वाकई कानपुर जू एडमिनिस्ट्रेशन ने लापरवाही की सारी हदें पार कर दीं. इसका नतीजा ट्यूजडे देर रात को देखने को मिला जब बाघिन त्रुशा के तीसरे बच्चे गौरी ने दम तोड़ दिया.


त्रुशा के पहले बच्चे की मौत 2 अक्टूबर, दूसरे की मौत 13 नवंबर को हो गई थी। इस बीच एक जेब्रा ने भी दम तोड़ दिया था। बेशर्मी की हद तो तब हो गई जब उसका अंतिम संस्कार भी खुले मैदान में कर दिया गया। जू एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले ढाई महीने में अब तक चार जानवरों की मौत हो चुकी है। हद कर दी इन्होंने


भले ही जू डायरेक्टर और ऑफिसर्स ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लें कि कॉर्निवोरस कैटेगरी में बाघिन के बच्चों का सर्वाइवल सिर्फ 50 परसेंट ही होता है, लेकिन जू ऑफिसर्स ने लापरवाही में कोई सुधार नहीं किया। इनकी संवेदनहीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि त्रुशा के दो बच्चों की मौत के बाद भी तीसरे बच्चे की देखभाल का प्रॉपर ध्यान नहीं दिया, जिससे उसकी भी मौत हो गई।

आखिर अब क्या हो गया

30 मई को कानपुर जू में बाघिन त्रुशा ने तीन बच्चों को जन्म दिया था। एक्सपर्ट के मुताबिक कॉर्निवोरस कैटेगरी में बच्चों का सर्वाइवल जन्म के तीन महीनों तक ज्यादा टफ होता है। पर त्रुशा के तीनों बच्चे उस टफ पीरियड को पार कर चुके थे। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि पांच महीने से लेकर साढ़े छह महीने की उम्र में बच्चों को ऐसा क्या हो गया कि उनकी मौत हो गई। तो बच जाती जान अगर बाघिन त्रुशा के तीनों बच्चों का फुल डायग्नोस पहले ही करा लिया गया होता तो शायद एक-एक करके तीनों बच्चों की मौत न होती। दूसरे बच्चे की मौत के बाद तीसरे बच्चे गौरी के यूरिन के सैम्पल के साथ ही ब्लड सैम्पल भी लिया गया था। इससे पीएच, ब्लड शुगर, एलसीपीटी, किडनी में प्रोटीन की क्वांटिटी लेवल की जांच की गई थी। जू एडमिनिस्ट्रेशन ने उसकी सभी रिपोर्ट नॉर्मल बताईं थी। चार animals की मौत
बीते ढाई महीनों में कानपुर जू में 4 जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें त्रुशा के तीन बच्चे और एक जेब्रा शामिल है। त्रुशा के पहले बच्चे की मौत 2 अक्टूबर, दूसरे की मौत 13 नवंबर और तीसरे की मौत 14 दिसंबर को हुई। इसी बीच 12 दिसंबर को एक फीमेल जेब्रा की भी मौत हो गई। त्रुशा के दो बच्चों की भी मौत का कारण किडनी इंफैक्शन ही था और अब तीसरे बच्चे की मौत की वजह भी किडनी में इंफैक्शन ही निकला है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर जू में टाइग्रेस के तीनों बच्चों की किडनी में ही इंफैक्शन कैसे हो गया। इससे तो यही लगता है कि कब्स की देखभाल या खाने में लापरवाही बरती जा रही थी, जिससे उसकी किडनी में इंफैक्शन हो गया।अब तक 200 से ज्यादा की मौतपिछले कुछ सालों में जू में 200 से ज्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है। 2008 में कुल 77 जानवरों की मौत हुई, 2009 में मरने वाले जानवरों की संख्या 70 से ज्यादा रही वहीं 2010 में 68 ने दम तोड़ दिया। सन् 2011 में अब तक ओपन रेंज सफारी और बाड़ों के अंदर के जानवरों को मिलाकर 35 से ज्यादा जानवर मर चुके हैं। इतने जानवरों की मौत ने कानपुर जू पर एक सवालिया निशान लगा दिया है।

Posted By: Inextlive