हारे लिए उचित रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक महिला के लिए यह दुनिया बहुत मुश्किल हो सकती है, लेकिन उन्हें यकीन है कि उनकी नातिन और पोती जैसी महिलाएं इन चीजों को बदल सकती हैं। अपनी सीमाएं खींच पाना, अपनी पसंद रखना, दूसरों को फैसले से ऊपर उठकर सोचना भले ही आसान न हो, लेकिन बिग बी ने दोनों से ऐसा करने के लिए कहा है ताकि वे हर जगह महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन सकें। उन्होंने कहा कि जितना उन्होंने अब तक किया है इन दोनों को उससे कहीं ज्यादा करना है और आशा जताई कि वे करेंगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके लिए सम्मान की बात होगी कि वे अमिताभ बच्चन के नाम से नहीं, बल्कि दोनों के दादा और नाना के रूप में पहचाने जायें।     

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Posted By: Molly Seth