- संविदा परिचालकों के साथ परिवहन विभाग के बड़े अफसर रैकेट में शामिल

LUCKNOW :अलीगढ, मथुरा, हाथरस, सादाबाद रूट पर चलने वाली रोडवेज बसों में फर्जी टिकटों का वितरण कर, बिना टिकट यात्रा कराने वाले फर्जी टिकट माफिया गिरोह क तीन सदस्यों को एसटीएफ ने शुक्रवार को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया। इनमें दो संविदा परिचालक हैं जबकि तीसरा इस गिरोह का फर्जी परिचालक और बाउंसर है। ये सभी गिरोह का पर्दाफाश होने और अपने साथियों के पकड़े जाने के बाद छुपने के लिए अपने ठिकाने बदल रहे थे। एसटीएफ ने सर्विलांस की मदद से संविदा परिचालक अशोक, सुरजीत उर्फ सोनू तथा एक अन्य सहयोगी अमित उर्फ भोला को दबोचा। तीनों अलीगढ़ के इगलास इलाके के रहने वाले हैं।

11 लोगों को किया था गिरफ्तार

ध्यान रहे कि यूपीएसआरटीसी के एमडी के अनुरोध पर आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने इस गिरोह के खुलासे की जिम्मेदारी एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह को दी थी। इसके बाद एसटीएफ ने 21 सितंबर को फर्जी टिकट माफिया गिरोह के देवेंद्र सिंह व मेघ सिंह सहित कुल 11 चालक, परिचालक तथा बाउंसरों को गिरफ्तार किया था जबकि ये तीनों फरार हो गये थे।

मुखबिर से मिली सूचना

एसटीएफ को शुक्रवार को मुखबिर से सूचना मिली कि इस ग्रुप का मास्टरमाइंड अशोक अपने दो साथियों के साथ थाना इगलास में है। इसके बाद एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में अशोक ने बताया कि आगरा रीजन की मथुरा डिपो के मथुरा से अलीगढ़ रूट पर लगभग 14 बसें तथा आगरा से अलीगढ़ रूट पर 16 बसें ठेकेदारों द्वारा चलाई जा रही हैं। इन बसों में यात्रियों को टिकिट की फोटोकॉपी दी जाती है। बसों में करीब एक तरफ से 100 यात्री यात्रा करते हैं, जबकि टिकट 20 से 25 यात्रियों को दी जाती है।

विभाग के अफसर भी शामिल

पूछताछ मे सामने आया कि इस गोरखधंधे में रोडवेज के एआरएम, टीएस, एटीआई, सीनियर फोरमैन, डीजल बाबू, टाइम कीपर आदि भी शामिल हैं। इनका मासिक शुल्क निर्धारित है। ग्रुप नाम से विख्यात इस गैंग द्वारा संचालित बसों में सवार प्रबुद्ध यात्रियों को ओके टिकट/प्लेन पेपर (यह इस ग्रुप के गोपनीय कोड, जिसका अर्थ है सही टिकट वितरित करना) दिये जाते हैं तथा अनपढ़/वृद्ध ग्रामीणों को ईटीएम मशीन से स्टेज वाइस रिपोर्ट या प्रिंट सलेक्टेड रूट जनरेट करके (यह रिपोर्ट बस रूट में पड़ने वाले स्टेशनों के बीच के किराये से संबंधित होती है, जिसमें किराया अंकित होता है) पकड़ा दी जाती है।

विरोध करने पर मारपीट

यदि कोई यात्री इसका विरोध करता तो बस में सवार बाउंसर उसके साथ मारपीट करते। इन बाउंसरों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यह प्रशिक्षण देवेंद्र, मेघ सिंह तथा अशोक आदि देते हैं। विरोध पर ये यात्री को जेबकतरा घोषित कर उसे चलती बस ने नीचे फेंक देते थे।

Posted By: Inextlive