तीजे पर ताजियादारों के आंखों से छलक पड़े आंसू
-कर्नलगंज से निकाला गया तीजे का जुलूस
-जगह-जगह पढ़ा गया फातेहा, कुरान खानी हुई -मजलिस व नौहा में कुर्बानी की दास्तां से गमगीन हुआ माहौल कर्नलगंज से निकाला गया तीजे का जुलूस -जगह-जगह पढ़ा गया फातेहा, कुरान खानी हुई -मजलिस व नौहा में कुर्बानी की दास्तां से गमगीन हुआ माहौल ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: हजरत इमाम हुसैन व 7क् शहीदों की याद में सोमवार को गमगीन माहौल में कर्नलगंज से तीजे का जुलूस निकाला गया। वहीं, जगह-जगह मजलिस आयोजित की गई। ऐतिहासिक मोहर्रम कमेटी में शामिल तीस ऐतिहासिक इमामबाड़ों पर तीजे का फातेहा व कुरान खानी हुई। फातेहा के वक्त ताजियादारों के आंखों से आंसू छलक पड़े। मांगी गई दुआएंफातेहा के बाद ताजियादारों ने मुल्क व शहर में अमन चैन के लिए दुआएं मांगी। ऐतिहासिक मोहर्रम कमेटी के महासचिव मो। हफीज खां ने कहा कि कमेटी में शामिल तीस मोहल्लों के भ्ब् अलम, मेहंदी व शेर के ऐतिहासिक जुलूस न उठाकर व्यवस्था के साथ ही एकता को कायम रखा। सोमवार को कई इलाकों में मजलिस आयोजित की गई। इमामबाड़ों व अजाखानों में तीजे की मजलिस में इमाम हुसैन की कुर्बानी का जिक्र हुआ। वहीं खिचड़े, बिरयानी व नकुल चने पर नज्र करवाई गई और लोगों में तकसीम किया गया।
बस मेरे वास्ते भैया ये कफन मेरा है।इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत के तीजे के अवसर पर इमामबाड़ा जुल्फिकार कर्नलगंज में तीजे का जुलूस निकाला गया। तीजे का जुलूस कर्नलगंज स्थित इमामबाड़ा जुल्फिकार से उठाया गया। जुलूस का आरंभ हसन जाफरी व साथियों की सोजखानी से हुआ। मौलाना सैयद रजी हैदर ने कुरान शरीफ में दी गई शिक्षाओं का बयान किया। अंत में अंजुमन अब्बासिया ने अपने पुरदर्द नौहों का जखीरा खोला और लोगों को इमाम हुसैन के शोक में डुबो दिया। अंजुमन के डॉ। अबरार हुसैन, अब्दुल कलाम, डॉ। बाकर कर्रार, असगर अब्बास, जफर, गौहर, सैफ जाफरी ने नौहा- जो मेरे जिस्म पे इस वक्त जला कुर्ता है, बस मेरे वास्ते भैया ये कफन मेरा है। सुनाया तो अकीदत मंदों की आंखें नम हो गई। जुलूस में मंजर कर्रार, नब्बन, शकील, वकार हुसैन, मिर्जा इकबाल हुसैन, आलिम, प्यारे, मेहंदी हसन आदि मौजूद रहे।
निकाला गया सकीना का ताबूतबरनतला स्थित इमामबाड़ा मुजफ्फर हुसैन में मौलाना जायर हुसैन ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि कर्बला के मैदान में अपने 7क् साथियों के साथ हक और बातिल की जंग में दीन को बचाने की खातिर इमाम हुसैन ने शहीद होकर इस्लाम को जिन्दा-ओ-जावेद बना दिया। मजलिस के बाद हजरत इमाम हुसैन की चहेती बेटी जनाबे सकीना का ताबूत निकाला गया। अंजुमन गुंचा-ए-कासिमया ने नौहा और मातम का नजराना पेश किया। इस मौके पर मो। अस्करी, मिर्जा अजादार हुसैन, शादाब जमन, शबीह अब्बास, अस्करी अब्बास, फराज जैदी, यासिर जैदी, जमान नकवी, यूसूफ, कामरान रिजवी आदि मौजूद रहे।